Tuesday, May 7, 2019

पंचवर्षीय मनोरंजन

चुनाव पूर्व के कुछ सप्ताहों में जबर्दस्त गहमा गहमी रहती है ।  दलों की चुनावी सभाएं चलती  हैं रैलियाँ , रोड़ शो , नुक्क्ड़ गोष्ठियों की भरमार रहती है । लाखों लोग इनमे भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त टी वी पर गर्मा गर्म , रोचक, गला फाड़ बहसें होती हैं जिनमें घिसे पिटे आरोप प्रत्यारोपों की अभद्र अभिव्यक्ति बड़ी संख्या में  लोग  तन्मयता से सुनते हैं और अपने प्रिय दल  के पक्ष में मित्रों और संबंधियों से लड़ने के लिये तर्क ,कुतर्क के तीर बटोर कर अपने तरकश में रखते हैं । व्हाट्स एप, ट्वीटर, फेसबुक, सोशल मीडिया आदि पर भी चुनाव संबंधी झूठे सच्चे समाचारों की बाढ़ आ जाती है । इस  सारी प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिये देश के करोड़ों लोग अपने करोडों मैन आवर्स की आहुति  देते हैं । खुशी की बात है कि हमारे पास इतनी बेकारी है और इतनी बड़ी मात्रा में खाली समय उपलब्ध है , नहीं तो करोड़ों लोग इस ऐतिहासिक पंचवर्षीय मनोरंजन का हिस्सा बनने से वंचित रह जाते ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, April 30, 2019

श्रम का महत्व

"हे गुरूदेव ! कृपया बतायें जीवन  में श्रम का क्या महत्व है ? श्रम कब करना चाहिए ?"
ज्ञानी जी बोले ,"हे शिष्य श्रेष्ठ ! तुम्हारा प्रश्न बहुत सुन्दर और सामयिक है । मैं आज तुम्हे न केवल श्रम का महत्व बताऊँगा वरन यह भी समझाने का प्रयास करूंगा कि उचित समय पर भरपूर श्रम करने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण से स्पष्ट करता हूं । विद्यार्थी जीवन के कुछ वर्षों में जो विद्यार्थी भरपूर समय देकर पढाई में जी तोड मेहनत करते हैं वह पढाई के पश्चात उच्च पद पाकर शेष जीवन आराम से व्यतीत करते हैं इसी तरह जो लोग इस काल में पढ़ाई पर विशेष ध्यान न देते हुए मारपीट, गुण्ड़ागर्दी जैसी विधाओं में महारथ हासिल करते हैं वह भी बडे़  होकर नेता गिरि करते हुए शेष जीवन राजा महाराजाओं की भाँति व्यतीत करते हैं किंतु जो लोग जीवन का विद्यार्थी काल बिना शिक्षा ग्रहण किये बरबाद कर देते हैं अथवा घोर गरीबी के कारण पाठशाला का मुँह देखने से वंचित रहते हैं वह जीवन यापन के लिये बचपन से ही जीवन पर्यंत मजदूरी करते  हैं । यह लोग तो मजदूर दिवस के दिन भी मजदूरी करने को बाध्य हैं जबकि अन्य श्रेणियों के लोग मजदूर दिवस पर सभाएं करते हैं,भाषण देते हैं, काव्यपाठ करते हैं नृत्य व संगीत के कार्यक्रम करके श्रमिक दिवस पर श्रमिकों की दशा सुधारने के मुद्दे पर अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं तथा आनंदित होते हैं । इनके वर्ष दर वर्ष किये जा रहे स्वांत सुखाय प्रयासों से बेचारे श्रमिक अनभिज्ञ रहते हैं । अतः जीवन में उचित समय पर अल्पावधि के लिये किया गया कठोर श्रम जीवन संवारने और मजदूर दिवस का आनंद लेने कि लिये  बहुत ही महत्वपूर्ण है ।"
" मैं धन्य हुआ गुरू देव । मेरे मित्र सुमंत के पिताश्री ,जो चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी एक दिन कह रहे थे कि बस एक महीने की जी तोड़ मेहनत है उसके बाद तो पाँच वर्ष ऐश ही ऐश हैं "
-ओंम प्रकाश नौटियाल

काला धन

"हे गुरूवर ! समय समय पर काले धन की बड़ी चर्चा होती है । आखिर यह कहाँ है हमें मिलता क्यों नहीं ?"
ज्ञानी जी बोले :" हे शिष्य श्रेष्ठ ! संत कबीर ने कहा है
मृग की नाभि में कस्तूरी है पर वह उसे जंगल जंगल ढूंढ़ता भटकता  है।
काले धन का भी कुछ यही हाल है । यह चुनाव सभाओं में, रोड़ शोज में ,रैलियों में , हवाई यात्राओं में, चंदो में, प्रचार तंत्र में,घूस में, खैरात में यानि हमारे आस पास ही  बिखरा पड़ा है । पर हम अपने ज्ञान चक्षु बंद कर राजनीतिज्ञों के चश्में से वर्षों से इसे उन स्थानों पर ढूढते भटक रहे हैं जहाँ वह अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये  हमसे ढूंढ़वाना चाहते है या ढूंढ़ने का भ्रम फैलाना चाहते हैं । अपनी ज्ञान चक्षुओं से देखोगे तो सबकुछ स्पष्ट दिखलाई देगा । प्रसन्न रहो !! "
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, April 22, 2019

दीन दुखी की बात

भाषण में जब की शुरू , दीन दुखी की बात
अभिनय किया कमाल का,सिसक उठे जज़्बात !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Thursday, April 18, 2019

युद्ध -श्रेष्ठ्तम , निकृष्ततम

-ओंम  प्रकाश नौटियाल
आश्रम में प्रवेश करते ही पार्थ ने नीम  वृक्ष के चबूतरे पर बैठे गुरू जी के चरण स्पर्श करते हुए प्रश्न कर दिया ।
"गुरूदेव प्रणाम । गुरूदेव कृपया बतायें कि इस संसार में कितने  प्रकार के युद्ध होते रहे हैं और  हो रहे हैं ?" गुरूदेव प्रश्न सुनकर मुस्कराये और बोले, " पार्थ , विभिन्न विषयों के प्रति तुम्हारी  उत्सुकता से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं ।तुम्हारी बाल सुलभ जिज्ञासा  मुझे बहुत भाती है ।सुनो पार्थ , इस संसार में आदि काल से अलग अलग स्तर के, अलग अलग पैमाने के,अलग अलग अवधि के युद्ध  विभिन्न कारणों से लडे जाते रहे हैं । युद्धों का वर्गीकरण उसके कारणों , प्रतिद्वंदियों की क्षमता, समय काल परिस्थिति तथा युद्ध के औचित्य आदि के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में किया जा सकता है ।"
"  गुरूदेव , मैं जानना चाहूंगा की विश्व में  कहीं न कहीं होते रहने वाले इन युद्धों के पीछे क्या कारण रहे हैं ?"
" पार्थ , युद्ध होने के अनेक कारण हो सकते हैं । अधिकतर कारणों के पीछे युद्धस्थ पक्ष के नायकों का निहित स्वार्थ है ।स्वार्थ अनेक तरह का हो सकता है ,इसमें राज्य विस्तार , संपत्ति हड़पने के  लिये विलय करने की लिप्सा,अहं तुष्टि के लिये प्रभु सत्ता स्वीकार करवाने की मंशा, दूसरे पक्ष की सुंदर स्त्री पर कुद्दष्टि रख कुछ बनावटी कारण खड़े कर के प्रारंभ किये गये युदध आदि आदि । आधुनिक युग में तो शस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने का स्वार्थ भी युद्ध और आतंकी गतिविधियों का कारण रहता है ।कभी कभी अपनी प्रभुसत्ता और स्वतंत्रता बचाने के लिये न चाहते हुए भी युद्ध करना पड़ जाता है ।
"गुरूदेव आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी है । अब कृपया यह भी बता दें कि संसार में श्रेष्ठतम युद्ध कौन सा है ?"
"पार्थ, यह तुमने बहुत ही सुंदर प्रश्न किया है । इससे पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूं मै तुम्हे यह बताना आवश्यक समझता हूं कि संसार में निकृष्टतम युद्ध कौन सा है ।पार्थ ,इस  संसार में चुनावी युद्ध सबसे अनैतिक और निम्न स्तर का है क्योंकि यह सिर्फ झूठ की बुनियाद पर लड़ा जाता है । इस युद्ध में भाग लेने वाले सभी प्रतिद्वंदी पक्ष जनता को यह बतलाते हैं कि वह उनकी भलाई के लिये लड़ रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि यह युद्ध  वह मात्र अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये लड़ते  हैं । दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस युद्ध में वाणी से ऐसे विषैले गाली वाण चलाये जाते हैं जिनके लिये कोई रक्षा कवच उपलब्ध नहीं है ।  अब मैं तुम्हारे मूल प्रश्न पर आता हूं ।सुनों,पार्थ इस संसार में पति पत्नी के बीच  लड़ा जाने वाला युद्ध ही श्रेष्ठतम है । इसमे दोनों पक्षों का कोई भी स्वार्थ न होते हुए भी यह युद्ध उम्र भर अपनी गति और प्रवाह बनाये रखने में सक्षम  है । इस युद्ध से किसी अन्य तीसरे पक्ष की हानि होने की संभावना भी नगण्य रहती है। इस युद्ध की निरंतरता से  दोनों के प्रेम की बुनियाद मजबूत होती चली जाती है । दोनों को जीने का ध्येय मिल जाता है ।युद्धश्रम से  दोनों पक्षों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है, परिवार और पड़ोस के अन्य लोगों का मनोरंजन अलग से होता है । एक दूसरे पर तीखे किंतु हानि रहित शब्दवाणों का प्रयोग शब्द ज्ञान बढ़ाता है । वाणी और बुद्धि की कुशाग्रता बढती है ।इसलिये हे पार्थ मेरी द्दष्टि में निस्वार्थ भाव से लड़ा जाने वाला यह युद्ध बहुत ही कल्याणकारी है अतः श्रेष्ठतम है। यदा कदा यदि कभी शस्त्र का प्रयोग किसी पक्ष द्वारा कर भी लिया जाता है तो वह शस्त्र गृह कार्य में प्रयुक्त होने वाला अशस्त्र की श्रेणी वाला मामूली शस्त्र होता है । ऐसी स्थिति में यदि किसी को कभी हल्की चोट पहँच भी जाती है तो अशस्त्र चलाने वाला ही तुरंत प्रतिद्वंदी को घरेलू उपचार से ठीक कर देता है । प्रेम की प्रगाढ़ता बढाने के लिये इक्का दुक्का ऐसी घटनायें रामवाण सिद्ध होती हैं । " 
"मैं धन्य हुआ गुरूदेव । मेरी यह जिज्ञासा तो शान्त हुई किंतु गुरूदेव  मैं यह भी जानना चाह रहा था ..."
"बस पार्थ , शेष फिर कभी , अभी मुझे मतदान के लिये जाना है ।"
"धन्यवाद गुरूदेव ।"
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बडौदा,मोबा. 9427345810

Friday, April 12, 2019

#शी टू

मालती देहरादून के लोकप्रिय दैनिक 'घटनाक्रम' में रिपोर्टर थी  । पिता जी एक प्राइवेट कंपनी से सेवा निवृत हो चुके थे और अकसर बीमार रहते थे । घर पर एक छोटी बहन श्वेता थी जो स्नातक होने के बाद मीडिया और मास कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा कर रही थी । माँ का स्वास्थ्य भी बहुत ठीक नहीं रहता था। इन परिस्थियों मे घर के प्रति मालती की बड़ी जिम्मेदारी थी ।
मालती को कम्पनी के सीईओ केतन शुरु शुरु में  बड़े भले आदमी लगते थे उसके साथ बड़ी आत्मीयता और सलीके के साथ पेश आते थे । पर धीरे धीरे उनका मुखौटा उतरने लगा और मालती को उनकी नियत पढ़ने में अधिक समय नहीं लगा। वह बिना किसी विशेष कार्य के उसे बार बार अपने चैम्बर में बुलाते थे । सैक्स और बलात्कार संबंधी रूटिन खबरों को बेमतलब विस्तार देकर अभद्र  टिप्पणियों के साथ विश्लेषण की आड़ में खींचते रहते  थे । उनके चेहरे पर उस समय एक कुटिल मुस्कान रहती थी जिसे देख मालती भीतर तक सिहर उठती थी ।
बहुत तनाव में रहने लगी थी मालती । समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे । उधर केतन की हरकतें अब शारीरिक छेड़ छाड़ की ओर बढ़ने लगी थी । कभी उसके कंधे पर हाथ रख देता  था  कभी हाथ दबा देता था । नौकरी छोड़ना मालती के लिये आसान नहीं था ।
आज  औफिस खुलते ही केतन ने मालती को अपने चैम्बर में बुलाया और कहा , " मालती आज एक गोपनीय और महत्वपूर्ण रिपोर्ट तैय्यार करनी  है ।तुम औफिस के बाद सीधे मेरे साथ मेरे घर चलना वहीं इस रिपोर्ट को  तैय्यार  करेंगे गोपनीयता के लिये यह अत्यंत आवश्यक है । और हाँ , खाना भी आज साथ ही खायेंगे । चाहो तो घर में बता देना कि औफिस में आज बहुत देर हो जायेगी ,महत्व पूर्ण और अति आवश्यक कार्य है ।कल रविवार के हमारे अखबार में इस भंड़ाफोड़ रिपोर्ट  से देश भर में तहलका मच जायेगा। देखना  यह स्टोरी तुम्हारे कैरियर को कहाँ से कहाँ पहुँचाती है ।   और सुनो यह तुम हर वक्त मुँह लटका कर क्यों रहती हो । मस्त रहा करो जिंदगी के मजे लेना सीखो ।" यह कहकर केतन ने मालती की गाल पर उसी कुटिल मुस्कान के साथ चुटकी काट  दी । आहत मालती बिना कुछ कहे कक्ष से बाहर निकल गयी और अपनी कुर्सी पर धँस गयी । केतन के कुत्सित इरादों के बारे में उसे लेश मात्र भी शक नहीं था उसे पता था कि उसकी पत्नी भी आजकल मायके गयी हुई है। उसने कुछ सोचते हुए काँपती उँगलियों से अपनी सहेली नीलम को फोन लगाया । "नीलम तू क्या कर रही है इस वक्त ? क्या तू अभी मुझे लजीज रेस्तरां में मिल सकती है । खाना वहीं खा लेंगे ।" दूसरी ओर से नीलम ने शायद उसकी रोनी आवाज सुनकर और किसी अनहोनी की कल्पना कर तुरंत आने को कह दिया था । मालती ने जल्दी जल्दी अपने ड्राअर से अपने कुछ कागज वगैरह बैग में रक्खे और किसी से कुछ कहे बिना बाहर निकल गयी। ’लजीज’ पहुँच कर उसे अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी । दस  मिनट के बाद नीलम भी कुछ घबरायी सी वहाँ पहुँच गयी, आते ही  बोली ,"अरे, क्या हुआ मालती ? तूने तो मेरी जान निकाल दी , जल्दी बता  बात क्या है ?" "भीतर चल कर बैठते हैं पहले काफी पीते हैं ।सब बताती हूं । और फिर मालती ने सिसकियाँ भरते हुए अपनी संपूर्ण व्यथा कथा सहेली के सामने उँडेल  दी ।
" तू गोली मार ऐसी नौकरी को और उस कमीने को ।" कहकर नीलम ने एक नम्बर मिलाया । "मामा जी, नमस्ते , सुनिये गणित शिक्षण के लिये मैंने बढ़िया शिक्षिका  ढूंढ़ ली है आपके  स्कूल के लिये । मेरी सहेली है । ग्रेजुएशन में मेरी क्लास फैलो भी थी । गणित में कालेज में उसके सर्वाधिक अंक थे । पढ़ाने का बड़ा शौक है उसे ।"
जवाब में मामा जी  कुछ देर बोलते रहे । और फिर नीलम ने " ठीक है मामा जी " कहकर मोबाइल काट दिया ।
" सुन मालती , मामा जी , जिनका शिक्षा मंदिर इंटर कालेज है , उन्हें तो तू जानती ही है ।उन्ही से बात की अभी  , कह रहे थे कि कल स्कूल में तुमसे मिलेंगे ।तुम कल दस बजे स्कूल में प्रिंसिपल को रिपोर्ट कर के कल से ही क्लास लेना शुरु कर दो क्योंकि मामा जी कह रहे थे गणित की अध्यापिका के बिना किसी पूर्व सूचना के विदेश चले  जाने से बच्चों का पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है । मामा जी तो बहुत खुश हो गये ,कह रहे थे उचित वेतन दिया जायेगा । कल तुम्हें स्कूल में वेतन मान के साथ  नियुक्ति पत्र मिल जायेगा । थोड़ा पैसा कम मिलेगा पर सम्मान की नौकरी होगी । "
 मालती के सर से जैसे बड़ा बोझ उतर गया उसने तुरंत मोबाइल से मेल द्वारा अपना त्यागपत्र भेज दिया । जवाब में केतन की मेल आई । "मीट मी एन्ड डिसकस "
जिसे देखकर नीलम और मालती के मुँह से एक साथ निकला "कमीना "
मालती ने घर आकर पिता जी से कहा ," पिता जी , मुझे शिक्षा मंदिर इंटर कालेज में प्राध्यापिका की अच्छी नौकरी मिल गयी है ।मुझे बहुत शौक है पढ़ाने का ।अखबार की नौकरी में तो बेहद तनाव रहता है । असामाजिक तत्वों की रिपोर्टिंग में खतरा अलग है ।"
पिताजी की उम्र ने जैसे सब भाँप लिया । बोले " जैसा भी तू ठीक समझे बेटा ।"
बहन श्वेता को जरूर झटका लगा । मायूस सी होकर बोली , "क्या दीदी । इतनी अच्छी  नौकरी छोड़ दी। तुम्हारी इस नौकरी के कारण मेरी भी कितनी तड़ी थी । मास्टरनी को भला कौन पूछता है ?"
मालती चुपचाप अपने कमरे में जाकर दसवीं बारहवीं की गणित की पुस्तकें ढूंढ़ने लगी ।
आज मालती को नयी जिंदगी शुरु किये हुए पंद्रह दिन बीत गये । बड़ा अच्छा लग रहा था उसे स्कूल का माहौल भी और पढ़ाना भी । अकसर वह नीलम को फोन कर स्कूल की बातें बताती रहती थी । मामाजी और केतन के साथ की मुलाकात के अनुभव याद कर वह ईश्वर की लीला के बारे में सोचती कि उसने कैसे खोपड़ी तो सबकी एक सी बनायी पर भीतर किसी में  निर्मल गंगा का बहा दी  तो कहीं गंदा नाला  ।
आज स्कूल से आये उसे अभी एक घन्टा ही हुआ था कि श्वेता ने बाहर ही से खुशी से दीदी , दीदी चिल्लाते हुए घर में प्रवेश किया ।
" अरे क्या हुआ क्यों घर सर पर उठा रक्खा है ?" मालती ने कहा ।
" दीदी, बात ही ऐसी है । तुम भी सुनोगी तो खुशी से पागल हो जाओगी । आज हमारे यहाँ प्लेसमैंट इन्टरव्यू के लिये  तुम्हारे ’घटनाक्रम’ वाले आये हुए थे । मेरा उसमें रिपोर्टर के लिये प्लेसमैंट हो गया है । "
" और सुनो दीदी , इन्टरव्यू उनके सीईओ केतन ले रहे थे । मुझसे पूछने लगे तुम्हें समाचार पत्रों के रिपोर्टर कैसे और क्या काम करते हैं इसकी कुछ जानकारी है क्या ?"
" हूँ " मालती के मुँह से निकला ।
"और दीदी जब मैंने कहा । यस सर मेरी दीदी पहले घटनाक्रममें काम करती थी मुझे काम के बारे में कुछ जानकारी मिलती रहती थी ।"
"हूँ " मालती ने फिर कुछ आलसी स्वर में कहा ।
" हूँ,हूँ क्या कर रही हो दीदी । आगे सुनोगी तो खुशी से फूल कर कुप्पा हो जाओगी ।जब मैंने तुम्हारा नाम बताया न तो कहने लगे । वह तुम्हारी बहन है ?वैरी ब्रिलिएन्ट गर्ल । पता नही किस सनक में इतना  ब्राइट कैरियर छोड़ दिया ।"
फिर एकदम बोले " तुम अगले माह परीक्षा समाप्त होते ही जौयन कर  लो । नियुक्ति पत्र तुम्हे एक दो दिन में मिल जायेगा ।"
और मालती को लगा वह  एक गहरे गड्ढे में धँसती जा रही है जहाँ से बाहर निकलने  की अब कोई संभावना नहीं है ।

 -ओंम प्रकाश नौटियाल

आयु बढ़ी तो ....


Thursday, April 11, 2019

सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!

12 अप्रैल 2019
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!
समाचारों के अनुसार चुनावी बान्ड को लेकर कल गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी । अटौर्नी जनरल के इस दावे पर कि चुनावी बान्ड़ योजना का उद्देश्य चुनाव में काले धन पर रोक लगाना है सी जे आई ने पूछा कि क्या बैंक के पास इस बात का विवरण होता है कि कौन सा बान्ड किसे जारी किया जा रहा है । ए जी जनरल द्वारा इस प्रश्न का जवाब नहीं मे दिये जाने पर सी जे आई ने कहा कि तब काले धन के खिलाफ आपकी यह सारी लड़ाई व्यर्थ है ।एक अन्य जस्टिस ने यह भी कहा कि बान्ड़ खरीदते समय केवाईसी सिर्फ खरीददार की पहचान है इस बात का प्रमाण नहीं कि धन काला है या सफेद ।
दर असल दलों को थोक में दिया जाने वाला गुमनाम चंदा ही काले धन की जननी है ।जब राजनीतिक दल बिना कोई पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया अपनाये, धन का स्रोत जाने बिना, व्यापारिक घरानों व अन्य लोगों से करोड़ों का धन चंदे के रुप में लेंगे तो वह लोग भी बदले में इन दलों के सत्तारूढ़  होने पर बहुत कुछ ऐसा अनदेखा करने की आशा करेंगे जो गैर कानूनी तरीकों से गुप्त चंदे के रूप में लगाई गयी उनकी पूंजी को कई गुना बढ़ा सकता है ।आखिर वह लोग व्यापारी हैं कोई मुफ्त में खैरात बाँटने वाले नहीं । इसलिये जब तक चुनावी चंदे की प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी नही होती तथा चुनाव मे खर्च किये जा रहे बेतहाशा काले धन के विषय में प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते तब तक इस विषय में  किये जा रहे सभी प्रयास सतही हैं महज लोक दिखावा है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

तेज न हो निस्तेज !!


Saturday, March 30, 2019

Wednesday, February 20, 2019

सुरक्षा

राजस्थान में जेल में कैदियों के बीच किसी विवाद पर हुई मारपीट के बाद सुरक्षा  बढ़ा दी गयी है समाचारों में बताया गया है कि पिछली बार हुई वारदात के बाद भी सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी ।  हमारे सत्ताधीशों और प्रशासकों की  दूरदर्शिता प्रशंसनीय है कि सुरक्षा हमेशा नाप तोल कर इतनी बढ़ायी जाती है  कि घटना की पुनरावृति होने पर और बढ़ाने की गुंजाइश सदैव बची रहती है अन्यथा घटना हो जाने पर लोगों को और मीडिया को इस विषय में आगामी कदम उठाने के बारे में बताना मुश्किल हो सकता है । 
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, February 17, 2019

शहीदों को कोटि कोटि नमन !!!


 पुलवामा के आतंकी हमले से पूरा देश अत्यंत क्षुब्ध और आक्रोशित है। यही समय है जब विवेक सम्मत निर्णय लेने के लिये संयम अति आवश्यक है ।  वीर सैनिकों पर धोखे से किये गये इस कायराना हमले का बदला लेने के नाम पर कुछ लोग आपे से बाहर होकर  भड़काऊ बातें कर रहे हैं,बयान दे रहे हैं । हमें याद रखना चाहिये कि पाक को खाक में मिलाने की बातें भी हम अपने दम पर नही वरन अपने वीर सैनिकों के बूते पर ही कर रहे हैं । तो क्या हमारे क्रोध को शान्त करने के लिये हमारे बहादुर जवानों को  बिना सोचे समझे स्वयं को युद्ध में झोंक देना चाहिये ?  कब , कहाँ और क्या कार्यवाही करनी है यह निर्णय हमें अपनी सेना और नीतिकारों पर छोड़ देना चाहिये जो इसके विशेषज्ञ हैं और  जिन्हें इस संबंध में पूर्ण अधिकार दिये गये हैं जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री जी ने बताया है ।यह वक्त असंयमित होकर अनर्गल गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य देकर अपनी सेना और  प्रशासकों पर अनुचित दबाव बढ़ाने का कदापि नहीं है। हमें तो केवल अपने सजग, सतर्क ,कर्तव्यपरायण ,राष्ट्र प्रेमी और जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाते रहना चाहिये। हमारा प्रबल विश्वास है कि भारत की सक्षम सेना संपूर्ण परिस्थिति का संज्ञान लेते हुए समय आने पर अवश्य ही प्रभावी कदम उठायेगी । जय जवान ! जय हिंद !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, February 10, 2019

देश पटरी पर .....



मेरे विचार से आने वाले आम चुनाव में  अपना मत उसी दल को देना चाहिये जो अपने घोषणा पत्र में यह वादा अवश्य करे कि वह रेलवे ट्रै्क्स की लम्बाई  अपने कार्यकाल में कम से कम  दुगुना अवश्य कर देगा । जरा सोचिये यदि अपनी छोटी मोटी अलग अलग तरह की माँगों अथवा शिकायतों को लेकर कभी पूरे देश को एक साथ ट्रैक धरने पर बैठना पड़े तो ट्रैक्स की  लम्बाई इतनी तो होनी ही चाहिये कि पूरी आबादी आराम से ट्रैकस्थ हो सके। इसके साथ ही ट्रैक के किनारे किनारे अन्य सभी सुविधाएं भी, नित्य कर्म को छोड़कर जिसकी सुविधा पहले से उपल्ब्ध है , प्राप्त होनी चाहियें जो कि एक सुखमय लम्बे धरने के लिये अत्यंत आवश्यक है । शताब्दी, राजधानी , दुरन्तों जैसी प्रतिष्ठित गाड़ियों की संख्या में कई गुनी वृद्धि की घोषणा भी की जानी चाहिये जिससे धरनार्थियों को कम से कम यह संतोष तो मिले कि वह देश की  महत्वपूर्ण रेल सेवाएं बड़ी संख्या में बाधित कर रहे हैं । वैसे भी जब सरकार ट्रैक पर धरना धरने वालो के सम्मुख विवश और नमस्तक है और  ट्रैक उपलब्ध न होने के कारण  रेल गाड़ियाँ चलनी ही नहीं हैं तो केवल घोषणा करने में  जाता ही क्या है । इससे सरकार और धरनार्थियों दोनों की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । यात्रा का क्या है जिसे कहीं जाना ही है वह तो पैदल भी निकल सकता है आखिर रेल के आविष्कार से पहले क्या लोग देश विदेश  नहीं घूमते थे ?
-ओंम प्रकाश नौटियाल  

Tuesday, January 29, 2019

हर हर गंगे


टी वी चैनल्स में विजुअल्स के साथ प्रसारित समाचारों के अनुसार कल संपूर्ण यू पी कैबिनैट ने कुंभ स्नान किया । एक एंकर ने बताया कि घुटनों घुटनों पानी में डुबकी लगा रहे मंत्री मंड़ल के चारों ओर किसी भी अनहोनी को रोकने के लिये लगभग दो गुने गोताखोंरों का घेरा था। भला इसमें अचरज की क्या बात है? एंकर महोदय को समझना चाहिए कि डूबने के लिये तो चुल्लु भर पानी ही पर्याप्त होता है वहाँ तो घुटनों तक था जिसमें निष्पाप होने के लिये अतिरिक्त सावधानी बेहद आवश्यक थी ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

चाँद और चाँदनी


Friday, January 25, 2019

कुँए के मेढ़क..

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!!


अमेरिकन समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट के फैक्ट चैकर सर्वेक्षण के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पिछले दो वर्ष में 20 जनवरी 2019 तक आठ हजार से अधिक बार झूठ बोला या तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया ।अपने नेता की इस उपलब्धि पर अमेरिकन बड़े इठला रहे हैं ।यदि वह हमारे यहाँ के नेताओं का भी ऐसा सर्वेक्षण करें तब उन्हें पता चलेगा कि ऐसे रिकार्ड़ तो हमारे नेता दो महीने में तोड़ दें । पर भला वह अपने कुँए से बाहर क्यों झाँकने लगे अपने मुंह मियाँ मिठ्ठू बनने की आदत जो पड़ गयी है । खैर , कभी तो आयेगा ऊंट पहाड़ के नीचे ...
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Thursday, January 24, 2019

Thursday, January 17, 2019

Saturday, January 12, 2019

जाने कहाँ गये वो दिन ...



क्या जमाना था वह भी , उन दिनों को याद करके सीना गर्व से फूल कर चौड़ा हो जाता है । गठबंधन तब भी होते थे पर केवल चुनाव जीतने या सत्ता की डोर थामने के लिये नहीं वरन सिर्फ और सिर्फ कुर्सी के माध्यम से निस्वार्थ भाव से जन सेवा करने के उद्देश्य से । जरा याद कीजिए चुनाव पूर्व और चुनाव पश्चात हुए देश प्रेम  में सराबोर टी डी पी, पी डी पी , जे डी (यू) के साथ हुए बेमेल किंतु पावन , शुद्ध ,सात्विक गठबंधनों को,  जो हमारे गौरवशाली सियासती अतीत की धरोहर हैं और  जिन पर  हर भारतवासी को गर्व है । इसके विपरीत आजकल हो रहे गठबंधन मात्र अवसरवादिता , कुर्सी पाने की कुत्सित लालसा और स्वार्थपरायणता की पराकाष्ठा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं । अतीत में दर्जन भर से अधिक दलों के गठबंधन ने इस शब्द को कभी इतना बदनाम नहीं किया क्योंकि तब नीयत साफ थी । इतने कम समय में सियासत का ऐसा पतन दर्दनाक भी है और भयावह भी । जाने कहाँ गये वो दिन ......
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, January 8, 2019

आरक्षण-एक लघु कथा

"पापा , समाचारों में सुना है कि सरकार गरीबों के लिये नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण करने जा रही है "
" हाँ बेटा बिल्कुल ठीक सुना है तुमने । सभी राजनीतिक दलों के हृदय में गरीबों के लिये बड़ा दर्द होता है और इस  दर्द की तड़प कुछ खास मौकों पर तो इतनी अधिक बढ़ जाती है कि वह गरीबों का जीवन स्तर तुरंत सुधारने के लिये बेचैन दिखने लगते हैं ।"
" लेकिन पापा हमारी गणित की मे’म तो कह रही थी कि शून्य का कुछ भी प्रतिशत लिया जाये वह शून्य ही होता है ।"
"वह बात तो ठीक है बेटा , इसीलिये तो राजनीतिक दल सभी लोगों को अधिक शिक्षित करने में विश्वास नहीं करते । शिक्षित होकर लोग  तुम्हारी तरह उनकी हर बात का वैज्ञानिक विश्लेषण करने लगेंगे और व्यर्थ में ही झुनझुनों से बहलना और खुश होना छोड़ देंगे ।अल्पकालिक खुशी बाँटना भी बड़े पुण्य का काम होता है "
"आप ठीक कहते हैं पापा । मैं किसी से नहीं कहूंगा कि शून्य का दस प्रतिशत शून्य होता है ।"
"हाँ बेटा ,ज्ञान को परीक्षा  के लिये सहेजना ही श्रेस्यकर  है । अब सो जाओ , दस बज गये हैं ।"
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, December 19, 2018

यही पासबान हमारे ....


भारतीय राजनीति में चंद ऐसे चमकते चेहरे हैं जो सदैव ही मंत्रीपद पर विराजमान पाये जाते हैं चाहे सरकार किसी भी दल की हो अर्थात वह हमेशा ही सत्तारूढ़ दल के साथ रहते हैं । देश के चुनावी मौसम को पहचानने में वह ’घाघ’ हैं ।2019 के चुनावी परिणामों का संकेत पाने के लिये आप किसी भी सर्वे पर भरोसा न करके बस इनकी गतिविधियों पर नज़र रखिये:
"...यही गुलिस्तां हमारे यही ’पासबान’ हमारे ....."
-ओम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, December 18, 2018

नववर्ष



कुछ दिन में नववर्ष भी अब आ के रहेगा,
सुख दुख में साथ रहने का  वादा करेगा,
पता नहीं घुमक्कड़ सुध लेगा भी किसी की
या ऋतुओं मे  इसका बस ठिकाना रहेगा !
-ओम प्रकाश नौटियाल

Monday, December 17, 2018

किसी से कहना मत !!

जिला हापुड़ के गांव गजालपुर के लोगों ने अपने श्रम तथा धन दान के बल पर काली नदी पर 25 लाख आंकी गयी अनुमानित लागत के पुल का निर्माण स्वयं ही मात्र  6 लाख रुपये की लागत में   करवा लिया । इस पुल के न होने से गाँव वालों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 12 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ता था ।अब डर यही है कि कहीं उनकी यह मुहीम वायरल होकर गाँव गाँव पहुँचकर सरकारी घूसखोरों  और भ्रष्ट विकासशील नेताओं की रोजी रोटी पर लात न मार दे । भला 6 लाख में भी कहीं ऐसा पक्का पुल बनता है ? आप भी किसी से मत कहिएगा !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Sunday, December 16, 2018

पहाड़ों से दूर


अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस

अति जटिल किसी विषय पर ,कैसे देंगें राय ?
जब तक मिले न आपको, भाप उड़ाती चाय !!
-ओंम
आज अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत भारत, नेपाल, तंज़ानिया जैसे प्रमुख चाय उत्पादक देशों ने चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के मुद्दों और समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 15 दिदम्बर 2005 से की थी। अध्य्यन के अनुसार पानी को छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक पिया जाने वाला पेय 'चाय' है।
वीकिपीडिया के अनुसार सबसे पहले साल 1815 में कुछ अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय कबाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे.
- भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया. इसके बाद 1815 में असम में चाय के बाग लगाए गए.
- कई जगह चीन से भी चाय का इतिहास जोड़ा गया है.
(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, November 26, 2018

Friday, November 23, 2018

Tuesday, November 20, 2018

ललक


छायांकन

छायांकन तकनीक में, अद्भुत हुआ कमाल
सेब जैसे दिखते हैं, किसमिस जैसे गाल !!
-ओंम

Saturday, November 10, 2018

झूम झूम निर्भय जलना



सदियों यह अँगना दीप्त रहा
तम पी पी दीया तृप्त रहा
थी दीप चाह केवल प्रकाश
ज्योत पर सदा आसक्त रहा
किरण किरण झरता  झरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
क्षरते तन जन्य दैविक शक्ति
अविरल आलोक न दे  थकती
दीया बाती का  प्रणय मिलन
प्रदीप्त कुटिया हर कक्ष सहन
टुकुर टुकुर टक टक  तकना
झूम झूम निर्भय जलना

माटी से जीवों का उद्गम
माटी में फिर अंतिम संगम
माटी बाती करते मंथन
माटी माटी का चिर बंधन
संग संग जीना मरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
जब मानव काया माटी की
शय्या बाती की माटी की
बंधुत्व भाव ले  तिमिर अंत
रहे  ज्योत दीप्त मृत्यु पर्यंत
हँस हँस  बाती तन क्षरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा
(सर्वाधिकार सुरक्षित )मोबा.9427345810

वंशवाद


वंशवाद लोकतंत्र के लिये धीमे  विष के  समान है जो निरंतर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को खोखला किये जा रहा है । प्रमुख राजनीतिक दल वंशवाद जन्य संकट के विरूद्ध समय समय पर लोगों को सचेत तो करते रहे हैं किंतु कभी कोई बहुत कारगर कदम उठाने की दिशा में बड़े पैमाने पर सार्थक पहल नहीं कर सके । अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि इस बार हो रहे  विधान सभा चुनाव में इस खतरे को समूल नष्ट करने के लिये सभी बड़े दलों में अब अलिखित आम सहमति हो गयी है और सभी दलों ने समस्त विरोध की अवहेलना करते हुए अधिक से अधिक  ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिये है जिन्हें वंशवाद का पूरा अनुभव और ज्ञान है और जो इसी माहौल में  पले बड़े हुए हैं । परिणाम स्वरूप सभी दलों ने अपने  बड़े बड़े नेताओं के पुत्र, पुत्रियों, दामाद ,बहुओं , भाई ,भतीजों जैसे तमाम संबंधियों को बेहिचक वंशवाद के विरुद्ध  युद्ध के लिये टिकट बाँट  दिये  हैं :
कुनबा सभी झोंक दिया,करने इसका अंत
काट सकेगा अब नहीं , वंशवाद का डंक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, November 7, 2018

बधाई हो !!!


चैनलों पर प्रसारित समाचारों के अनुसार कई स्थानों पर प्रदूषण AQI (Air Quality Index ) 900 के पार पहुँच गया और इसके साथ ही यह मिथक भी चूर चूर हो गया कि 500 से उपर   का प्रदूषण स्तर जीने के लिये बेहद खतरनाक  है ।900 AQI के पार पहुँचे स्थानों के लोग उसी उत्साह से जी रहें हैं जैसे अब तक जीते आ रहे थे । हम भारत वासी हैं हलाहल खा पीकर भी जिंदा रहना  जानते हैं फिर  तथाकथित विषाक्त हवा हमारा क्या बिगाड़ सकती है ? वर्षो से न जाने किस किस प्रकार के विषमय अनुभवों के मध्य जीवन यापन ने विष के प्रति हमारी प्रतिरोधक क्षमता को इतना सशक्त कर दिया है कि अब हम  विषाक्त हवा, पानी, भोजन के लिये पूरी तरह तैय्यार हैं । इसके लिये हम सभी बधाई के पात्र हैं !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, October 31, 2018

नमन !!

विश्व की सबसे ऊँची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का आज  माननीय प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया ।
लौह पुरुष को कोटि कोटि नमन !!
-
जीवित हुए आज पुनः, लौह पुरुष सरदार
सूत्रधार एकीकरण ,प्रतिपालक संस्कार !! 
-ओंम

Saturday, October 27, 2018

’मेरी उम्र इन्हें लगे’


करवाचौथ

शास्त्र वर्णित है  जिस स्थान पर तिरस्कार मिले वहाँ नहीं जाना चाहिये  इसी कारण बहुत से पति शाम को काम से लौटकर केवल विवशता के वशीभूत ही डरते डरते घर जाते हैं । लेकिन आज का दिन अलग है पति लोग बेझिझक   घर जा सकते हैं उनको न केवल भरपूर आदर मिलेगा वरन पत्नी आरती भी उतारेगी ।
-
एक दिन के लिये सही, घर में होगा राज
मिली वर्ष भर डाँट तब,शुभ दिन आया आज !
-ओंम
करवाचौथ की शुभकामनाएं !!

Tuesday, October 23, 2018

रिश्वत

रिश्वत इतनी लीजिए , जा में जगत समाय
आप  खरब पति बन सको, शत पीढ़ी तर जाय !
-ओम

Thursday, October 18, 2018

Tuesday, October 9, 2018

देश बदल रहा है !!


चालीस वर्ष पूर्व हरियाणा विधान सभा एक्ट (संशोधन ) 1978 द्वारा यह प्रावधान किया गया कि यदि कोई जन प्रतिनिधि एक दिन के लिये भी विधायक रहता है तो वह जीवन पर्यंत पेंशन पाने का अधिकारी होगा । तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मोरार जी देसाई तथा उस समय के बहुत से सांसद एवं विधायक जन प्रतिनिधियों की पेंशन के विरुद्ध थे और इसे जनता से धोखाधड़ी और राजनीतिक भ्रष्टाचार की श्रेणी में समझते थे  ।अतः  सांसदों और विधायकों  के एक प्रतिनिधि मंडल ने, जिसमे आ. सुषमा स्वराज भी सम्मिलित थी , इस के विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिलकर  उन्हें ज्ञापन दिया था ।तब से अब तक राजनीतिक सोच और नैतिक मूल्यों में कितना बदलाव आ गया है । आज जन प्रतिनिधियों के वेतन में बढ़ोत्तरी , पेंशन , आवास तथा उनकी अन्य सुख सुविधाओं संबंधी मुद्दे मिनट भर में सर्वसम्मति से  तय हो जाते हैं , विरोध में एक स्वर सुनाई नहीं देता । भ्रष्टाचार की परिभाषा बदल गई है । देश बदल रहा है ।
" ये कहाँ आ गये हम यूँ ही साथ चलते चलते ...."
 (आधार- IE column - 40 वर्ष पूर्व)
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Sunday, October 7, 2018

अखबार हूं !!


इलज़ाम मुझ पर यह कि मैं हूं जुर्म से भरा 
आदत नहीं ,जो घट रहा, उसको छिपाने की,
दी ऐसी भी खबरें कि जो अब तक नहीं घटी
क्या मेरी नहीं जरूरत कुछ खाने कमाने की !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, October 5, 2018

पृष्ठ वही पर चार ।


कभी खुशी कभी ग़म !!

ले उछाल रुपया गिरा, बीच खेल मैदान
टास जीत कर खुश हुआ, भारत का कप्तान,
पर जब मुँह के बल गिरा, रुपया जग बाजार
अर्थ तंत्र घबरा गया, दरक गया आधार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Tuesday, October 2, 2018

Monday, October 1, 2018

नमन !!

बापू को सादर नमन !!
बापू ने कहा था "सत्य की राह पर चलें "
सत्य की राह बड़ी दुर्गम होती है। अतः सड़क के गड्ढों के भरने की उम्मीद किये बिना सच की कठिन डगर पर सहर्ष बढ़ते रहिए । 

बापू को सादर नमन !!


Sunday, September 30, 2018

लघु- कथा सहित्य शिरोमणि -ओम प्रकाश नौटियाल

" मुदित जी, मौहल्ले की हिंदी साहित्य समिति ने इस बार सर्व सम्मति से निर्णय लिया है कि हिंदी पखवाड़े के समापन दिवस पर आपको
साहित्य शिरोमणि उपाधि से अलंकृत किया जाय । इस आयोजन के लिये 30 सितम्बर को साँय 7 बजे परमार्थ सभागार में एक वृहद आयोजन का प्रस्ताव है जिसमें गणमान्य लोगों की उपस्थिति में स्थानीय कवि कविता पाठ करेंगे ।विधायक पाण्ड़े जी मुख्य अतिथि होंगे । नगर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों के संपादक होंगे ।बस आपकी स्वीकृति की देर है ।"
महेश मास्टर जी का प्रस्ताव सुनकर मुदित जी की खुशी का पारावार न था । पर संयमित होने का प्रयास करते हुए तथा  बाहर से कुछ औपचारिकता दिखाते हुए धीरे से बोले " अरे, मास्टर जी भला मैंने ऐसा क्या कर दिया है ?"
" मुदित जी यह तो आपका बड़प्पन है जो ऐसा कहते हैं ।वरना हमारे व्हाट्स एप ग्रुप में तो आप ही हिंदी के सबसे अधिक पोस्ट्स फारवर्ड़ करते रहते हो ।"
" ठीक है मास्टर जी , अब जो भी आप लोग उचित समझें । कोई सेवा हो तो बताइयेगा ।"
" सेवा कैसी मुदित जी , आपने अनुरोध स्वीकार किया हम सब धन्य हुए ।बस आप इस आयोजन का प्रबंध कर लीजिएगा । 100 लोगों का खाना चाय पानी , निमंत्रण पत्र, बुके, मोमैन्टोज, शाल , स्टेज आदि यानि कुल मिलाकर पच्चीस हजार तक में हो जायेगा जो आप जैसे व्यापारी के लिये साधारण सी रकम है ।"
मुदित जी क्षण भर सोचकर बोले , " प्रबंध तो सब आप ही लोग कीजिए मुझसे बस पैसे ले लीजिए । और हाँ, अखबार वालों को बुलाने में  कंजूसी मत कीजिएगा ।"
"मुदित जी , बिल्कुल ,निश्चिंत रहें । आप तो बस चैक काट दीजिए बाकी हम पर छोड़ दीजिए । अपने यहाँ की प्रतिभाओं को सम्मानित करने में हम कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे ।"
और मुदित जी को लगा देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान की मंजिल पाने की सीढ़ी पर उन्होंने पहला कदम रख दिया है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित)

Wednesday, September 19, 2018

’जल लोटा’


कर्मवीर

"पापा ,देखिए न मँहगाई  कितनी बढ़ गयी है । आप विधायक हैं कुछ कीजिए न ।"
और अगले ही दिन विधान सभा में एक प्रस्ताव आया जिसके अनुसार आधे घन्टे में ही सर्व सम्मति से सभी विधायकों का वेतन 65% बढ़ा दिया गया । मँहगाई भी भला किनसे पंगा लेने चली थी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, September 18, 2018

प्रचार महिमा

धारा में अब बह गये, हम भी धारों धार
किसी दल में मिल जायें, आया यही  विचार,
आया यही  विचार, यहाँ खपते बड़ बोले
कहते मन की बात, गाँठ मन की  बिन खोले,
अंधी श्रद्धा,  ढोंग,  होगा  इनका  सहारा
प्रचार धो दे मैल , शुद्ध हो गंगा धारा  !!!
-ओंम प्रकाश  नौटियाल

Wednesday, September 12, 2018

हिंदी पर नाज है


करोड़ों जनों की भाषा
फूलेगी फलेगी स्वतः,
प्रचार संबल की न
यह मोहताज है !
सिद्ध सृजन से सजा
सहित्य सँवरा हुआ,
वाहक संस्कृति का
मन की आवाज है !
कितनी भी खुल जाएं
अंग्रेजी शाला देश में,
मातृ भाषा ही में सोचे
हिंद का समाज है !
सीखो अन्य भाषाएं भी
देश या विदेश की हों
हिंदी पर तो हमेशा
रहे  किंतु नाज है !!!
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, September 10, 2018

"लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " -आत्म कथा -श्री रस्किन बौन्ड़

"लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " -आत्म कथा -श्री रस्किन बौन्ड़
पद्म श्री और पद्मभूषण से सम्मानित लेखक रस्किन बाँड़ की 2017 मे प्रकाशित तथा ‘अत्ता गैलाट्टा-बैंगलोर साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार’  से सम्मानित आत्मकथा "लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " यूं तो अपनी शैली , संघर्षपूर्ण और समर्पित जीवन यात्रा के रोचक और प्रेरक प्रसंगो, अभूतपूर्व प्रकृति चित्रण के कारण सभी के लिये पठनीय है किंतु प्रकृति प्रेमी तथा शिमला , देहरादून , मसूरी  दिल्ली और जामनगर में जीवन के कुछ वर्ष व्यतीत कर चुके पाठक तो अवश्य  ही इसे पढकर बेहद प्रसन्न और लाभावन्तित होंगे । चालीस, पचास व साठ के दशकों  में इन स्थानों की स्थिति, लोगों की जीवन शैली , प्राप्त सुविधाओं आदि का वर्णन आपको अतीत के गलियारों से इन स्थानों का जो चित्र प्रस्तुत करता है वह अत्यंत रोमांचित करने वाला है। देहरादून, शिमला , मसूरी के वह स्थान जो आज भीड़ और व्यस्तता के लिये जाने जाते हैं कभी दुर्गम रास्तों की पहुंच मे थे । विभिन्न प्रकार के पशु पक्षीयों , वृक्षों का वर्णन  अनुपम है ।इन शहरों और देश की कुछ प्रसिद्ध हस्तियों के तब के जीवन की झलक भी, जिनसे रस्किन की मुलाकात अनायास ही जीवन के किसी मोड़  पर हो गयी, आत्मकथा को अविस्मर्णीय बनाती है । अविवाहित 84 वर्षीय  श्री रस्किन ओवन बौन्ड़ ,जो किसी भी भारतीय से कम भारतीय नहीं हैं , आजकल मसूरी में अपने पहाड़ी दत्तक परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं । ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे ।
-ओम प्रकाश नौटियाल

Sunday, September 9, 2018

विजयी होने के लिये

अश्रुओं से भीगी कहानी सुनानी चाहिए,
बरगलाने की आपको अदा आनी चाहिए,
दौलत ही काफी नहीं विजयी होने के लिये
कुछ धूर्तता औ’ मक्कारी भी आनी चाहिए !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, September 5, 2018

एक और पुल...

तुम्हारे शहर में
अकसर दरकते हैं पुल
हमारे प्रेम नगर के
सभी सेतु सुद्दढ़ हैं
क्योंकि
बने हैं प्रीत घोल से
यहाँ आओ
घृणा गाद की वैतरणी
मिल कर पार करें
प्रेम सेतुओं के माध्यम से !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, August 29, 2018

सौगात !

हमने कही मजाक में, अच्छे दिनों की बात
जाने क्या सोच सब ने, दिल से लगाली बात
हम ही अगर  दुखियों से,  दिल्लगी ना करेंगे
देगा भला उन्हें कौन, हँसी की फिर सौगात !
-ओंम प्रकाश नौटियाल


Wednesday, August 15, 2018

शान्ति और अखबार

पारिवारिक जीवन में शान्ति स्थापित करने में दैनिक अखबार  का अमूल्य योगदान रहता है । सुबह  अधिकतर घरों मे कम से कम एक घन्टे तक  उस समय युद्ध विराम रहता है जब पति पत्नी  दुनियाँ भर में हो रही मार काट और झगड़ों के समाचार शान्ति के साथ चटखारे ले ले कर पढ़ रहे होते हैं ।लेकिन १६ अगस्त के दिन जब अखबार नहीं आता तब गृह युद्ध के बादल सुबह से ही बस बरसते  रहते हैं बिना कुछ देर को भी थमने का नाम लिये !!!   
-ओम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, August 14, 2018

स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं !!


जरा याद उन्हें भी कर लो ......
-
भूधर से द्दढ़ इरादे, उस पर हृदय विशाल
अंतस में रही जलती , स्वतंत्रता की ज्वाल,
जो सहर्ष  मिटे करते , माँ की मान रक्षा
युगों तक न कुंद होगी, उस त्याग की मशाल !!
-ओम प्रकाश नौटियाल 

Sunday, August 12, 2018

दो कुण्ड़लियाँ

                      -1-
बोला नेता जोश में, अब न गरीबी शेष
तभी कृषक ने कर दिया, वर्णित अपना क्लेश,
वर्णित अपना क्लेश, निवाले तक को तरसे
हुई  न मुश्किल दूर ,रोज बस वादे बरसे,
फल खायें धनवान, कृषक का खाली  झोला
भरे नहीं यह पेट, दुःखी हो कृषक  बोला !!
                     -2-
आने वाले दिनों में, खूब मनेगा जश्न
अनसुलझे लेकिन खड़े, पिछले सारे प्रश्न,
पिछले सारे प्रश्न ,भूख शिक्षा के मसले
सुता,बहन की खैर ,निरंतर बढ़ते घपले,
कहें ओम कविराय, कोई माने न माने
मची देश में लूट , बात सच सोलह आने
-ओंम प्रकाश  नौटियाल

Tuesday, July 31, 2018

"जोड़ो ” का दर्द !!

"जोड़ो ” का  दर्द !!
"जोड़ो ” का यह दर्द भी ,बड़ा भयंकर रोग
जोड़े फिर भी बन रहे ,बड़े नासमझ लोग,
बड़े नासमझ लोग , जानकर मक्खी निगलें
रक्खें छुरी पर पैर, और फिर रोयें पगले,
करें न ’ओम’ विवाह , बनाना ’जोड़े’ छोड़ो
मिले दर्द से छूट , खुशी से नाता जोड़ो !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Friday, July 20, 2018

"नीरज"

बौछार पावस की बड़ी खुशियाँ बिलोती है,
बूंदें बैठ पत्तों पर मोती संजोती हैं,
"नीरज" जी विदा क्या हुए इस भीगे मौसम में
बादल कराहते हैं बरसात रोती है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Saturday, May 26, 2018

युग प्रणेता

लायें अच्छे अंक जो, हो उन पर अभिमान
असफल छात्रों का मगर , करें नहीं अपमान
करें नहीं अपमान, सभी कल नेता होंगें
थाम देश की डोर ,युग के प्रणेता होंगें
कहें ’ओंम’ कविराय , इन्हें भी गले लगायें
भविष्य का कर ध्यान , जो अधिक अंक न लायें !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, May 16, 2018

हीरे


सेवक अपने देश के, हीरे हैं बेजोड़
बिकने पर जो आ गये,मूल्य है सौ करोड़ !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Sunday, May 13, 2018

विश्व मातृ दिवस

   माता तेरी छाँव में , सुन्दर यह संसार
   ढूंढे से मिलता नहीं, ऐसा निश्छल प्यार,
   ऐसा निश्छल प्यार, कहूं क्या तेरी माया
   पा आँचल की छाँव,, पड़े न दुःख का साया,
   ना जानू  प्रभु  ठौर, बसे हैं कहाँ विधाता
   मेरी तो आराध्य और भगवन तुम माता !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, May 9, 2018

ठाठ से है जी !!

ज़ैड़ सुरक्षा चाहिए
जिनका सदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Thursday, May 3, 2018

उपयोगी हथियार !!

राजनीति की द्दष्टि से, समझो भ्रष्टाचार
मूर्ख बनाने का हमें, उपयोगी हथियार !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

जनमत का त्यौहार

जब देश मे कहीं मने ,जनमत का त्यौहार
वादों की लगती झड़ी, जुमलों की भरमार,
जुमलों की भरमार ,जो कि जन जन मन भायें
सम्मोहित हों लोग, नयी उम्मीद लगायें
कहें ’ओंम’ कविराय ,रुकेगा शायद यह तब
देंगे सुनना छोड़ , चुनावी भाषण सब जब !!
-ओंम प्रकाश  नौटियाल

Tuesday, May 1, 2018

इस्पात करके देख


इस्पात करके देख    -ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
जो कह रहा वो पूरी कभी बात करके देख             
दुश्मन की तरह सामने से घात करके देख                       

अच्छा नहीं हर वक्त य़ूं जज्बात में बहना             
इरादों को तू भी कभी इस्पात करके देख              

जरूरी है मिलते रहें , नेह, स्नेह की खातिर            
शहर को अपने तू कभी देहात करके देख              

अच्छा नही फूट डालना निज स्वार्थ के मारे            
पी कर बुराई स्वयं को  सुकरात करके देख            

देश के शत्रुओं को न  कोई हमदर्दी  मिले             
दुष्टों के जुल्म पे जरा जुल्मात करके देख             
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

फुटपाथ पर पैदा हुआ


फुटपाथ पर पैदा हुआ-ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
फुटपाथ पर मुर्झाया वह फुटपाथ पर खिला,            
न शिकवा किसी से न गरीबी का कोई गिला           

पैदा हुआ और  फिर वो बस जवान हो गया,           
इस  छलाँग में लेकिन उसे बचपन नही मिला।         

जवानी के पुराने कपडे यूं रास आ गये,               
चिपके रहे जब तक रहा साँसों का सिलसिला।          

राज मार्ग क्यों कर भला फ़ुटपाथ तलक आते          
उसका जग फुटपाथ था और वही रहा  किला।          

भारत चमक रहा,  उसे गर्मी में लगता था,            
तिलमिलाता सूरज मगर करता था पिलपिला।          

आजाद भारत में उसे नहीं आशियाँ मिला              
                        फुटपाथ ही था देश वह वहाँ से नहीं हिला ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

कर नाटक


मजदूर दिवस

सत्ता में भागी बने, भारत का मजदूर
स्वेद कण तब दमकेंगे, स्वर्ण समान जरूर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, April 27, 2018

तेरा गगन मेरा गगन-

तेरा गगन मेरा गगन-ओंम प्रकाश नौटियाल

कितना उदास आज है
तेरा गगन मेरा गगन
खगों से भी विरान है
तेरा गगन मेरा गगन

नीरवता के शोर में
है मन अजब बेचैन सा
सिसकी की भेंट चढ गया
तेरा अमन मेरा अमन

पुष्पित कभी जहाँ हुए
प्रेम के महके सुमन
कैसे हुआ उजाड़ अब
तेरा चमन मेरा चमन

लिखे जो प्रेम गीत थे
दिल के रक्तिम रंग से
बदरंग उनको कर गया
तेरा वहम मेरा वहम

मुँह पर न अब हँसी रही
शत शूल में फँसी रही
दोनों के लब सिल गया
तेरा अहम मेरा अहम

देखा किये विस्तृत नभ
नीम तले इक छोर से
नीम ही कर गया अलग
तेरा सहन मेरा सहन

-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

मै शापित

मै शापित -ओंम प्रकाश नौटियाल

मुड़कर जब जब देखा मैंने
हत्यारे मेरे पीछे थे
मेरे भ्रूण  हत्या को आतुर
क्रोधित हो मुट्ठियाँ भींचे थे

जब थोडी बडी हो गई मैं
तुतलाकर लगी बोलने कुछ
वो कह कह बेटी पुचकारें
भीतर पिशाच सरीखे थे

तरुणाई ने अँगडाई ली
पाया सब ओर भेडिए थे
भक्षण को मेरे लालायित
वह अकसर मुझको खींचे थे

विवाहोत्तर भी अभिशप्ता
दुखित सदैव विक्षिप्ता
अनुरागी आचरण से मेरे
मानों सब अंखियाँ मीचे थे

आँचल से स्नेह उंडेला था
तानों को ही बस झेला था
उस आँचल को  जला दिया
सींचे जिसने प्रेम बगीचे थे
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

Thursday, April 26, 2018

आशीर्वाद

आशीर्वाद -ओंम प्रकाश नौटियाल
(अखिल भारतीय डा. कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता के लिये 6/11/2017 को sahityasamarth@gmail.com को प्रेषित )
पंडित त्रिभुवन जुयाल का एक ही पुत्र था-विनोद । पंड़ित जी अध्यापक रहे , अब सेवा निवृत हैं । उनका पुत्र विनोद हैदराबाद की एक आई टी कम्पनी में कार्यरत है ।  पंडित जी पहाडों से उतर कर यहां कैसे आ बसे , इस विषय में वह बताते हैं कि उनके पिता देहरादून में सर्वे आफ इन्डिया में थे और बाद में स्थानन्तरित होकर हैदराबाद पहुंच गए ।पंड़ित जी को साँस की पुरानी बीमारी थी  पर हैदराबाद की जलवायु उनके लिए बेहद माकूल रही और वह यहाँ इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा गए। शुरू शुरू में परेशान शाकाहारी पंड़ित जी ने हैदराबादी मछली वाला इलाज भी किया और समय के साथ काबू में आती बीमारी से उन्हें यह विश्वास हो गया की सब मछली की करामात है । पर एक बार उन्हें जब लम्बे समय के लिए सर्दियों में देहरा दून जाना पड़ा तब उनको वहाँ इस बीमारी ने फिर गिरफ्त में ले लिया । हैदराबाद आकर वह कुछ दिनों मे काफी हद तक ठीक हो गए । उसके बाद भारी मन से उन्होंने देहरादून परिवार जनॊं के साथ बसने का विचार त्याग कर साथियों के सुझाव पर वहीं बंजारा हिल्स के पास कुछ जमीन लेकर तीन चार साल में छोटा दो मंजिला मकान बना लिया । तब तक वह सेवा निवृत भी हो चुके थे । आज तो यह जगह हैदराबाद के पोश इलाकों मे से है ।विनोद की शादी भी उन्होंने यहीं से की पर बहू उनकी अपनी बिरादरी की थी -उत्तरकाशी से ।विनोदकी एक ही संतान थी -यामिनी ।
समय धीरे धीरे बीतता गया । विनोद तो पढ़ने मे औसत ही रहा था पर यामिनी बड़ी कुशाग्र थी ।सीबीऐसई से 12 वीं करने के बाद उसका जेईई आईआईटी में 552वाँ रैंक आया और उसे चेन्नई आईआईटी में दाखिला  मिल गया। पंडित जी के पिता जी तो खैर कभी के स्वर्ग वासी हो चुके थे वह स्वयं भी बुढ़ापे में प्रवेश कर चुके थे ।यामिनी से उन्हें बेहद प्यार था । एक वही थी जिसे दादा जी के पास बैठकर उनसे उनके बचपन और जवानी के किस्सों को सुनने मे मजा आता था । अपनी भी हर बात वह दादा जी को  सुनाती थी । अब उसके चेन्नई चले जाने से उनकी जिंदगी उदास सी हो गई थी  हाँ यामिनी शनिवार के दिन नियम से फोन पर दादा जी से लम्बी बात करती थी । दादा जी को भी शनिवार रात्रि साढ़े नौ बजे का इंतजार रहता था ।विनोद तॊ वैसे ही कम बोलते थे फिर उनकॆ पास समय का भी अभाव रहता था। यामिनी की माँ तो घर कार्य में व्यस्त रह्ती थी वैसे वह भी बोलने मे कंजूस थी । पर नेक हॄदय और सच्ची महिला थी ।
दादा जी को आज यामिनी की फिर बहुत याद आ रही थी । कल ही तो उसने लम्बी बात की थी । जब वह यहाँ होती थी तो अकसर जिद करती थी ,’दादा जी करीम चाचा वाला किस्सा सुनाओ न? ’ दादा जी न जाने कितनी बर वह किस्सा सुना सुना कर थक चुके थे पर यामिनी की जिद वह टाल नहीं सकते थे उसे न जाने इसमें क्या मजा आता था } अकसर सुनती थी और उसकी कोई सहेली आ जाए तो उसे भी सुनवाती थी } दादा जी कुछ शर्माकर हल्की सी मुस्कराहट के साथ शुरु हो जाते थे ।
" करींम मेरा हम उम्र ही रहा होगा ।आज तो इस दुनियाँ मे नहीं है ’ इतना कहकर दादा जी की आँखे नम हो गई । ’खैर जहाँ भी हो खुश रहे,उस वक्त हम लोग टिहरी मे थे मैं सातवीं या आठवी में रहा हुंगा ।करीम ने स्कूल छोड़ दिया था। घर के करोबार में पिता की मदद करने लगा था ।अब करोबार भी क्या था ? गली गली रूई पिनने और रजाई भरने की फेरी लगाते थे । गाँव में  उसके दोस्त कम थे पर मुझे वह बड़ा अच्छा लगता था } जिंदा दिल इंसान था ।उसे भी मेरा साथ पसंद था और कभी फुरसत के वक्त मेरे पास आ जाता था उसका कमाल अंग्रेजी बोलने में था ।‘उसे अंग्रेजी का A भी नहीं आता था ,पर धारा प्रवाह उट पटाँग अंग्रेजी ऐसे लहजे में बोलता था कि एक बार को तो अंग्रेज भी चकरा जाएं और उसमें कुछ अर्थ ढूंढ़ने की नाकाम कोशिश करने लगें । दादा जी जब उसकी नकल करते थे तो अंदाज हो जाता था कि मूल स्वरूप यानि करीम चाचा वाला कै्सा रहा होगा । यामिनी जाने क्यों सुनकर लोट पोट हो जाती थी। दादा जी सुना सुना कर उब जाते थे पर यामिनी की जिद के सामन विवश हो जाते थे। एक आध बार उन्होंने यामिनी को प्यार से समझाया भी," बॆटा तुम्हे इस किस्से में मजा आता होगा पर औरों को क्यों बोर करती हो ?" पर यामिनी कहाँ मानने वाली थी।दादा जी ने  एक  सुझाव भी दिया, "बेटा तू अपने मोबाइल पर इसका विडियो बना ले , फिर जब चाहे सुनती रह और सुनाती रह ।"
दादा जी के सुझाव पर कुछ विशेष उत्साहित न होकर यामिनी ने विडियो तो बना लिया, पर देखने के बाद बोली ," दादा जी आप कैमरे के आगे कुछ नरवस हो गए, उतना मजा नहीं आया। अब आप जब सामने होगे तब तो मैं आप से ही सुनुगी, हाँ आपकी अनुपस्थिति में इसका उपयोग अर लिया करूंगी ।दादा जी समझ गए कि पीछा छुडाना मुश्किल है ।अतः चुप हो गए ।
विनोद कुछ गंभीर किस्म का बापनुमा आदमी था ,जो अपनी मान्यता अनुसार छॊटों को ज्यादा मुँह नहीं लगाता था ।यामिनी की दादी थी नहीं ,माँ अकसर गृहकार्यों मे व्यस्त रहती थी अधिक पढ़ी लिखी नहीं थी ।यामिनी की माँ से तो बस काम  की ही बातें होती थी ।गप मारना माँ के स्वभाव में नहीं था। यामिनी को यह गुण शायद दादा जी से विरासत में मिला । खूब छनती थी जब दोनों मिलते थे घन्टों बातों का सिलसिला चलता था । हैदराबाद मे यामिनी की एक दो प्रिय सहेली थी । पढ़ती तो वह भी  हैदराबाद के बाहर ही थी पर छुट्टिया अकसर साथ हो जाती थी । किसी सहेली के होने पर दादा जी से गप का समय कुछ घट जाता था जो उन्हें कतई नहीं भाता था ।
इस बार छठे सैमेस्टर की समाप्ति पर यामिनी जब हैदराबाद आई तो कुछ बदली बदली सी थी । दादा जी के सामने भी कुच असहज सी पेश आ रही थी मानो किसी तनाव में हो ।दादा जी को लगा कि सब कुछ शायद सामान्य नही है , उसने अब तक करीम चाचा वाला प्रसंग सुनाने की फरमाईश भी नही की । दादा जी ने एक दिन उसे पास बैठ कर पूछ ही लिया,"यामिनी बेटा , मुझे लग रहा है तुम कुछ तनाव में हो। शायद कुछ कहना चाहती हॊ पर कह नही पा रही हो । कोई बात है तो निःसंकोच बोल दो ।"सुनते ही यामिनी को मानो जीवन दान मिल गया हो। कुछ संयत होकर बोली ।
"आप ठीक कह रहे हो दादा जी।सोचकर आई थी कि घर पहुंचते ही सबसे पहले आप को बता दूंगी । पर हिम्मत ही नहीं हुई। पापा को भनक लगेगी तो शायद मुझ्रे खा ही न जाएं ।"
"कोई लड़का पसंद कर लिया है क्या?" दादा जी ने पूछ लिया। यामिनी कुछ और नारमल होते हुए तपाक से बोली " दादाजी , आपकी इस बात से तो मुझे फ़िल्म ’जब वी मैट ’ के दादाजी का डायलाग याद आ गया जब वह कहते है कि ’हमारी उम्र में यह सब ताड़ने में देर नहीं लगती’ । आप ठीक कह रहे हैं ।"
" अरे , सचमुच ! यह तो गंभीर विषय है। तेरी जिंदगी का सवाल है। कौन लड़का है? कहाँ रहता है? तेरे कौलेज का ही है न ? क्या कर   रहा है? फोटो है तेरे पास? सब कुछ बता न  विस्तार से।"
"दादा जी सबकुछ बताऊंगी ,पर आप पापा को संभाल लेना प्लीज "
"  अरे पहले मुझे तो कुछ पता  चले"
"दादा जी, वह भी चैन्नई आई आई टी मे है । होशियार है उसका JEE में 252  वा रैंक था ।लम्बा है , स्मार्ट है पर बड़ा सिंपल । घर उसका त्रिवेन्द्रम में है, अब जो  तिरुवनंतपुरम कहलाता है।
" त्रिवेन्द्रम में ?’ दा्दा जी चौंक पड़े । "यानि केरल से है? नाम क्या है ?
"उसका नाम है मोहन थौमस ।"  यामिनी  ने थौमस पर कुछ जोर डालकर बताया जिससे बात पहले ही साफ हो जाए।
"यह तो क्रिश्चियन नाम है। मैं इसमें अपनी क्या राय दूंगा ? विनोद तो भडक जाएगा। "
" दादा जी...ई...ई...ई प्लीईईज ।ऐसा मत कहिए। सब कुछ आपके हाथ में है  । आप ही पापा को समझा सकते हैं "
" मैं तो खुद कुछ नहीं समझा तो उसे कैसे समझाउंगा। नहीं , नहीं , इस काम के लिए तो तू मुझे बख्श ही दे ।"
"दादा जी अगर मैं उसे आप से मिलवा दूं तब तो आप अपनी राय देंगे न? या फिर धर्म, जात पात ही हावी रहेगी आपके उपर ।"
"इतना ही कह सकता हूं कि अगर मैं उससे मिलता हूं तो उसके बारे में मैं अपनी राय मैं केवल उसके गुणों के आधार पर बनाऊंगा। पर  तुम कब और कैसे मिलवा सकोगी उससे?"
"परसों मिलवा सकती हूं दादा जी । वह भी छुट्टियों में त्रिवेन्द्रम में है । एक दिन उसे तैयारी में लगेगा । परसॊं शाम तक आ्पसे मिलने आ जाएगा ।वह अपने माँ बाप का इकलौता लड़का है । उसके पापा का बिजनैस है काजू एक्सपोर्ट करते हैं, चाहते हैं वह अब बिजनैस देखे  । उसकी शादी भी जल्दी करना चाहते हैं उसके पीछे पडे है। बडॆ दबाव में है ।इसीलिए वह भी पहले हमारे परिवार का रुख देखकर यहाँ की स्वीकॄति चाहता है जिससे सबकुछ पटरी पर आ जाए और वह तनावमुक्त हो सके। मुझे यकीन है वह परसों जरूर आ पाएगा। बाकी तो मुझे कुछ नही कहना है आप परखियेगा"
"ठीक है ठीक है ।" दादा जी ने कहा " "लगता है तुमने ही पटकथा लिखी है, विनोद और अपनी माँ को क्या बताओगी कि कौन आया है?"
"आप उसकी चिंता न करें दादा जी, वह सब तो मैं संभाल लूंगी।आपको तो बस उसे शत प्रतिशत अंक देकर पास करना है।" यामिनी हंसकर बोली।
दादा जी बोले, " बेटा , सिफारिश इसमें बिल्कुल नहीं चलेगी । फकत योग्यता के आधार पर फैसला होगा।"
"मुझे आपकी पारखी नज़र पर भरोसा है ,दादा जी।पापा अम्मा को तो कह दूंगी मेरी सहेली का भाई आ रहा है। सहेली ने कुछ नोट्स भिजवाए हैं ।एक आध घंटा बैठकर अपने दोस्त के यहाँ चला जाएगा।" यामिनी  बोलते हुए कुछ उत्साहित सी लगी।
" ठीक है तुम उससे बात करके सब तय करो।" दादा जी ने कहा ।
यामिनी को लगा कि उसने पहला कदम तो सही ले लिया है।कुछ रिलैक्स होकर वह सीधे अपने कमरे में आई और मोहन को फोन करने लगी ।
" येस यामिनी , हाउ आर यू ? " उधर से मोहन की आवाज आई।
"ठीक ही हूं " यामिनी ने उत्तर दिया।
"’ही’ मीन्स ?"मोहन ने सवाल किया।
" अब मुझे तो तुमने इतना मुश्किल काम सौंप दिया और खुद छुट्टियों का मजा ले रहे हो । अच्छा सुनो ,मैंने दादा जी को तुम्हारे बारे में बता दिया है। क्या तुम कल आ सकते हो दादा जी से मिलने, वह तुमसे मिलना चाहते हैं ।"‘
" कल तो नहीं , परसों शाम को तुम्हारे घर पहुंच सकता हूं । तुम घर का पूरा पता , लैन्ड मार्क्स के साथ व्हाट्स एप कर देना। ठीक है न ?" मोहन ने कहा।
यामिनी के मन की बात हो गई थी । वह तो परसों का ही चाह रही थी । "ठीक है । पता वगैरह तो मैं सब विस्तार से बता ही दूंगी ।पर एक बात सुनो , दादा जी के अतिरिक्त अभी तुम्हारी असलियत  अन्य किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। मै पापा,अम्मा से कह दूंगी कि  सहेली का भाई आ रहा है । उसने कुछ नोट्स भिजवाए हैं । ठीक न?"
"अब वह सब तुम जानो। मुझे तो बस ओर्डर मानना है " मोहन की आवाज आई ।

" तो परसों शाम पक्का 06.30 बजे, दादा जी को इमप्रैस करने की तैय्यारी करके आना ।" यामिनी ने चकते हुए हिदायत दी
" अरे ,जब तुम्हे कर दिया । तो बुढऊ सारी ,सारी, दादा जी क्या चीज हैं ।" मोहन ने चुटकी ली ।
"अच्छा ज्यादा उड़ो मत , व्हाट्स एप पर अपना प्रोग्राम और मूवमैन्ट्स बताते रहना । बाय "
और फिर यामिनी उछलती हुई दादा जी के कमरे की तरफ भागी ।
"दादा जी मोहन परसों शाम आ रहा है । अब इतनी दूर से आ रहा है आप खयाल रखना ।" यामिनी ने दादा जी से अनुनय के लहजे मे कहा ।
" मुझे अपना काम पता है बेटा, तुम बाकी चीजें संभालो ।" दादा जी बोले ।

आज बुधवार है । मोहन को आना है ।आज ड्राईग रुम की साफ सफाई यामिनी कामवाली बाई से अपनी देख रेख में करवा रही है } पर सावधान भी है कि उसका यह उत्साह माँ न पढ ले । विनोद तो खैर आफिस जा चुका है ।
अम्मा ने अभी आकर उसे बताया कि तेरे पापा को शाम को खँडूरी जी के लड़के की शादी में जाना है ।
यामिनी को लगा कि सब कुछ अपने आप ही ठीक हो रहा है । दिन शुभ है ।
"  अम्मा खन्डूरी अंकल आन्टी हम लोगों को कितना मानते हैं पिछले साल दादा जी की बीमारी के दौरान अंकल ने कितने चक्कर लगाए थे और दौड़ भाग की थी ।पापा अकेले क्यॊं जा रहे हैं ? आप को भी जाना चाहिए ।"
" अरे मैं जाकर क्या करूंगी । घर का काम बिखर जाता है सारा । फिर शाम को तेरी सहेली का भाई भी आ रहा है ।"
"अरे वह कौन सा अफलातून है । मै चाय बनाकर पिला दूंगी । थोड़ी देर ही तो बैठेगा । अम्मा आप अवश्य जाइए ।आप किसी रिश्ते को अहमियत क्यों नहीं देती ।इतने अच्छे लोग हैं ,बिरादरी के हैं । हमारा कितना खयाल रखते हैं । आप को बस जाना ही है ।" यामिनी बोली । बिरादरी वाली बात कहकर वह खुद ही सकुचा गई ।
" अरे बेटी, रिश्तों को खूब अहमियत दूंगी । जरा हो तो जाए तेरा रिश्ता ।" अम्मा ने कहा।
यामिनी सुनकर कुछ सिहर सी गई । कहीं अम्मा को कुच भनक तो नहीं लग गई ।
फिर सहज होकर अधिकार के स्वर में बोली," और अम्मा , वह हरी वाली साडी पहनना।"
"ठीक है देखती हूं अब तो तूने मेरा श्रॄंगार भी कर दिया है ।"
यामिनी अपनी योजना पर मन ही मन बहुत खुश थी । अपने कमरे में जाकर तुरंत मोहन से संपर्क किया और कहा, " मोहन तुम मेरा संदेश मिलने पर ही आना । शाम के सात बजे के आसपास।"
"ठीक है ,मुझे भी यही टाइम सूट करता है।" वह बोला ।
शाम को जब यामिनी के अम्मा पापा तैय्यार हो गए तो उसने मोह्न को आने का संदेश दिया। मोहन पहले ही हैदराबाद के होटल पहुंच गया था और तरोताजा होकर यामिनी के संदेश की प्रतीक्षा कर रहा था।
इधर यामिनी के अम्मा पाप शादी के लिए घर से निकले और उधर घर के बाहर मोहन की टैक्सी आकर रूकी ।घर में दादा जी और यामिनी के अतिरिक्त अब कोई नहीं था ।यामिनी ने उसे ड्राइंग रुम मे बैठाया और हाल चाल जानने के बाद दादा जी को उसके आने की सूचना दी ।
दादा जी धीरे धीरे ड्राईंग रूम में आए और मोहन को देखते ही क्षण भर को हर्षमिश्रित आश्चर्य के साथ ठिठक से गए । उन्होंने अपने मन में मलयाली लड़के की जो छवि संजोई थी उससे हटकर उनके सामने एक गोरा छरहरे बदन का सुन्दर लड़का था, जो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया और उनके चरणों  मे झुक गया ।उसकी हाईट भी छः फ़ीट से शायद एक आध इंच ही कम होगी ।
दादा जी ने मोहन से मुखातिब होकर कहा ,’उम्मीद है तुम आराम से यहाँ पहुंच गए हो , घर ढूंढ़ने में कोई परेशानी तो नहीं हुई न ?"
"जी नही दादा जी ,यामिनी ने ठीक से गाइड़ कर दिया था।"
"वह तो मुझे पता था। खैर, अब हम बिना तकल्लुफ किए और समय को बरबाद न करते हुए सीधे काम की बात पर आ जाते हैं । मुझे पता चला है कि तुम लोग एक दूसरे को पसंद करते हो। पहले तो मै तुमसे यह जानना चाहता हूं कि तुमने यामिनी में ऐसा क्या देखा?"
मोहन ने दादा जी के इस प्रश्न पर चेहरे पर बिना कोई विशेष भाव लाए हुए संयत स्वर में उत्तर दिया," दादा जी मुझे उसका सबसे मीठे स्वर में बात करना और मित्रवत स्वभाव बहुत पसंद आया , दूसरे दुखियों और बेसहारों की समस्याओं के प्रति वह बेहद संवेदनशील है । जिसकी मैं सराहना करता हूं और पक्षधर भी हूं ।और हाँ सबसे बड़ी बात जिसने मुझे उसके इन गुणों को जानने और परखने की जरूरत महसूस करवाई वह है उसके व्यक्तित्व का आकर्षण । आपसे क्षमा चाहता हूं पर मेरे खयाल से इन सभी बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है ।"
" तुम्हारी हिंदी इतनी अच्छी कैसे है? खैर यह तो मैं तुमसे बाद में पूछूंगा । पहले यह बताओ कि कल्चर में अंतर होने के कारण क्या तुम सोचते हो कि यामिनी का पूरे परिवार में एड्जटमैन्ट संभव है ? इस बात पर तुमने विचार किया है कभी ?" दादा जी ने पूछा।
" दादा जी  इन सब विषयों पर मैंने बहुत गहराई से विचार किया है । हमारा काजू एक्स्पोर्ट का बिजनैस है ।पिताजी इस सिलसिले में बहुत से लोगों के संपर्क में आते हैं । इसलिए वह बिल्कुल खुले है इस मामले में ।और उन्होने शादी के बारे में भी पसंद वगैरह का काम मुझ पर छोड़ दिया है।
"मेरी दोनों बुआओं कि शादी भी उत्तर भारतीयों में हुई है जो दिल्ली में पढाई के दौरान उनकॆ संपर्क में आई ।मैं बचपन में बड़ी बुआ के पास दो साल दिल्ली रहकर पढ़ा भी हूं । अकसर छुट्टियों में लम्बे समय के लिए दिल्ली जाना होता रहा है । मेरी अच्छी हिंदी में दिल्ली, बुआ,   फूफा,और उनके परिवार जनों का बड़ा हाथ है ।बुआओं ने वहाँ बडी अच्छी तरह एड्जस्ट किया हुआ है ।पिताजी हमेशा कहते हैं अगर इंसान का स्वभाव अच्छा है संवेदनशील है तो उसके लिए कहीं भी एडजस्ट कर पाना कोई मुश्किल नही है । मैं इकलौता लड़का हूं , शादी करने का दबाव है । इसीलिए मैंने इस बारे में सभी पहलुओं से सोचने का प्रयास किया है ।आप लोगों की सहमति आवश्यक है जिससे मैं घर में अपनी पसंद बता सकूं ।" मोहन ने विस्तार से अपनी बात रखने की कोशिश की ।
दादा जी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे एक एक शब्द तोल रहे थे।’ और हाँ, एक बात बताओ बेटा , शादी के बारे में तुम्हारे परिवार के क्या विचार है ? कब, कहाँ और कै्सी शादी चाहते हैं?"
"दादा जी , अभी तो मैंने उन्हे अपनी पसंद बताई नहीं थी । वह लोग रोज ही एक दो प्रस्तावों पर मेरी राय माँग लेते हैं ।कितु मैं यह कह सकता हूं कि पसंद बताते ही वह तुरंत शादी करना चाहेंगे । मैं शादी को एक साल और यानि फाइनल वर्ष तक टालने का प्रयास कर सकता हूं । पता नहीं वह लोग मानेंगे कि नहीं?"
"अरे यामिनी चाय वगैरह तो ले आओ"
"जी दादा जी" कहकर यामिनी उठ्कर चली गई।
"हाँ मोहन तुम अपनी बात पूरी कर लो ।" दादाजी बोले।
"जी दादा जी ,जैसा कि आप जानते ही होंगे शादी वहीं पर हमारे पारिवारिक चर्च में होगी ।उसके बाद आप भी अपनी रीति के अनुसार वहाँ अथवा यहाँ शादी की रस्म कर सकते हैं ।"
" अरे बेटा , हम शायद बहुत आगे बढ़ गए हैं , अभी तो मुझे इसके अम्मा, पापा से बात करनी होगी।"
"ठीक है दादा जी, मुझे भरोसा है आप सबकुछ सुलझा लेंगे।"
कुछ देर में यामिनी चाय लेकर आ गई । चाय के साथ घर परिवार और पढ़ाई अदि के विषय में बातें चलती रही ।
चाय पीकर मोहन ने जाने की इजाजत ली ।"
" ठीक है मैं तुम्हे और नहीं रोकूंगा। इसके अम्मा पापा भी आने वाले होंगे । उनसे तो तुम्हे तभी मिलवाएंगे जब मैं उन्हे सब बातें पहले बता दूंगा।"
’अच्छा दादा जी ,आशा है आप मुझे A+ ग्रेड देंगे और आगे के लिए भी यह केस अपने हाथों में ले लेंगे।"
दादा जी उसकी बात पर मुस्कराए और यामिनी से बोले,"जा बेटी, बाहर तक छोड़ दे ।"
यामिनी और मोहन बाहर टैक्सी की तरफ जा ही रहे थे कि पापा और अम्मा आ गए सामने से।"
" अरे आप लोग तो बड़ी जल्दी आ गए। और हाँ यह मेरी सहेली का भाई है।" फिर मोहन से बोली "मेरे अम्मा पापा हैं ।"
अम्मा बोली ,"जा रहे हो क्या ? "
"जी हाँ अब चलता हूं । देर हो रही है ।"
यामिनी मन ही मन खुश थी कि चलो अम्मा पापा ने भी देख लिया ।
मोहन को  विदा कर यामिनी सीधे दादा जी के कमरे में गई और दादा जी के कान में फुसफुसाई ,"दादा जी अपनी राय बताइये न ।"
"सच कहूं , मैंने जैसा सोचा था उससे कई गुना अच्छा लगा । 100 में से 200 अंक तो बनते हैं, भला लडका है, सुन्दर और समझदार है ,बिल्कुल तुम्हारी जोड़ी का है।"
"ओह दादा जी आप कितने अच्छे हैं ।"
" पर अब विनोद को संभालने की चिंता है ।" दादा जी बोले।
" वह तो आप कर ही लोगे दादा जी , बाप हो आप पापा के, पर आप आज बात मत करना ,दो तीन दिन बाद करना ।" यामिनी ने सुझाया।
" इतनी जल्दी भला क्यों करूंगा ? " दादा जी बोले।

 दादा जी की आशा के विपरीत विनोद को मनाने में कोई विशेष दिक्कत नहीं हुई थी । दादा जी ने विनोद से कहा था," लड़का मैंने देखा है, उससे बातचीत की है। सुन्दर,सौम्य , सुशील है ।पढ़ने में भी हमारी यामिनी से कम होशियार नहीं है। अकेला लडका है पिता का जमा जमाया बिजनैस है । फिर सबसे अच्छी बात यह है कि वह विदेश बसने में बिल्कुल इच्छुक  नहीं है ।अंततः उसे पिता का बिजनैस ही संभालना है। मेरे  खयाल से जाति धर्म की बात अगर भूल जाएं तो इससे अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा ।तुम अच्छी तरह विचार कर लो। और हाँ एक बात और,खुशी खुशी आशीर्वाद दोगे तो अच्छा है , वरन अगर ब्च्चों ने शादी की सोच ही ली है तो व्यर्थ की नाराजगी और ऐंठ से कोई लाभ नहीं है । बच्चे बहुत समझदार हैं , भला बुरा समझते हैं ।"
दादा जी की बातों पर विनोद ने संजीदगी से गौर किया । उसे अपनी बेटी के चयन और पिताजी की सूक्ष्म द्दष्टि पर पूरा भरोसा था अतः उसने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी ।यामिनी की अम्मा को क्रिश्चियन वाली बात थोड़ी अखरी थी पर अंततः उसे भी ससुर, पति और बेटी के साथ चलने में ही भलाई दिखाई दी ।मोहन के परिवार के साथ बातचीत के बाद तय हुआ कि फाइनल सैशन की समाप्ति के बाद 21 जून को यानि लगभग 4 महीने के बाद त्रिवेन्द्रम के  चर्च में पहले शादी होगी फिर 23 जून को वहीं किसी वैडिंग पौइन्ट पर पर हिंदू रीति के अनुसार शादी की सभी रस्में होंगी , वहाँ तो गिनती के आदमी ही जा पाएंगे , अतः हैदराबाद में 25 जून को रिसैप्शन दिया जाएगा ।
धीरे धीरे एक वर्ष का समय व्यतीत हो गया यामिनी के फाइनल सैशन की समाप्ति अब चंद सप्ताह के फासले पर थी। उसके बाद जून मे त्रिवेन्द्रम में यामिनी की शादी थी ।
दादा जी लगभग 86 वर्ष के हो गए थे, पहले से काफी कमजोर हो गए थे।
यामिनी फाइनल परीक्षा देकर आ चुकी थी । शादी की खरीदारी शुरू हो गई थी। समय बीतता जा रहा था ।अंततः जून भी आ गया । 20 जून को यामिनी , दादा जी उसके अम्मा पापा, दोनों बुवाएं व उनका परिवार साथ में विनोद के दो घनिष्ठ मित्रों का काफिला त्रिवेन्द्रम पहुंच गया ।
मोहन के माता पिता ने शहर के एक प्रतिष्ठित पाँच सि्तारा होटल में उनके ठहरने का प्रबंध किया था और उन्हे स्पष्ट कर दिया था कि वह लोग उनके मेहमान है अतः यहाँ के प्रवास के खर्च के बारे मे उन्हे सोचना भी नही है न मन मे किसी प्रकार का बोझ रखना है ।बड़ी विचित्र सी स्थिति मे थे वह लोग , बारातियों जैसी आवभगत हो रही थी ।21 जून को सुबह 10 बजे उन्हे पास के ऐन्ड्रुज चर्च में ले जाया गया और क्रिश्चियन विधि से पादरी ने शादी संपन्न करवाई । 22 जून को मोह्न के माता पिता ने उन सबको तथा अपने सभी रिश्तेदारों को रिसैप्शन पर बुलाया था ।
23 जून को पास ही के एक वैडींग पाईन्ट पोइन्ट पर हिंदू पद्धति से शादी संपन्न हुई जिसमें मोहन की ओर से उनके सभी रिश्तेदारों ने यमिनी
के पिताजी के विशेष अनुरोध पर भाग लिया ।वैसे वह सभी इ्सके लिए बहुत उत्सुक और उत्साहित लग रहे थे । दादा जी  इसके बाद अवश्य थके थके और निढाल से लग रहे थे ।खाँसी भी थी।
24जून को मोहन समेत सभी हैदराबाद लौट आए ।25को वहाँ रिसैप्शन है । मोहन के माता पिता  तो विशेष अतिथि थे ही ।किंतु उन्होने  25 जून को ही शाम को हैदराबाद आने का कार्यक्रम बनाया था।
दादा जी और  टीम को हैदराबाद पहुंचते हुए शाम के लगभग 4 बज गए थे ।
घर आते ही दादा जी को सीने मे बहुत जोर से दर्द उठा। बिना वक्त खोए विनोद उन्हे पास के संजीवनी अस्पताल मे ले गया  । डाक्टर्स ने आई सी यू में तुरंत भरती कर लिया और जाँच शुरु हो गई ।डाक्टर ने उन्हें बताया," दिल का दौरा पडा है । इलाज शुरु कर दिया है इंजैक्शन  दिया है ।48घन्टे के बाद ही हालत के बारे मे कुछ निर्णायक कहा जा  सकता है ।"
उधर घर में यामिनी के आँसू  थम नहीं रहे थे ।उसे लग रहा था जैसे उसने अपनी खुशी के लिए, अपना जीवन संवारने के लिए दादा जी के जीवन को  संकट मे डाल दिया हो ।अगले दिन यामिनी ने जिद की कि वह अस्पताल से दादा जी को रिसैप्शन में लेकर आएगी ,उनका आशीर्वाद लेना है ।
शाम 6 बजे यामिनी अस्पताल पहुंची ।विनोद और मोहन भी साथ थे ।माँ और बुआ जी पहले सॆ ही अस्पताल के लाउन्ज में बैठे हुए थे ।विशेष प्रार्थना पर उसे कुछ देर के लिए ICCU में जाने की अनुमति मिली, वहाँ बोलने की मनाही थी। दादा जी के मुंह नाक पर नलियाँ लगी थी , उसे लगा कि वह वैन्टीलेटर पर हैं ।यामिनी ने जैसे ही उनके हाथ का स्पर्श किया ऐसा लगा मानो उन्होंने उसे पहचान लिया । एक हल्की सी चमक उनकी आँखो मे दिखाई दी , हाथ उठाने का उपक्रम किया , मानो यामिनी को आशीर्वाद देना चाह रहे हों और अगले  ही क्षण निढाल हो गए ।नर्स ने फौरन डाक्टर को बुलाया , उसने जाँच के बाद उन्हे मॄत घोषित कर दिया ।उधर विनोद  के पास फोन पर फोन आरहे थे । सभी दादा जी जी का हाल और उनके अस्पताल से रिसैपशन  में आने का समय जानना चाहते थे ।विनोद अत्यंत दुविधा और असमंजस की स्थिति मे था । तभी मोहन ने विनोद के पास आकर धीमे से कुछ कहने की चेष्टा की ," पापा मैं जानता हूं,आप के लिए और हम सब के लिए यह बहुत कठिन वक्त है , आप कृपया मुझे गलत न समझें, मैं आपसे यह अर्ज करना चाहता हूं कि दादा जी भी यह कभी नही चाहते कि उनके कारण उनकी बेटी इतने लोगों के आशीष से वंचित हो जाए और सब भूखे घर जाएं । मेर विचार है कि हम बाडी को मौर्चरी मे रखवा देते हैं और अभी यह बात हम लोगों के अतिरिक्त और लोगों तक नहीं पहुंचनी चाहिए । आप अ्म्मा जी और बुआ जी को भी समझा दीजिए कि खुद पर काबू रख्खें । दादा जी ने इस कार्य को इस मुकाम तक पहुंचाया है उनका पूरा आशीर्वाद तभी मिलेगा जब रिसैप्शन की रस्म भी संपन्न हो जाए। तभी उनकी आत्मा को शान्ति मिलेगी । आप या मै यहां रुक कर बाडी मौर्चरी मॆं रखवा कर आते हैं } शे्ष लोग तुरंत रिसैप्श्न के लिए रवाना हो जाएं ।  सभी प्रतीक्षारत हैं । अगर देर होगी तो कुछ लोग यहाँ आ सकते हैं ।"
" कहते तो ठीक ही हो बेटा । मैं यहाँ का काम करके आता हूं ।तुम इन सबको ले जाओ । यामिनी को भी संभालना होगा ।तो आप लोग चलो अब ।"
अम्मा , बुआ, यामिनी मोहन शीघ्र ही रिसैपश्न स्थल के लिए रवाना हो गए । रास्ते भर मोहन उनको संयमित रहने के लिए कहता रहा ।" सभी समझदार थे तथा मौके की गंभीरता समझते थे।" सबके चेहरे पर मायूसी के भाव थे । वह रिसैप्शन स्थल पहुंच गए ।वहाँ मोहन के माता पिता बुआएं  आदि सभी त्रिवेन्द्रम से पहुंच  चुके थे तथा वहीं रेसैप्शन पर घर के लोगों की तरह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे। यामिनी ने उनके पैर छुए दादा जी के बारे में बात हुई और फ़िर मायूस सा चेहरा लिए यामिनी और मोहन अपने लिए लगी कुर्सियों पर विराज गए ।लोग शगुन  और आशीर्वाद देने के लिए आने शुरू हो गए । विनोद ने अपने निमंत्रण पत्र में उपहार और लिफाफे न लाने का अनुरोध किया था जिस पर कायम रहते हुए यामिनी ने किसी तरह का कोई तोहफा क्षमा याचना के साथ स्वीकार नहीं किया ।लगभग रात्रि 11.30 बजे तक सब लोग घर लौट आए ।
सुबह 7 बजे विनोद और यामिनि के फूफा जी दादा जी का शव लेकर घर आ गए । मोहन के माता पिता भी होटल से घर पहुंच गए थे ,मोहन ने शायद उन्हें सब बता दिया था।अब यह बात सबको पता चल ही चुकी थी । घीरे धीरे लोग आने शुरु हो गए । 10 बजे दादाजी की शव यात्रा  चेतना मोक्षधाम के लिए रवाना हुई ।
यामिनी में ही उनके प्राण बसते थे ।
यामिनी के ससुराल जाने से पूर्व ही  दादा जी विदा ले चुके थे ।