जरा याद उन्हें भी कर लो ......
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भूधर से द्दढ़ इरादे, उस पर हृदय विशाल
अंतस में रही जलती , स्वतंत्रता की ज्वाल,
जो सहर्ष मिटे करते , माँ की मान रक्षा
युगों तक न कुंद होगी, उस त्याग की मशाल !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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