Friday, December 30, 2022

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Thursday, December 1, 2022

Thursday, November 24, 2022

Monday, November 21, 2022

Saturday, November 12, 2022

Friday, November 11, 2022

दोहा रूपान्तरण !

 फाइनल पर केन्द्रित था, 

लौंडों का सब ध्यान,

सेमी  घुसकर  बीच में,  

डाल  गया  व्यवधान !

-ओम प्रकाश नौटियाल


Wednesday, November 9, 2022

Monday, November 7, 2022

Tuesday, November 1, 2022

समीक्षित पुस्तक: शतरंजी खंभा (कहानी संग्रह) -समीक्षक -डॉ. रानू मुखर्जी

 समीक्षित पुस्तक: शतरंजी खंभा (कहानी संग्रह)

लेखक: ओम प्रकाश नौटियाल
प्रकाशक: कलमकार मंच, जयपुर (राजस्थान)
संस्करण: 2022
मूल्य: सजिल्द ₹200/- पेपरबैक: ₹150/--
पृष्ठ: 112


वास्तव में जो कमज़ोर हैं और समाज की सबसे भुरभुरी ज़मीन पर खड़े हैं, वे एक ऐसे देश की कल्पना कर रहे हैं जिनके लिए जगह हो। आज के समाज में ऐसे लोग बहुत कम हैं जो इन लोगों के लिए अपनी क़लम चलाते हैं। 

बहुत दिनों के बाद हाथ में एक ऐसा कहानी संग्रह आया जो विषय की दृष्टि से, भाषा की दृष्टि से, अभिव्यक्ति की दृष्टि से एक स्तरीय संग्रह है। आदरणीय ओम प्रकाश नौटियाल जी रचित “शतरंजी खंभा” एक संग्रहणीय पुस्तक है। 

संग्रह की अधिकांश कहानियाँ अपने आसपास में घटनवाली घटनाओं, साधारण लोगों के जीवन के सांस्कृतिक लोक-राग और मानवीय करुणा की विराटता से हमारा साक्षात्कार कराती हैं। इसके साथ ही संग्रह में विस्तार लेती कथादृष्टि दिखाई देती है, जहाँ स्त्रियाँ हैं, पुरुष हैं, व्यापारी हैं, उद्योगपति हैं, धर्म है, परंपरा है, प्रेम है, घृणा है, रिटायरमेंट के पश्चात के जीवन की विडम्बना है, आन्दोलन है अर्थात्‌ एक बृहत्तर समाज अपने विभिन्न पहलुओं के साथ संग्रह की 20 कहानियों में मौजूद है। यह संग्रह इसलिए भी विशेष है कि देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘क़लमकार मंच’ द्वारा पुस्तक की पाण्डुलिपि का चयन हुआ और इसे प्रकाशित भी किया। आदरणीय श्रीमती पूनम संजय शर्मा जी ने पुस्तक के आवरण पृष्ठ को बहुत ही आकर्षण और अर्थयुक्त रूप दिया है। 

“शतरंजी खंभा” एक अलग ही मज़ा देती है। इसमें बहुस्तरीय जटिलताओं को खोलने का सफल प्रयास किया गया है। “गाँव में बिजली आते ही रंग-ढंग बदल गए थे।” कुछ ऐसी घटनाएँ घटने लगीं जैसे पुलिया के साथ लगे बिजली के खंभे पर बल्ब लगने पर वहाँ की रौनक़ बढ़ गई। चाय की दुकान, शाम को चाय पकौड़ी, छोले, कच्ची शराब पीने का अड्डे के साथ-साथ पुलिया को शतरंज खेलने का अड्डा बना लिया। एक बदलाव जो लोगों के जीवन में समा गया था। 

“क्या बीमारी आ गई है गाँव में। नई हवा चल पड़ी है। इस खेल की लत तो बहुत ही बुरी है, बड़े-बड़े राजे रजवाड़े बरबाद हो गए इसमें। अब दोखो रातों मजमा जमा रहता है। सब लड़के नकारा हो जाएँगें।” खंभे से संबंधित इस तरह न जाने कितनी बातें फैलने लगीं। बात आकर प्रधान पर टिक जाती है। अचानक रात को 9:30 पर जब शतरंज अपने शबाब पर थी तभी एक तेज़ हवा के झोंके से लाईट चली जाती है और शतरंज का खेल बन्द हो जाता है। आपसी बहसबाज़ी शुरू हो गई। “अब बिजली आनी मुश्किल है,” गोकुल उस्ताद की बात चलने लगी जो पीने के शौक़ीन थे। फिर अचानक लाईट आ गई और सब कुछ स्पष्ट हो गया। 

शतरंज का ऊँट नीचे लुढ़का पड़ा था। परन्तु यह बक़ायदा भ्रम था कि केवल शतरंज का ऊँट ही लुढ़का पड़ा था या इसके साथ ही गोकुल प्रसाद भी शायद नहर किनारे की कच्ची मिट्टी में फिसल कर नहर में गिर गए थे। बिजली के केवल लोगों के सामाजिक स्तर पर ही नहीं मानसिकता पर भी भारी असर किया था। यह कहानी हमें उस सच्चाई की ओर इशारा करती है कि आम आदमी की ज़िन्दगी का दिन रात का संघर्ष, बाज़ारवाद का संघर्ष नहीं है। हर इन्सान एक कमज़ोर डरा हुआ इन्सान है। 

संग्रह की अधिकांश कहानियाँ लेखक के अनुसार लगभग छह दशक के कालखंड का समावेश है। ओम प्रकाश जी के पास विषयों की विविधता है। वे जीवन-जगत के अपने गहन और विश्वसनीय अनुभव से इन कहानियों की रचना करते हैं। उनके पास एक तरफ़ कठोर यथार्थ है तो दूसरी तरफ़ एक बेहतर जीवन की सम्भावना। बहुत ही साफ़ और परिपक्व समझ के साथ यह उनकी कहानियों में नज़र आता है। उनकी एक कहानी है “आशीर्वाद” प्रेम की उदात्त कशिश और और उष्मा की कहानी है। नौटियाल जी की ख़ास विशेषता है कि परिचित विषयों पर लिखते हुए भी वे बिल्कुल अलहदा निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। जीवन को, संबंधों को, प्रेम को, अलगाव को कहने जैसा नहीं जीने जैसा लिखते हैं। इसलिए उनकी कहानियों में जीवन के ताप का तार्किक संतुलन नज़र आता है। संग्रह की अधिकांश कहानियाँ उत्तम पुरुष में लिखी गई है। “लाॅक डाउन” उनमें से एक है। “एक ईमानदार की मौत” मार्मिक कहानी है। इन्सानियत के ह्रास की पराकाष्ठा है। “टिनू”, “मक्कारी”, “बहू और बेटी”, “कोरोना” आदि कहानियाँ हमारे सामने भावों, विचारों का एक अलग द्वार खोलती हैं। 

“टिनू” युवावर्ग की कथा है। टिनू हद दर्जे का शरारती था। उसकी शरारत के क़िस्से आसपास के गाँवों में भी मशहूर थे। वह छुपकर सिगरेट पीता, पढ़ने में कोई रुचि नहीं, दिन भर जंगल, नदी, बाग़-बग़ीचों में घूमता फिरता था। बग़ीचे से फल चुराता पर लेखक टिनू की हिम्मत और चुस्ती पर मुग्ध थे। एक गर्मी की दोपहर को पूर्व नियोजित योजना के अनुसार सभी मित्र ‘सिवाने वाले आम’ के पेड़ों से आम तोड़ने का कार्यक्रम बनातेड हैं। सभी मित्र समय पर निर्धारित समय पर पहुँच जाते हैं। टिनू मित्रों की सहायता से लगभग नौ फ़िट की ऊँचाई पर पहुँच जाता है और आम तोड़ते हुए मंदिर के महात्मा की पकड़ में आ जाता है। यह टिनू की दक्षता का परिचय है कि ख़ुद को भी महात्मा की पकड़ से छुड़ा लेता है और मित्रों को भी बचा लेता है। कहानी इतनी दक्षता के साथ बुनी गई है कि एक चित्रात्मक कथा की छवि उपस्थित करती है। 

कम से कम पात्रों को लेकर कैसे विचारपरक व रोचक कहानी लिखी जा सकती है, लेखक इस कहानी संग्रह के माध्यम से दर्शाते हैं। इस संग्रह के सभी पात्र महत्त्वपूर्ण हैं और अपनी महत्त्वपूर्ण स्थिति को दर्शाते हैं। 

समय के प्रति सचेतना, संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता, मनुष्य के प्रति संवेदनाशीलता और समाज की अव्यवस्था को उद्घाटित करने की इच्छा ने ओम प्रकाश नौटियाल जी को एक सशक्त कथाकार के रूप में उभारा है। 

लेखक ने संबंधों के निर्माण और निर्वाह पर ज़ोर दिया है। “लाॅक डाउन” में यह स्पष्ट है। पैंसठ वर्ष की बिमला बेन को लाॅक डाउन के तहत घर पर अपनों के बीच रहना मंज़ूर नहीं था। बेटे, बहू और पोती के दुर्व्यवहार के करण वह उन लोगों बचना चाहती थी। अंततः “लाॅक डाउन” के तहत एक बार जब वह घर गई तो, उसके मन की सारी द्विधाएँ मिट हो गई। परिवार के प्रति जमी उसके मन की अवर्जनाएं ख़त्म हो गई। ये है नौटियाल जी की क़लम का कमाल। महत्त्वपूर्ण कहानियों में हर समय के उत्तर छिपे रहते हैं। समय, दबाव प्रश्न और उनके उत्तर की खोज ओम प्रकाश नौटियाल जी की लेखनी के मुख्य आधार बने हैं। 

“बिरजू लाला”, “तर्क कुतर्क”, “अनुरोध” जैसी कहानियाँ एक अद्भुत संदेश देती हैं। निर्जीव और निस्पंद जीवन में संबंध और स्मृति के महत्त्व को ओम प्रकाश नौटियाल जी भली-भाँति महसूस करते हैं। कुछ कहानियाँ बताती हैं कि समाज में आर्थिक-तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के साथ-साथ जीवन मूल्यों का हनन हुआ है। उदारीकरण और वैश्वीकरण का प्रभाव समाज के सभी वर्ग पर पड़े हैं और समाज में अनेक परिवर्तन आए हैं। कहानियाँ एकमात्र सशक्त माध्यम है अभिव्यक्ति का। “भ्रम” कहानी का बेहद साधारण लगनेवाला कथानक अपने-आप में आसाधारण है। कहानी लेखन के क्षेत्र में ओम प्रकाश नौटियाल जी का उद्देश्य अपने आसपास घटनेवाली घटनाओं को गहन संवेदनात्मकता के साथ प्रस्तुत करना है। 

“शतरंजी खंभा” के लिए ओम प्रकाश नौटियाल जी का अभिनंदन। उनसे ऐसे और अनेक संग्रहों की अपेक्षा है। शुभकामनाएँ।

Wednesday, October 26, 2022

Monday, October 24, 2022

Monday, October 17, 2022

Wednesday, October 12, 2022

Monday, October 10, 2022

Sunday, October 9, 2022

Saturday, October 1, 2022

गाँधी और शास्त्री

                     -1-

गाँधी देखें स्वर्ग से , लोकतंत्र के ढंग

सत्ता के लोभी यहाँ , बदलें कितने रंग

बदलें कितने रंग, करें प्रयोग असत्य के

गढ़े नित्य नव झूठ ,  बिना ही किसी तथ्य के

हर ले जन की व्याधि , चले ऐसी इक आँधी

तब बदलेगा देश , स्वर्ग में सोचें गाँधी 

                    -2-

सच्चे सेवक देश के , रहे बहादुर लाल
अंगीकृत की सादगी, बदली कभी न चाल
बदली कभी न चाल ,अनुकरणीय थी शैली
छवि  उनकी बेदाग , हुई न तनिक भी मैली
ऋण लेकर ली कार,  शाला जा सकें बच्चे
सोमवार उपवास , समर्पित सेवक सच्चे !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )

Tuesday, September 20, 2022

Friday, September 9, 2022

Friday, September 2, 2022

Thursday, September 1, 2022

Wednesday, August 24, 2022

Wednesday, August 17, 2022

Tuesday, August 16, 2022

Friday, August 12, 2022

Monday, August 8, 2022

Thursday, August 4, 2022

Monday, August 1, 2022

Tuesday, July 19, 2022

Sunday, July 17, 2022

Thursday, July 14, 2022