Thursday, November 10, 2016

थारे जैसा न कोई !


’बाद’

’बाद’ कब आया किसी का
जगत से जाने के बाद,
कर ले जो करना चाहे
’बाद’ में आए ना बाद !!!
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--ओम प्रकाश नौटियाल

Saturday, November 5, 2016

एक दोहा कूड़े का

गृह कूड़े सा है नहीं , अति ढीट मेहमान
झाडू मार निकाल दो , फिर वहीं विद्यमान !
- ओंम प्रकाश नौटियाल