Monday, November 26, 2018

Friday, November 23, 2018

Tuesday, November 20, 2018

ललक


छायांकन

छायांकन तकनीक में, अद्भुत हुआ कमाल
सेब जैसे दिखते हैं, किसमिस जैसे गाल !!
-ओंम

Saturday, November 10, 2018

झूम झूम निर्भय जलना



सदियों यह अँगना दीप्त रहा
तम पी पी दीया तृप्त रहा
थी दीप चाह केवल प्रकाश
ज्योत पर सदा आसक्त रहा
किरण किरण झरता  झरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
क्षरते तन जन्य दैविक शक्ति
अविरल आलोक न दे  थकती
दीया बाती का  प्रणय मिलन
प्रदीप्त कुटिया हर कक्ष सहन
टुकुर टुकुर टक टक  तकना
झूम झूम निर्भय जलना

माटी से जीवों का उद्गम
माटी में फिर अंतिम संगम
माटी बाती करते मंथन
माटी माटी का चिर बंधन
संग संग जीना मरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
जब मानव काया माटी की
शय्या बाती की माटी की
बंधुत्व भाव ले  तिमिर अंत
रहे  ज्योत दीप्त मृत्यु पर्यंत
हँस हँस  बाती तन क्षरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा
(सर्वाधिकार सुरक्षित )मोबा.9427345810

वंशवाद


वंशवाद लोकतंत्र के लिये धीमे  विष के  समान है जो निरंतर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को खोखला किये जा रहा है । प्रमुख राजनीतिक दल वंशवाद जन्य संकट के विरूद्ध समय समय पर लोगों को सचेत तो करते रहे हैं किंतु कभी कोई बहुत कारगर कदम उठाने की दिशा में बड़े पैमाने पर सार्थक पहल नहीं कर सके । अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि इस बार हो रहे  विधान सभा चुनाव में इस खतरे को समूल नष्ट करने के लिये सभी बड़े दलों में अब अलिखित आम सहमति हो गयी है और सभी दलों ने समस्त विरोध की अवहेलना करते हुए अधिक से अधिक  ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिये है जिन्हें वंशवाद का पूरा अनुभव और ज्ञान है और जो इसी माहौल में  पले बड़े हुए हैं । परिणाम स्वरूप सभी दलों ने अपने  बड़े बड़े नेताओं के पुत्र, पुत्रियों, दामाद ,बहुओं , भाई ,भतीजों जैसे तमाम संबंधियों को बेहिचक वंशवाद के विरुद्ध  युद्ध के लिये टिकट बाँट  दिये  हैं :
कुनबा सभी झोंक दिया,करने इसका अंत
काट सकेगा अब नहीं , वंशवाद का डंक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, November 7, 2018

बधाई हो !!!


चैनलों पर प्रसारित समाचारों के अनुसार कई स्थानों पर प्रदूषण AQI (Air Quality Index ) 900 के पार पहुँच गया और इसके साथ ही यह मिथक भी चूर चूर हो गया कि 500 से उपर   का प्रदूषण स्तर जीने के लिये बेहद खतरनाक  है ।900 AQI के पार पहुँचे स्थानों के लोग उसी उत्साह से जी रहें हैं जैसे अब तक जीते आ रहे थे । हम भारत वासी हैं हलाहल खा पीकर भी जिंदा रहना  जानते हैं फिर  तथाकथित विषाक्त हवा हमारा क्या बिगाड़ सकती है ? वर्षो से न जाने किस किस प्रकार के विषमय अनुभवों के मध्य जीवन यापन ने विष के प्रति हमारी प्रतिरोधक क्षमता को इतना सशक्त कर दिया है कि अब हम  विषाक्त हवा, पानी, भोजन के लिये पूरी तरह तैय्यार हैं । इसके लिये हम सभी बधाई के पात्र हैं !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल