इस्पात करके देख -ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
जो कह रहा वो
पूरी कभी बात करके देख
दुश्मन की तरह
सामने से घात करके देख
अच्छा नहीं हर
वक्त य़ूं जज्बात में बहना
इरादों को तू भी
कभी इस्पात करके देख
जरूरी है मिलते
रहें , नेह, स्नेह की खातिर
शहर को अपने तू
कभी देहात करके देख
अच्छा नही फूट
डालना निज स्वार्थ के मारे
पी कर बुराई
स्वयं को सुकरात करके देख
देश के शत्रुओं
को न कोई हमदर्दी मिले
दुष्टों के जुल्म
पे जरा जुल्मात करके देख
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
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