Saturday, January 29, 2011

रोशनी में तुम रहो

-ओंम प्रकाश नौटियाल



रोशनी में तुम रहो,और रोशनी में हम रहें,
रोशन रहें खुशियां जो अंधेरों में गम रहें।

जितने बने थे दोस्त वो रकीबों के यार थे,
बस मेरे ही पाँव थे जो मेरे हम कदम रहे।

सोचता हूं कर लूं अब तुम्हारे प्यार से तौबा,
बची जिन्दगी मे मेरी भी चैन-ओ-अमन रहे।

आराम से जीने को क्या कुछ नहीं मिलता,
पर चैन तो तब है जो हसरतें ही कम रहे।

’ओंम’ दुनियाँ देती रही ताकतवरों का साथ,
साँस तब तक है जब तक तुम में दम रहे।

Wednesday, January 26, 2011

६२ वा गणतंत्र

-ओंम प्रकाश नौटियाल


आजादी मिले हमें, हो गये वर्ष साठ से उपर,
खुशहाल मस्त महौल का जमाना कहाँ आया?
न जाने किन दुरात्माओं का है देश में साया,
झंडे को निर्भय हो, हमें फ़हराना कहाँ आया?

Saturday, January 15, 2011

१६ जनवरी -मेरा जन्म दिन

-ओंम प्रकाश नौटियाल

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१६ जनवरी आई है,
वह तिथि जो
याद दिलाती है प्रति वर्ष,
मेरा पृथ्वी पर आना,
और बताना कि
मैं अजन्मा नहीं रहा,
बृह्मान्ड के किसी कोने में
कहीं तनहा पडा नहीं रहा,
अब मैं सांसारिक हूं, जैविक हूं,
वर्षों से धरती का अंग हूं,
कुछ के लिए अंतरंग,
कुछ के लिए मात्र प्रसंग हूं,
कुछ का अजीज हूं
कुछ के लिए अजनबी।
पढाती है यह तिथि,
उम्र के गणित का वैचित्र्य,
जिसमें एक वर्ष का योग,
अर्थात वय से एक वर्ष का वियोग।
-2-
ले जाती है यह तिथि
गलियारे में बचपन के,
जब इस दिन माता पिता,
मुझे तुला पर बैठा कर,
मेरे भार बराबर
करते थे अन्नदान,
पूजा होती थी,
एक उत्साह रहता था,
क्योंकि यह दिन ले जाता था
मुझे और करीब युवा उम्र के,
यानि शिखर की ओर ।
-3-
और अब यह तिथि धकेल रही
वर्ष प्रतिवर्ष मुझे,
कदम दर कदम नीचे की ओर,
शिखर छूट गया पीछे की ओर,
ढलान में संभाल की आवश्यकता है,
यात्रा अब कुछ कठिन है,
पर यही वास्तविक परीक्षा है,
आपकी शुभकामनाओं की
अब अधिक अपेक्षा है ।

Thursday, January 13, 2011

मेरी पतंग

-ओंम प्रकाश नौटियाल

मित्रों वह जो पीली लाल,
उडती उडती लहराती है,
लहरा लहरा कर उडती है,
गगन की शान बढाती है,
वह नील गगन की रानी,
मेरी पतंग शहजादी है,
उससे पेंच लडाना चाहो
इसकी तुमको आजादी है,
पर उसको काट गिराओगे,
यह मात्र तुम्हारी भ्रान्ति है,
क्योंकि मेरी प्यारी पतंग
विजेता मिस मकरसक्रांति है।

Sunday, January 2, 2011

नव वर्ष आ रहा है

-ओंम प्रकाश नौटियाल

नव वर्ष आ रहा है , नव वर्ष आ रहा है ,
ढेरों पलों मे भर क्या क्या ये ला रहा है ।

कुछ पल निश्चय ही मीठे मधुर भी होंगे,
मिलन की चाह में, प्रिय कैसे आतुर होंगे,
शुभघडी की आस में,मन मस्त गा रहा है,
नव वर्ष आ रहा है, नव वर्ष आ रहा है ।

बारह महीनों में कितने काम करने होंगे,
मेरे भी हैं सपने,कुछ प्रीतम के सपने होंगे,
सपनों के सागर में मन हिलोंरे खा रहा है,
नव वर्ष आ रहा है, नव वर्ष आ रहा है ।

कुछ पलों में छुपा, दुख का कोई फ़साना,
आखिर तो जग नश्वर,लगा है आना जाना,
इस मौके पर कभी यह डर भी सता रहा है
नव वर्ष आ रहा है, नव वर्ष आ रहा है ।

समय के साथ चलना है तेरी जिन्दगानी,
समय फिसल गया तो बेकार जिन्दगानी,
वक्त बेवक्त वक्त,बस यही समझा रहा है,
नव वर्ष आ रहा है, नव वर्ष आ रहा है ।

तुम्हारे पलों में होंगी पिछ्ले पलों की बातें,
अपनों के प्यार की और छ्लकपट की बातें,
कुछ किस्सों की याद से मन पछ्ता रहा है,
नव वर्ष आ रहा है , नव वर्ष आ रहा है ।

पावन परिणय कुछ होंगे, नाचेंगे मीत सारे,
नवजात किलकारियाँ भी गूंजेगी तेरे द्वारे,
जो कुछ संजोया होगा सब याद आ रहा है,
नव वर्ष आ रहा है , नव वर्ष आ रहा है ।
ढेरों पलों मे भर क्या क्या ये ला रहा है।