Thursday, November 28, 2019

"भरपेट भोजन मिल गया तो भाग्य मानों जग गये .."

"भरपेट भोजन मिल गया तो भाग्य मानों  जग गये .."
यदि सोच और कार्यान्वयन सही हो तो कम को भी अधिक बनाकर बहुत से लोगों को संतुष्ट और प्रसन्न किया जा सकता है ।टाइम्स नाव में प्रसारित समाचार के अनुसार उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक प्राइमरी स्कूल में मिड़ डे मील योजना के अंतर्गत एक लीटर दूध में एक बकेट  पानी मिलाकर 81 बच्चों को तृप्त किया गया ।इससे पहले भी मिर्जापुर से रोटी के साथ नमक परोस कर  बच्चों को भरपेट भोजन करवाने के समाचार आते रहे हैं ।भरपेट खाइये और गाना गाइये:
".. ज्यादा की नहीं लालच हमको थोड़े में गुजारा होता है ... "
-ओंम

Wednesday, November 27, 2019

गधे घोड़े


ऊब न हमें पसंद

अच्छे दिन आकर गये, चला गया आनंद 
नव खेल हो शीघ्र शुरू,ऊब न  हमें पसंद !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

ऊब

जनता गद गद हो गयी ,किया तमाशा खूब
नया खेल कर दें शुरू, आ न सके फिर ऊब !
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Monday, November 25, 2019

धनवीर

इक दल की पूजा सदा ,कब करते धनवीर?
धन पद कद जो दे सके , जाते वहीं अधीर
-ओंम प्रकाश नौटियाल

सफल सियासतदान


Sunday, November 24, 2019

सच्चा सन्यासी

सच्चा सन्यासी तजे , अपने चाचा, बाप
कुर्सी पर बस ध्यान रख, करता उस का जाप !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Thursday, November 21, 2019

"मलाईदार विभाग "

गठबंधन सरकार के घटक दल सरकार में शामिल होने के लिये अकसर मंत्री मंड़ल में अपने लिये विशेष विभाग पाने के लिये दबाव की नीति अपनाते देखे जाते हैं । विभाग विशेष में हासिल अपनी काल्पनिक विशेषज्ञता का सदुपयोग करने की नीयत  और उस विभाग के माध्यम से जनता की पुरजोर प्रभावी सेवा करने की उनकी निस्वार्थ ललक सचमुच प्रशंसनीय है । दुःख केवल इसी बात का है कि  ऐसे विभागों की संख्या शायद कम है जिनमें जनसेवा के लिये प्रेरित करने का  प्रबल आकर्षण हो। जनता को समझना चाहिए कि चमकदार सेवा पाने के लिये सेवक की कुर्सी रत्नजड़ित होना भी आवश्यक है और उनके चयनित प्रतिनिधि इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके लिये ऐसे विभाग के लिये संघर्ष करते हैं जिसे कुछ ईर्ष्यालु सिरफिरे "मलाईदार विभाग " पाने की लड़ाई बताकर उन्हें बदनाम करते हैं।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, November 20, 2019

Tuesday, November 19, 2019

आदर्श किये स्वाह


जहर जहर को मारता है !!

चुनाव से ठीक पहले हवा पानी दोनों इस कदर जहरीले हो जाते हैं कि नेताओं को बेचारी जनता के स्वास्थ्य की चिंता पागल करने लगती है । विषाक्त वाणी बाणों के आदान प्रदान से हवा पानी में घुला जहर और उग्र रूप ले लेता है, नेताओं को हर पल यही डर सताने लगता  है कि इतना विषैला पानी पी रहे लोग, पता नहीं, मतदान तक जीवित रहेंगे भी  या नहीं । किंतु शुक्र है चुनाव के बाद सब कुछ, बिना कुछ किये, अगले चुनाव तक के लिये ठीक हो जाता है । अकसर तो एक दूसरे के विरूद्ध गरल उगलकर हवा पानी विषाक्त करने वाले नेता लोग, विष प्रभावहीन करने के लिये अपने विष को उनके विष से मिलाते हैं ,और आपसी गठजोड़ से सरकार बनाकर जल वायु समेत सभी दोष ठीक कर देते हैं  ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, November 11, 2019

डेंगू पर नयी शोध

डेंगू ऐसी खतरनाक समदर्शी बिमारी है जो अमीर गरीब में अंतर किये बिना सभी को अपनी चपेट में ले सकती है । अभी तक लोग सिर्फ एडिज मच्छर को ही इसके लिये दोष देते रहे हैं किंतु प्राप्त समाचारों के अनुसार मैड्रिड में स्पेन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गयी खोज के अनुसार डेंगू से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी डेंगू हो सकता है ।यह खोज बेचारे डेंगू पीडितों पर दोहरी मार की तरह होगी - एक तो खतरनाक बिमारी से जूझना और फिर मच्छर द्वारा दिये गये चरित्र प्रमाण पत्र को लोगों का संदेह की द्दष्टि से देखना ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, November 10, 2019

मँहगाइ का नायक

गगन छू रहे भाव में , प्याज और विधायक
चुनना अति कठिन इनमें, मँहगाइ का नायक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, November 8, 2019

लघुकथा -बेरोजगारी

"पाँय लागूं ताऊ, कैसा है ?"
"ठीक हूँ बेटा , तू सुना , आजकल तो  यहीं दिक्खे तू , पहले तो कई कई दिनों तक  बाहर ही रहे था "
" क्या बताऊँ ताऊ बस यूं समझ ले बेरोजगार हो गया " बिरू ने निराश स्वर में जवाब दिया ।
" क्या हुआ, तू तो कहे था तेरा अपना धंधा है "
"बस ताऊ ,अपने ही धंधे में ठाली हो गये "
" क्यूं क्या हुआ ?’
" अरे ताऊ , हर धंधे में होड़ इतनी बढ़ गयी कि गुजर मुश्किल हो गयी "
"तेरा ऐसा कौन सा धंधा था ?"
"अब तो धंधा बंद सा हो गया तो बताने में हर्ज भी ना है । बस आस पास के शहरों में जाकर बैंक डकैती कर लेंवे थे फिर पुलिस से बचने को कुछ दिन कहीं दूर जा मौज मस्ती करके आ जावें थे.. ।"
"अरे बाप रे, तो अब क्या हो गया " ताऊ की उत्सुकता चरम सीमा पर थी
"अरे ताऊ , अब तो बैंक के अंदर काम करने वाले ही इतनी बड़ी बड़ी ड़कैती मारने लगे कि म्हारे जैसों के हाथ ही कुछ न लगे "
"हाँ बेटा , सुनु तो हूँ खबरों में कि बैंक के कारिन्दे बैंक के पैसे को अपना समझ कर धड़ल्ले से लूटरे ,चल कोई ना, लूट खसोट के धंधों की कमी थोड़े ना, और मिल जांगे "
"बस ताऊ, तेरा अशीष चहिए " कह कर बिरू मंदिर की तरफ़ बढ़ गया
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, November 6, 2019

Tuesday, November 5, 2019

रक्षक

रक्षक  हैं कानून के ,खाकी, काला कोट
दोनों मिल जनतंत्र का, गला रहे हैं घोट !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल