Wednesday, December 19, 2018

यही पासबान हमारे ....


भारतीय राजनीति में चंद ऐसे चमकते चेहरे हैं जो सदैव ही मंत्रीपद पर विराजमान पाये जाते हैं चाहे सरकार किसी भी दल की हो अर्थात वह हमेशा ही सत्तारूढ़ दल के साथ रहते हैं । देश के चुनावी मौसम को पहचानने में वह ’घाघ’ हैं ।2019 के चुनावी परिणामों का संकेत पाने के लिये आप किसी भी सर्वे पर भरोसा न करके बस इनकी गतिविधियों पर नज़र रखिये:
"...यही गुलिस्तां हमारे यही ’पासबान’ हमारे ....."
-ओम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, December 18, 2018

नववर्ष



कुछ दिन में नववर्ष भी अब आ के रहेगा,
सुख दुख में साथ रहने का  वादा करेगा,
पता नहीं घुमक्कड़ सुध लेगा भी किसी की
या ऋतुओं मे  इसका बस ठिकाना रहेगा !
-ओम प्रकाश नौटियाल

Monday, December 17, 2018

किसी से कहना मत !!

जिला हापुड़ के गांव गजालपुर के लोगों ने अपने श्रम तथा धन दान के बल पर काली नदी पर 25 लाख आंकी गयी अनुमानित लागत के पुल का निर्माण स्वयं ही मात्र  6 लाख रुपये की लागत में   करवा लिया । इस पुल के न होने से गाँव वालों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 12 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ता था ।अब डर यही है कि कहीं उनकी यह मुहीम वायरल होकर गाँव गाँव पहुँचकर सरकारी घूसखोरों  और भ्रष्ट विकासशील नेताओं की रोजी रोटी पर लात न मार दे । भला 6 लाख में भी कहीं ऐसा पक्का पुल बनता है ? आप भी किसी से मत कहिएगा !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Sunday, December 16, 2018

पहाड़ों से दूर


अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस

अति जटिल किसी विषय पर ,कैसे देंगें राय ?
जब तक मिले न आपको, भाप उड़ाती चाय !!
-ओंम
आज अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत भारत, नेपाल, तंज़ानिया जैसे प्रमुख चाय उत्पादक देशों ने चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के मुद्दों और समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 15 दिदम्बर 2005 से की थी। अध्य्यन के अनुसार पानी को छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक पिया जाने वाला पेय 'चाय' है।
वीकिपीडिया के अनुसार सबसे पहले साल 1815 में कुछ अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय कबाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे.
- भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया. इसके बाद 1815 में असम में चाय के बाग लगाए गए.
- कई जगह चीन से भी चाय का इतिहास जोड़ा गया है.
(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
-ओंम प्रकाश नौटियाल