Sunday, August 12, 2018

दो कुण्ड़लियाँ

                      -1-
बोला नेता जोश में, अब न गरीबी शेष
तभी कृषक ने कर दिया, वर्णित अपना क्लेश,
वर्णित अपना क्लेश, निवाले तक को तरसे
हुई  न मुश्किल दूर ,रोज बस वादे बरसे,
फल खायें धनवान, कृषक का खाली  झोला
भरे नहीं यह पेट, दुःखी हो कृषक  बोला !!
                     -2-
आने वाले दिनों में, खूब मनेगा जश्न
अनसुलझे लेकिन खड़े, पिछले सारे प्रश्न,
पिछले सारे प्रश्न ,भूख शिक्षा के मसले
सुता,बहन की खैर ,निरंतर बढ़ते घपले,
कहें ओम कविराय, कोई माने न माने
मची देश में लूट , बात सच सोलह आने
-ओंम प्रकाश  नौटियाल

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