Friday, July 20, 2018

"नीरज"

बौछार पावस की बड़ी खुशियाँ बिलोती है,
बूंदें बैठ पत्तों पर मोती संजोती हैं,
"नीरज" जी विदा क्या हुए इस भीगे मौसम में
बादल कराहते हैं बरसात रोती है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

No comments:

Post a Comment