Tuesday, November 24, 2015

दशा देश की

देश रहने योग्य नहीं
पलायन चाहते हो
रखते हो विश्व के किसी भी कोने में
बस सकने की सामर्थ्य,
कहाँ से पाई
किसने दी तुम्हे यह अदम्य शक्ति ?
असीमित पूंजी ?
और आजादी -
छिछलापन यूं सरेआम
छलकाने की ?
रामादीन त्तो इस बार भी
दीपावली पर
शहर से गाँव जाने का
किराया नहीं जुटा पाया
मा जुदाई न सह सकी
दीप ज्योत निहारती
माटी हो गई
असहिष्णु जो थी !!!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, November 23, 2015

वादों ने मारे है

कभी सावन के तरसे हैं, कभी भादों के मारे हैं
कभी भाषण ने भरमाए ,कभी वादों ने मारे है
हैं ’ओंम ’ रावण सरमाए हमारे भाग्य के देखो
पापियों के ही ढलकाए कीच , गादों के मारे हैं
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, November 20, 2015

मिले जो ऐसा बाप

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कर्म हों पूर्व जन्म के , तभी मिले वह बाप
गद्दी सौंप पुत्रों को , राज सँभाले आप,
राज सँभाले आप , सिसकता रहे कानून
लोकतंत्र का नाम , हो और उसी का खून ,
कहें ’ओंम ’ कविराय , दी बेच बची सब शर्म
देश करें निर्माण , पर नींव अनैतिक कर्म !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, November 18, 2015

चले पाप की ओर

दया , प्रेम प्रधान धर्म, भूले हैं कुछ लोग
लेकर इसकी आड़ पर , करें घातक प्रयोग,
करें घातक प्रयोग , मूल में जिनकी सत्ता
अतिशय नर संहार , काँपता पत्ता पत्ता ,
कहें ’ओंम’ कविराय, छोडी प्रभु प्रदत्त हया
चले पाप की ओर, तज भाईचारा , दया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, November 17, 2015

एक मुक्तक :अहं की तलवार

जब सर पर अहं की तलवार होगी , 
किस अरि की फिर भला दरकार होगी ? 
प्राण ले लेगी हर चैतन्य शह के 
’जिंदगी धिक्कार औ’ धिक्कार होगी !
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Saturday, November 14, 2015

क्रांति संचार की

क्रांति हुई संचार की , कुंद हो गए पैर ,
मित्र मिलन को पर्व में, शब्द करें बस सैर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

माटी का दिया

खुश हो माटी का दिया , करने लगा बखान
तम अमावसी रात का , पीकर बढता मान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, November 13, 2015

अनवरत दीप जलें !

दीप दीप्त रहें और अनवरत जलते रहें ,
बातियों में स्वाह अज्ञान तम बहते रहें ,
’ओंम ’ रोम रोम बसी निर्मल स्निग्ध ज्योत हो  ,
निर्बाध उजियार में हम सदा फलते रहें !!! \
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, November 10, 2015

दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।

तिमिर दंभ का छाया ,जो अपने दिमागों में , 
समूल नष्ट हो सब, यही विनती चिरागों से , 
उजियारा हो स्थायी , ओंम’ मेरे भारत में 
रहें मन सदा झंकृत , पावन दीप रागों से !
-ओंम प्रकाश नौटियाल