Wednesday, March 25, 2015

Friday, March 20, 2015

नकल के लिए कानून बने!!!

हाल ही में टी वी चैनल्स द्वारा   विद्यार्थियों के परीक्षा में नकल किए जाने के विषय में प्रसारित एक विडीयो समाचार देख कर इस बात की खुशी हुई  कि बदलते युग में अब नकल भी साधिकार बड़े  सुचारू और व्यवस्थित ढंग से की जाने लगी है । इसमें न केवल आधुनिक तकनीक का खुलकर प्रयोग हो रहा है बल्कि अब इसमें समाज के सभी महत्वपूर्ण अंगो ( विद्यार्थी, शिक्षक , पुलिस , माता पिता , मित्र संबंधी आदि ) की सक्रीय भागेदारी भी है । सभी छात्रों को देश निर्माण में बराबर का अवसर देने के लिए समाज के सभी तबके के लोग आगे आ रहे हैं और विद्यार्थी जीवन के परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण पडाव को केवल अपरिपक्व उम्र के बच्चों के भरोसे न छोड़कर विद्यार्थीयों की परीक्षा  में अपनी भूमिका  गंभीरता से तय कर रहे हैं और निभा रहे हैं ।
 हम सबका भी यह कर्तव्य हो जाता ह कि इस विषय में सभी कानूनी अड़चने  दूर करने और आवश्यक संशोधन के लिए सरकार से माँग करें ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल (20/3/2015)

Saturday, March 14, 2015

विवाह का गणित

14 मार्च 2015 के समाचार पत्रों में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार कानपुर के एक देहात में लडकी वालों ने  एक बारात को इसलिए बैरंग लौटा दिया क्योंकि  फेरों से ठीक पहले लड़की को यह शक हो गया था कि लड़का निपट अनपढ़ है । इस बात की तुरंत जाँच  का काम उसने अपनी बहनो को सौंप दिया । लड़की की बहनों ने मंडप में जाकर सीधे  लडके से प्रश्न किया कि पंद्रह और छः  का जोड़ कितना होता है । लड़के ने उत्तर दिया "सत्रह " ,   जिसे सुनते ही कन्या ने अनपढ के साथ फेरे लेने से साफ मना कर दिया । वर पक्ष  के रिश्तेदारों के बहुत समझाने पर भी कन्या व उसके पिता अपने निर्णय पर अडिग रहे और अनपढ लडके  के साथ शादी करने के लिए बिल्कुल राजी नहीं हुए , नतीजतन बारात को बिना शादी संपन्न हुए  बगैर दुल्हन के लौटना पडा ।
"संभावित दुल्हों करो , अपना  घर आबाद
सही जोड़ है इक्कीस , हो  फेरों तक याद "
-ओंम प्रकाश नौटियाल