Wednesday, May 9, 2018

ठाठ से है जी !!

ज़ैड़ सुरक्षा चाहिए
जिनका सदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

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