फुटपाथ पर पैदा
हुआ-ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
फुटपाथ पर
मुर्झाया वह फुटपाथ पर खिला,
न शिकवा किसी से
न गरीबी का कोई गिला
पैदा हुआ और फिर वो बस जवान हो गया,
इस छलाँग में लेकिन उसे बचपन नही मिला।
जवानी के पुराने
कपडे यूं रास आ गये,
चिपके रहे जब तक
रहा साँसों का सिलसिला।
राज मार्ग क्यों
कर भला फ़ुटपाथ तलक आते
उसका जग फुटपाथ
था और वही रहा किला।
भारत चमक रहा, उसे
गर्मी में लगता था,
तिलमिलाता सूरज
मगर करता था पिलपिला।
आजाद भारत में
उसे नहीं आशियाँ मिला
फुटपाथ
ही था देश वह वहाँ से नहीं हिला ।
-ओंम प्रकाश
नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
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