Friday, April 27, 2018

मै शापित

मै शापित -ओंम प्रकाश नौटियाल

मुड़कर जब जब देखा मैंने
हत्यारे मेरे पीछे थे
मेरे भ्रूण  हत्या को आतुर
क्रोधित हो मुट्ठियाँ भींचे थे

जब थोडी बडी हो गई मैं
तुतलाकर लगी बोलने कुछ
वो कह कह बेटी पुचकारें
भीतर पिशाच सरीखे थे

तरुणाई ने अँगडाई ली
पाया सब ओर भेडिए थे
भक्षण को मेरे लालायित
वह अकसर मुझको खींचे थे

विवाहोत्तर भी अभिशप्ता
दुखित सदैव विक्षिप्ता
अनुरागी आचरण से मेरे
मानों सब अंखियाँ मीचे थे

आँचल से स्नेह उंडेला था
तानों को ही बस झेला था
उस आँचल को  जला दिया
सींचे जिसने प्रेम बगीचे थे
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

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