Wednesday, August 31, 2011

श्री गणेश स्तुति हाइकु

-ओंम प्रकाश नौटियाल

भाद्र पद में
शुक्ल पक्ष चतुर्थी
आप अतिथि

गजवदन
शत शत नमन
कष्ट शमन

आपका जाप
जगमग प्रताप
दे शुभ लाभ

पुष्प अक्षत
आपको समर्पित
मिष्ट मोदक

गण नायक
दिव्य बुद्धि धारक
विघ्न तारक

प्रखर बुद्धि
हो मन वाणी शुद्धि
आये समृद्धि

हे गणपति
ॠद्धि सिद्धि श्रीपति
हरो विपत्ति

मूष वाहक
आप दें आलंबन
कार्य प्रारंभ !!!

Thursday, August 25, 2011

(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन " से )

-ओंम प्रकाश नौटियाल

साँस साँस जीवन है
पल पल समय धार,
बूंद बूंद सागर है
लघु लघु विस्त्तार,

ईश्वर वास कण कण
काल योग क्षण क्षण,
सीमटे से आंचल में
ममता का संसार अक्षुण्ण,

अक्षर अक्षर ज्ञान है
श्वास श्वास प्राण है,
तृण तृण सुप्त ताप,
मन कोष्ठ में छुपा
सदियों का प्रलाप ।

अणु अणु है पदार्थ,
अहं अहं मूल स्वार्थ,
लघु कली कली में बन्द
विश्वव्यापी सुगन्ध,
मेघ मेघ आकाश,
पुष्प पुष्प सौन्दर्य वास,
महा पाप लोभ लोभ,
ध्यान ध्यान योग योग।

जन जन जनतंत्र
अन्ना अन्ना शक्ति यंत्र,
दीनहित भक्ति मंत्र,
समर्पित सत्यनाद से
झंकृत दिग दिगंत ।

साँस साँस जीवन है
पल पल समय धार,
बूंद बूंद सागर है
लघु लघु विस्त्तार ।


(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन " से )

Saturday, August 20, 2011

अन्ना हजारे

-ओंम प्रकाश नौटियाल

कोई तो है तडपता जो
हमारे दर्द के मारे,
कोई तो है अजीज़ अपना
जिसे हम जान से प्यारे ।

कोई तो है जिसे गम
सुना सकते हैं हम सारे,
कोई तो है बनाया जिसने
हम को आँख के तारे ।

कोई तो है नहीं जिसके
आँसू मगरमच्छी ,
कोई तो है नहीं भाते जिसे
बस खोखले नारे।

कोई तो है समझता जो
हमारी जान की कीमत,
कोई तो औषधि बनकर के
आया आज है द्वारे।

कोई तो है हमारी साँस
जिसकी साँस बसती है,
हृदय पवित्र , हमदर्द मित्र
हमारा अन्ना हजारे !!!

(पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित)

Sunday, August 14, 2011

आजाद लोग

-ओंम प्रकाश नौटियाल


आजादी की उम्र हुई
अब साठ के उपर,
कुछ इठलाये, बलखाये,
कुछ घिघियाये, सठियाये से लोग !

कहीं गाल पिचके पिचके
कहीं नाज , लटके झटके,
कुछ भूखे, प्यासे तडपें
कुछ रिश्वत खाये से लोग !

कुछ ऐसे घूमे दुनियाँ
जैसे हो गाँव अपना ,
रोटी की दौड ही पर
कुछ का जैसे सपना,
कुछ पैसों के पंख वाले
कुछ रोगी, गठियाये से लोग !

कुछ फ़ैलाते नफ़रत
हर शख़्स कुछ को प्यारा,
हिंसा ही कुछ की फ़ितरत
कुछ का धर्म भाईचारा,
कुछ दयालु, सहिष्णु
कुछ जिद्दी, हठियाये से लोग !

कुछ देश की खातिर
अपनी जान तक दे डालें,
स्व जान की सेवा में
कुछ देश बेच डालें ,
कुछ गर्वीले मन भाये,
कुछ खुद पे भरमाये से लोग !


हर मौसम से घबराये
कुछ लरजाये, सताये से लोग,
कुछ लाचार, आधे अधूरे
कुछ ड्योढे सवाये से लोग,
बेमौसम ही खिलखिलायें
कुछ गरमाये, गदराये से लोग !


बेबस नजरों से देखें
कुछ तरसाये ललचाये से लोग,
पाँवों में कुछ के दुनियाँ
कुछ इतराये अघाये से लोग,
कुछ वक्त के सरमाये
कुछ वक्त के सताये से लोग !


कुछ सहमें , चरमराये
डरे डराये, धमकाये से लोग,
कुछ जन्म से बने बनाये
साँचे में ढले ढलाये से लोग,
कुछ निस्तेज, रात के साये
कुछ चमचमाये, तमतमाये से लोग

आजादी की उम्र हुई
अब साठ के उपर,
कुछ इठलाये, बलखाये,
कुछ घिघियाये, सठियाये से लोग !