Saturday, August 30, 2014

वजह मुस्कुराने की

-ओंम प्रकाश नौटियाल
अदा है पास आपके सारे जमाने की ,
चाहत है सभी की आपका हो जाने की,
रूप देखा सदा ही खिलखिलाता आपका
हमको भी थोडी दें वजह मुस्कुराने की !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
 

Tuesday, August 26, 2014

साज गम का

-ओंम प्रकाश नौटियाल

नाज करना बता गया कोई,
आज अपना सता गया कोई,
आप सुनाते प्रेम गीत मधुर
साज गम का बजा गया कोई !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Saturday, August 23, 2014

थौमस एडिसन - सकारात्मक सोच वाले एक महान वैज्ञानिक

ओंम प्रकाश नौटियाल
-हम सभी ने थौमस एडिसन का नाम सुना है । उनका जन्म 11 फ़रवरी 1847 को मिलान , ओहियो अमेरिका और मत्यु 18 अक्टूबर 1931 को न्यू जर्सी में हुई । अपने जीवन काल में उन्होंने जो बडे बडे आविष्कार किये जिनमें फोनोग्राफ ,बिजली का बल्ब ,क्षारीय बैटरी ,किनैटोग्राफ कैमरा आदि शामिल हैं । छोटी उम्र में ही उनकी माता ने उन्हें विद्यालय से निकाल लिया क्योंकि उनके अध्यापक के अनुसार उनका ध्यान पढाई में नहीं था और उन्हें अनुशासन में रख पाना बेहद कठिन कार्य था । 11 वर्ष की आयु में उनमें ज्ञान अर्जन करने और विभिन्न विषयों पर पुस्तकें पढने की अतुलनीय क्षुधा द्दष्टिगोचर हुई । उन्होंने अपने आप पढने और स्वयं को शिक्षित करने की एक योजना बद्ध शुरुआत कर दी जो कि उम्र भर चलती रही ।-

12 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने माता पिता को विश्वास में लेकर ग्रान्ड ट्रंक रेल रूट पर अखबार बेचने का काम शुरू करते हुए अपनी शिक्षा को व्यवहार में आंकना प्रारंभ किया । अखबार बेचते हुए उनकी न्यूज बुलैटिन पर पहुंच होने से उन्होंने "ग्रान्ड ट्रंक हैराल्ड " नाम का अखबार निकाल कर व्यवसाय की दुनियाँ में अपना पहला कदम रखा ।-

समयोपरांत एडिसन ने अपनी प्रयोगशाला की भी स्थापना की और विभिन्न अविष्कारों के प्रणेता बनें ।-

बताया जाता है कि विद्युत बल्ब का फ़िलामैंट बनाते हुए ( बल्ब के अंदर का तार जो जल कर रोशनी देता है ) वह लगभग 10000 बार असफल हुए , विभिन्न प्रकार की मिश्र धातुओं से तैय्यार फ़िलामैंट हर बार जल कर राख हो जाता था । उनके एक मित्र ने कहा , " एडिसन तुम दसों हजार बार असफल हो गये हो, इसका अर्थ यह है कि ऐसा रोशनी देने वाला फ़िलामैंट बनना संभव ही नहीं है । " एडिसन ने उत्तर दिया , " मित्र मै दस हजार बार असफल नहीं हुआ हूं बल्कि अब मैं मिश्र धातु के दस हजार ऐसे फिलामैंट जान गया हूं , जिनसे बल्ब नहीं बनाया जा सकता है, और अब मुझे अन्य फ़िलामैंट की खोज करनी होगी ।" सकारात्मक सोच का इससे अनुपम और प्रेरणादायक उदाहरण भला क्या मिलेगा"?

67 वर्ष की उम्र में उनकी फैक्टरी जल कर खाक हो गयी , इसमें उनके जीवन भर की अर्जित पूंजी लगी थी और उन्होंने इन्श्योरैंस भी बहुत कम करवाया हुआ था ।

एडिसन ने सब देखा और कहा , " ऐसे विनाशकारी बडे हादसों का एक लाभ यह है कि हमारी जीवन भर की गलतियाँ भी जलकर राख हो जाती हैं , और हम ईश कृपा से नई शुरूआत कर सकते हैं ।"

सप्रेम

ओंम प्रकाश नौटियाल

(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)

Friday, August 22, 2014

विवशता

-ओंम प्रकाश नौटियाल
हो मौसम उदास फूल को खिलना तो पड़ता है,
हवा के मान को वृक्ष को हिलना तो पडता है,
मिलन रास न आये जिंदगी को मौत से शायद
बिन बुलाये आ जाये, फिर मिलना तो पडता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, August 20, 2014

आवाज बुलंद कीजिये !

-ओंम प्रकाश नौटियाल

गुजरात के छोटा उदयपुर जिले की संखेडा तहसील से हिरण नदी गुजरती है । मीडिया समाचारों के अनुसार इसके किनारे बसे पाँच गाँवों के बालक बालिकाएं वर्षों से तैर कर नदी पार करके विद्यालय जाते हैं । गाँवों से पुल लगभग ११ कि.मी. दूर है इसलिये पुल से होकर जा्ना पैसे और समय दोनों द्दष्टि से अत्यधिक खर्चीला है ।

इन गाँवों के लगभग सवा सौ बच्चों को यह समस्या नित्य झेलनी पडती है जो नदी पार कर के नर्मदा जिले की तिलकवाडा तहसील के उतावडी गाँव स्थित सरकारी विद्यालय में पढने जाते हैं । बालक तो अपने कपडे उतार कर प्लास्टिक बैग में रखकर नदी पार करते हैं और फ़िर दूसरे छोर पर जाकर कपडे पहन लेते हैं किंतु कन्याएं भीगे वस्त्रों में हीं पाठशाला जाती हैं और उनके कपडे शरीर पर ही सूखते हैं ।

गाँव वाले बच्चों को इस जोखिम से बचाने के लिए जिला अधिकारियों से नदी पर पुल बनाने की माँग वर्षों से कर रहे हैं किंतु जैसा कि अपने देश में अकसर होता है , जब तक कोई बडा हादसा न हो जाये किसी के कान पर जूं नहीं रेंगती । इस चुनावी वर्ष में कुछ मीडिया चैनलों ने अपने समाचारों मे नदी पार करते बच्चों के वीडियो दिखाये और गाँव वालो तथा बच्चों के साक्षात्कार भी प्रसारित किये । मीडिया के आवाज उठाने पर मामला चूंकि गाँवों की सीमा से बाहर निकल गया है इसलिये बताया गया है कि अब वहाँ पर फिलहाल दो नावों को तैनात किया गया है (जो वर्षों पहले भी हो सकता था)

बच्चों के जीवन से खिलवाड करने वाले तथा उनके सिक्षा के मौलिक अधिकार से जुडे इस मामले को अब सबने गंभीर मानना शुरु कर दिया है । राश्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है , राज्य के मुख्य सचिव को चार सप्ताह में इस विषय पर रिपोर्ट देने को कहा गया है ।

इस विषय में राष्ट्रीय मीडिया की भूमिका , देर से ही सही, अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुई है अन्यथा यह एक स्थानीय मुद्दा बनकर न जाने कितने वर्षों तक और लटका रहता ।

इसलिये आवश्यक है कि आवाज उठायी जाये और वह भी इतनी जोर से कि पूरा देश सुन सके ।

जय भारत
ओंम प्रकाश नौटियाल



 

Monday, August 18, 2014

दीदार

-ओंम प्रकाश नौटियाल


दीदार

साकी के आने से यह बात अच्छी हो गई है,
मेरी महफिलों में दिलचस्पी सबकी हो गई है,
पहले जो आते ना थे व्यस्तता का कर बहाना
दीदार को उन्हें भी अब मयपरस्ती हो गई है

-ओंम प्रकाश नौटियाल
 
 

गोविंदा आला रे !!!

ओंम प्रकाश नौटियाल

बडौदा में हमारे मोहल्ले में अभी कुछ समय पहले ही दही हाँडी फोडने का कार्यक्रम संपन्न हुआ । सारे आयोजन को, जिसमें लगभग २०० से अधिक लोगों ने भाग लिया, ७ से १४ वर्ष के करीब २० बच्चों ने बहुत ही कुशलता से पूर्ण किया । मेहमानों के लिए बैठने की व्यवस्था , पेय जल वितरण , कार्यक्रम की रूपरेखा के और विलंब के कारणों की समय समय पर उद्घोषणा करने आदि के कार्य बडे सुचारु रूप से संपन्न किये गये। उद्घोषक बालक की मासूमियत और ईमानदारी ने सब का दिल जीत लिया ... " ...डी जे लगने में विलंब होने से कार्यक्रम निर्धारित समय से कुछ पीछे हो गया है , अभी पाँच मिनट में शुरु होने वाला है । पहले श्री कृष्ण भगवान की आरती होगी जिसमें सभी भाग लेंगे , फ़िर हमारा जिमनास्टिक का छोटा कार्यक्रम होगा , फ़िर दही हाँडी फोडी जायेगी, काफी उपर लगी है , इसलिये फूट गई तो ठीक ,नही फूटी तो भी कोई टैन्शन नहीं लेना है । इसके बाद प्रसाद वितरण होगा , सब लोग कृपया प्रसाद लेकर जायें ।..."
ऐसी बहुत सी सामूहिक गतिविधियाँ जो पहले गाँवों में बडी प्रचलित थी और जिसमें सभी उम्र के लोगों की भागीदारी होती थी , अब प्रायः लुप्त हो रही हैं , गोविंदा का भी अब व्यवसायिकरण हो गया है । ऐसे त्योहार जिन्हें सब लोग सामूहिक तौर पर मनाते हैं , आपस में न केवल भाईचारा बढाते हैं अपितु सामूहिक कार्यविधि , परस्पर सहयोग, अनुशासन , कार्य दक्षता और कुशलता को भी बढावा देते हैं । बच्चों के इस आयोजन से मैं बहुत प्रभावित हुआ , ऐसी सामूहिक गतिविधियों को हमें अपने मोहल्ले , सोसाइटी में प्रोत्साहित करना चाहिये । बच्चों के आयोजन की सबसे अच्छी बात यह है कि उसमें राजनितिक रंग नहीं होता , श्रेय लेने की कटु स्पर्धा नहीं होती । सच है, बच्चे बडों को बहुत कुछ सिखाते हैं ।
"दुनियाँ की शोहरतें हैं उन्हीं के नसीब में
अंदाज़ जिनको बात बनाने के आ गये ,
पंडित उलझ के रह गये पोथी के जाल में
क्या चीज़ है ये ज़िन्दगी, बच्चे बता गये ।"
----’हस्ती
सप्रेम
ओंम प्रकाश नौटियाल




 
 

Tuesday, August 12, 2014

अच्छे दिन


सच्ची पूजा

आँखों में आँसूओं का, समन्दर क्यों हो,
बढ़ ख्वाहिशें आदमी की, सिकन्दर क्यों हो,
सत्कर्म करें सभी अगर समझ कर पूजा
वास शैतान का फिर भला अंदर क्यों हो ?
- ओंम प्रकाश नौटियाल  

Monday, August 11, 2014

प्यारा ध्वज तिरंगा !

उन लोगों को मिले सजा, करवाते जो दंगा,
सब जगह हो अमन, चाहे दिल्ली या दरभंगा ,
इस जहाँ से मिट जाये, निशाँ दहशतगर्दी का
तब फिर शान से लहराये, प्यारा ध्वज तिरंगा !

-ओंम प्रकाश नौटियाल