Saturday, January 12, 2019

जाने कहाँ गये वो दिन ...



क्या जमाना था वह भी , उन दिनों को याद करके सीना गर्व से फूल कर चौड़ा हो जाता है । गठबंधन तब भी होते थे पर केवल चुनाव जीतने या सत्ता की डोर थामने के लिये नहीं वरन सिर्फ और सिर्फ कुर्सी के माध्यम से निस्वार्थ भाव से जन सेवा करने के उद्देश्य से । जरा याद कीजिए चुनाव पूर्व और चुनाव पश्चात हुए देश प्रेम  में सराबोर टी डी पी, पी डी पी , जे डी (यू) के साथ हुए बेमेल किंतु पावन , शुद्ध ,सात्विक गठबंधनों को,  जो हमारे गौरवशाली सियासती अतीत की धरोहर हैं और  जिन पर  हर भारतवासी को गर्व है । इसके विपरीत आजकल हो रहे गठबंधन मात्र अवसरवादिता , कुर्सी पाने की कुत्सित लालसा और स्वार्थपरायणता की पराकाष्ठा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं । अतीत में दर्जन भर से अधिक दलों के गठबंधन ने इस शब्द को कभी इतना बदनाम नहीं किया क्योंकि तब नीयत साफ थी । इतने कम समय में सियासत का ऐसा पतन दर्दनाक भी है और भयावह भी । जाने कहाँ गये वो दिन ......
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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