Sunday, March 27, 2011

आम आदमी

-ओंम प्रकाश नौटियाल



बडा आम सा लगे बेचारा आम आदमी,
बेखबर ज्यों अंजाम से हो आम आदमी।

रोटी की चिंता में यहाँ वहाँ फिरे मारा,
बेदाम सा बिक जाता है आम आदमी।

बडे बडे लोग तो कितने नाम वाले हैं,
’अनाम’ सा घूमे बेचारा आम आदमी।

हर तरफ़ से उसको दुत्कार ही मिले,
’हाय राम’ सा है बेचारा आम आदमी।

काम की तलाश के बस काम में जुटा,
कहने को बेकाम सा है आम आदमी ।

चेहरों पर उनके काले धन की चमक है,
दोपहर में पर शाम सा है आम आदमी।

सारे फलों का यूं तो है ’आम’ बादशाह,
पर ’आम’ से मजाक सा है आम आदमी।

अखबारों मे उसकी चर्चा है कभी कभी,
पर कार्टून में काम का है आम आदमी।

’ओंम’ कुछ कहें वह किसी काम का नही,
चुनाव में पर शान सा है आम आदमी।

Saturday, March 26, 2011

बाल सुलभ चिंता

ओंम प्रकाश नौटियाल


’मोहन’ बोले ’लालकृष्ण’ से, यह तथ्य करो स्वीकार,
पी एम पद पर नहीं, किसी का जन्म सिद्ध अधिकार।

सुनकर बात ’अविवाहित बालक’ मन मन में घबराया,
तीर ’लाल’ की आड ले,कहीं मुझ पर तो नहीं चलाया।

मैने ही जननी से कह इनको इस पद पर बिठलाया ,
बस में सीट सुरक्षित करने हेतु,ज्यों रुमाल रखवाया।

चली आई जो वंश रीत, अब मैं गद्दी लेने को तैय्यार,
क्यों बोले ’मोहन’ नहीं गद्दी पर जन्म सिद्ध अधिकार?

Monday, March 21, 2011

जापानी ज़लज़ला

ओंम प्रकाश नौटियाल


मजीरे, ढ़ोल काँपें, लगे बेरंग सा गुलाल है,
भूकम्प त्रासदी का बन्धु , बेहद मलाल है।

रुख़सारों पे रंग का कहाँ वैसा जमाल है,
विकिरण के ज़हर का ज़हन में खयाल है।

मुहब्बत का जज्बा,पर सुस्त पड़ी चाल है,
विकास इस कीमत पर? मन में सवाल है।

जापानी जलजले से जख्मी जी निढाल है,
भीषण ऐसे दुख देख, जीना ही मुहाल है।

प्रभू आप सर्वज्ञ आपको सबका खयाल है,
पहले सी हो भोर वहाँ ,मिटे जो बवाल है।

Friday, March 18, 2011

हा हा हा होली है

-ओंम प्रकाश नौटियाल



जमाना आज ब्लाग का है,
स्लम और स्लमडाग का है,
नोट वोट का ऐसा रिश्ता,
जैसे चीन पाक का है,
स्वार्थ के रिश्ते बने
दामन और चोली है
हा हा हा होली है।

चाँद रोज बदलता है,
फ़िजा में भी बदलाव है,
मुम्बई हमले के अब तक
हरे सारे घाव हैं,
खुश है हर हाल में पर
जनता बडी भोली है,
हा हा हा होली है।

कितने घोटाले हुए
हुई जाने कितनी जाँच,
साक्ष्य बडे पुख्ता थे,
पर ’उन’ पर न आई आँच,
उनके नये ’आदर्श धाम’ ,
अपनी वही खोली है,
हा हा हा होली है ।

पदक की खातिर ,
खिलाडी स्वेद बहाते रहे,
खेल से न जिनका रिश्ता
बढते उनके खाते रहे,
खिलाडियों ने भर दी,
पदकों से झोली है,
हा हा हा होली है ।

चलाते जो देश वह,
दूरदर्शी लोग होते हैं,
अपनी पीढ़ीयों के लिये,
अपार धन संजोते हैं,
जनता खोयी सी मानों
अलसायों की टोली है,
हा हा हा होली है ।

उंचे उंचे पद पर जो
बड़े उनके घोटाले हैं,
पंगु प्रहरी देखें पर,
उनके मुंह लगे ताले हैं,
भ्रष्टाचारीयों और पुलिस में
रिश्ता बडा ’होली’ है,
हा हा हा होली है ।

Saturday, March 12, 2011

परवरदिगार है सूत्रधार

ओंम प्रकाश नौटियाल


प्रभु ने अपनी यह सृष्टि
नेह के साथ रचाई है,
फ़िर क्योंकर कुपित द्दष्टि
इस सृष्टि पर बरसाई है?

जब एक सुनामी आती है
बवन्डर कैसे कर जाती है,
आबाद चहकते भवनों को
पल में खंड़हर कर जाती है।

तकनीक लगी बेबस सी
विज्ञान रहा मौन तकता,
कुदरती कहर के आगे,
मानव कितना बौना लगता।

क्या होगा मेरे बाद यहाँ
यह चेतन मन की बाते हैं,
चिंता की पीर सताती है,
जब तक चलती ये साँसे हैं।

इस कारण से हे अज्ञानी
तज दे तुरंत यह अहंकार,
कठपुतली सा तेरा वजूद
परवरदिगार है सूत्रधार ।

Wednesday, March 2, 2011

जय भोले बाबा

-ओंम प्रकाश नौटियाल


भोले बाबा, तरस खाओ
पसीजो तुम, जरा सुन लो,
हम भक्तों के सवालों को,

प्रलयंकर ! हो अब बम बम बम,
बजे डमरू डमा डम डम,
हो छ्म छ्म छ्म, छ्मा छ्म छ्म
रमालो भस्म, जटा खोलो,
झटक दो अपने बालों को,

बहुत कुछ सह लिया तुमने,
हलाहल पी लिया तुमने,
ध्वस्त कर दो न देरी हो,
पापियों की कुचालों को,

कालरात्रि का लाग है,
तन मन में एक आग है,
तन तान्डव में तन्मय,
उठो खोलो नयन तीजा,
भस्म अब तो कर दो
घोटाला करने वालों को,
घोटालों के दलालों को,

जय जय मेरे शंकर,
नीलकंठ, प्रलयंकर !
पसीजो तुम , तरस खाओ
बचा लो अपने भक्तों के
मुंह से छीने निवालों को,
उनके अगले सालों को ,

तन तान्डव में करो तन्मय,
उठो खोलो नयन तीजा,
भस्म अब तो कर दो ,
घोटाला करने वालों को,
घोटालों के दलालों को ।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)