12 अप्रैल 2019
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!
समाचारों के अनुसार चुनावी बान्ड को लेकर कल गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी । अटौर्नी जनरल के इस दावे पर कि चुनावी बान्ड़ योजना का उद्देश्य चुनाव में काले धन पर रोक लगाना है सी जे आई ने पूछा कि क्या बैंक के पास इस बात का विवरण होता है कि कौन सा बान्ड किसे जारी किया जा रहा है । ए जी जनरल द्वारा इस प्रश्न का जवाब नहीं मे दिये जाने पर सी जे आई ने कहा कि तब काले धन के खिलाफ आपकी यह सारी लड़ाई व्यर्थ है ।एक अन्य जस्टिस ने यह भी कहा कि बान्ड़ खरीदते समय केवाईसी सिर्फ खरीददार की पहचान है इस बात का प्रमाण नहीं कि धन काला है या सफेद ।
दर असल दलों को थोक में दिया जाने वाला गुमनाम चंदा ही काले धन की जननी है ।जब राजनीतिक दल बिना कोई पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया अपनाये, धन का स्रोत जाने बिना, व्यापारिक घरानों व अन्य लोगों से करोड़ों का धन चंदे के रुप में लेंगे तो वह लोग भी बदले में इन दलों के सत्तारूढ़ होने पर बहुत कुछ ऐसा अनदेखा करने की आशा करेंगे जो गैर कानूनी तरीकों से गुप्त चंदे के रूप में लगाई गयी उनकी पूंजी को कई गुना बढ़ा सकता है ।आखिर वह लोग व्यापारी हैं कोई मुफ्त में खैरात बाँटने वाले नहीं । इसलिये जब तक चुनावी चंदे की प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी नही होती तथा चुनाव मे खर्च किये जा रहे बेतहाशा काले धन के विषय में प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते तब तक इस विषय में किये जा रहे सभी प्रयास सतही हैं महज लोक दिखावा है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!
समाचारों के अनुसार चुनावी बान्ड को लेकर कल गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी । अटौर्नी जनरल के इस दावे पर कि चुनावी बान्ड़ योजना का उद्देश्य चुनाव में काले धन पर रोक लगाना है सी जे आई ने पूछा कि क्या बैंक के पास इस बात का विवरण होता है कि कौन सा बान्ड किसे जारी किया जा रहा है । ए जी जनरल द्वारा इस प्रश्न का जवाब नहीं मे दिये जाने पर सी जे आई ने कहा कि तब काले धन के खिलाफ आपकी यह सारी लड़ाई व्यर्थ है ।एक अन्य जस्टिस ने यह भी कहा कि बान्ड़ खरीदते समय केवाईसी सिर्फ खरीददार की पहचान है इस बात का प्रमाण नहीं कि धन काला है या सफेद ।
दर असल दलों को थोक में दिया जाने वाला गुमनाम चंदा ही काले धन की जननी है ।जब राजनीतिक दल बिना कोई पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया अपनाये, धन का स्रोत जाने बिना, व्यापारिक घरानों व अन्य लोगों से करोड़ों का धन चंदे के रुप में लेंगे तो वह लोग भी बदले में इन दलों के सत्तारूढ़ होने पर बहुत कुछ ऐसा अनदेखा करने की आशा करेंगे जो गैर कानूनी तरीकों से गुप्त चंदे के रूप में लगाई गयी उनकी पूंजी को कई गुना बढ़ा सकता है ।आखिर वह लोग व्यापारी हैं कोई मुफ्त में खैरात बाँटने वाले नहीं । इसलिये जब तक चुनावी चंदे की प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी नही होती तथा चुनाव मे खर्च किये जा रहे बेतहाशा काले धन के विषय में प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते तब तक इस विषय में किये जा रहे सभी प्रयास सतही हैं महज लोक दिखावा है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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