Tuesday, January 8, 2019

आरक्षण-एक लघु कथा

"पापा , समाचारों में सुना है कि सरकार गरीबों के लिये नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण करने जा रही है "
" हाँ बेटा बिल्कुल ठीक सुना है तुमने । सभी राजनीतिक दलों के हृदय में गरीबों के लिये बड़ा दर्द होता है और इस  दर्द की तड़प कुछ खास मौकों पर तो इतनी अधिक बढ़ जाती है कि वह गरीबों का जीवन स्तर तुरंत सुधारने के लिये बेचैन दिखने लगते हैं ।"
" लेकिन पापा हमारी गणित की मे’म तो कह रही थी कि शून्य का कुछ भी प्रतिशत लिया जाये वह शून्य ही होता है ।"
"वह बात तो ठीक है बेटा , इसीलिये तो राजनीतिक दल सभी लोगों को अधिक शिक्षित करने में विश्वास नहीं करते । शिक्षित होकर लोग  तुम्हारी तरह उनकी हर बात का वैज्ञानिक विश्लेषण करने लगेंगे और व्यर्थ में ही झुनझुनों से बहलना और खुश होना छोड़ देंगे ।अल्पकालिक खुशी बाँटना भी बड़े पुण्य का काम होता है "
"आप ठीक कहते हैं पापा । मैं किसी से नहीं कहूंगा कि शून्य का दस प्रतिशत शून्य होता है ।"
"हाँ बेटा ,ज्ञान को परीक्षा  के लिये सहेजना ही श्रेस्यकर  है । अब सो जाओ , दस बज गये हैं ।"
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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