Wednesday, September 12, 2018

हिंदी पर नाज है


करोड़ों जनों की भाषा
फूलेगी फलेगी स्वतः,
प्रचार संबल की न
यह मोहताज है !
सिद्ध सृजन से सजा
सहित्य सँवरा हुआ,
वाहक संस्कृति का
मन की आवाज है !
कितनी भी खुल जाएं
अंग्रेजी शाला देश में,
मातृ भाषा ही में सोचे
हिंद का समाज है !
सीखो अन्य भाषाएं भी
देश या विदेश की हों
हिंदी पर तो हमेशा
रहे  किंतु नाज है !!!
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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