जब देश मे कहीं मने ,जनमत का त्यौहार
वादों की लगती झड़ी, जुमलों की भरमार,
जुमलों की भरमार ,जो कि जन जन मन भायें
सम्मोहित हों लोग, नयी उम्मीद लगायें
कहें ’ओंम’ कविराय ,रुकेगा शायद यह तब
देंगे सुनना छोड़ , चुनावी भाषण सब जब !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वादों की लगती झड़ी, जुमलों की भरमार,
जुमलों की भरमार ,जो कि जन जन मन भायें
सम्मोहित हों लोग, नयी उम्मीद लगायें
कहें ’ओंम’ कविराय ,रुकेगा शायद यह तब
देंगे सुनना छोड़ , चुनावी भाषण सब जब !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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