वंशवाद लोकतंत्र के लिये धीमे विष के समान है जो निरंतर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को खोखला किये जा रहा है । प्रमुख राजनीतिक दल वंशवाद जन्य संकट के विरूद्ध समय समय पर लोगों को सचेत तो करते रहे हैं किंतु कभी कोई बहुत कारगर कदम उठाने की दिशा में बड़े पैमाने पर सार्थक पहल नहीं कर सके । अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि इस बार हो रहे विधान सभा चुनाव में इस खतरे को समूल नष्ट करने के लिये सभी बड़े दलों में अब अलिखित आम सहमति हो गयी है और सभी दलों ने समस्त विरोध की अवहेलना करते हुए अधिक से अधिक ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिये है जिन्हें वंशवाद का पूरा अनुभव और ज्ञान है और जो इसी माहौल में पले बड़े हुए हैं । परिणाम स्वरूप सभी दलों ने अपने बड़े बड़े नेताओं के पुत्र, पुत्रियों, दामाद ,बहुओं , भाई ,भतीजों जैसे तमाम संबंधियों को बेहिचक वंशवाद के विरुद्ध युद्ध के लिये टिकट बाँट दिये हैं :
कुनबा सभी झोंक दिया,करने इसका अंत
काट सकेगा अब नहीं , वंशवाद का डंक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
No comments:
Post a Comment