Wednesday, February 20, 2019

सुरक्षा

राजस्थान में जेल में कैदियों के बीच किसी विवाद पर हुई मारपीट के बाद सुरक्षा  बढ़ा दी गयी है समाचारों में बताया गया है कि पिछली बार हुई वारदात के बाद भी सुरक्षा बढ़ा दी गयी थी ।  हमारे सत्ताधीशों और प्रशासकों की  दूरदर्शिता प्रशंसनीय है कि सुरक्षा हमेशा नाप तोल कर इतनी बढ़ायी जाती है  कि घटना की पुनरावृति होने पर और बढ़ाने की गुंजाइश सदैव बची रहती है अन्यथा घटना हो जाने पर लोगों को और मीडिया को इस विषय में आगामी कदम उठाने के बारे में बताना मुश्किल हो सकता है । 
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, February 17, 2019

शहीदों को कोटि कोटि नमन !!!


 पुलवामा के आतंकी हमले से पूरा देश अत्यंत क्षुब्ध और आक्रोशित है। यही समय है जब विवेक सम्मत निर्णय लेने के लिये संयम अति आवश्यक है ।  वीर सैनिकों पर धोखे से किये गये इस कायराना हमले का बदला लेने के नाम पर कुछ लोग आपे से बाहर होकर  भड़काऊ बातें कर रहे हैं,बयान दे रहे हैं । हमें याद रखना चाहिये कि पाक को खाक में मिलाने की बातें भी हम अपने दम पर नही वरन अपने वीर सैनिकों के बूते पर ही कर रहे हैं । तो क्या हमारे क्रोध को शान्त करने के लिये हमारे बहादुर जवानों को  बिना सोचे समझे स्वयं को युद्ध में झोंक देना चाहिये ?  कब , कहाँ और क्या कार्यवाही करनी है यह निर्णय हमें अपनी सेना और नीतिकारों पर छोड़ देना चाहिये जो इसके विशेषज्ञ हैं और  जिन्हें इस संबंध में पूर्ण अधिकार दिये गये हैं जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री जी ने बताया है ।यह वक्त असंयमित होकर अनर्गल गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य देकर अपनी सेना और  प्रशासकों पर अनुचित दबाव बढ़ाने का कदापि नहीं है। हमें तो केवल अपने सजग, सतर्क ,कर्तव्यपरायण ,राष्ट्र प्रेमी और जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाते रहना चाहिये। हमारा प्रबल विश्वास है कि भारत की सक्षम सेना संपूर्ण परिस्थिति का संज्ञान लेते हुए समय आने पर अवश्य ही प्रभावी कदम उठायेगी । जय जवान ! जय हिंद !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, February 10, 2019

देश पटरी पर .....



मेरे विचार से आने वाले आम चुनाव में  अपना मत उसी दल को देना चाहिये जो अपने घोषणा पत्र में यह वादा अवश्य करे कि वह रेलवे ट्रै्क्स की लम्बाई  अपने कार्यकाल में कम से कम  दुगुना अवश्य कर देगा । जरा सोचिये यदि अपनी छोटी मोटी अलग अलग तरह की माँगों अथवा शिकायतों को लेकर कभी पूरे देश को एक साथ ट्रैक धरने पर बैठना पड़े तो ट्रैक्स की  लम्बाई इतनी तो होनी ही चाहिये कि पूरी आबादी आराम से ट्रैकस्थ हो सके। इसके साथ ही ट्रैक के किनारे किनारे अन्य सभी सुविधाएं भी, नित्य कर्म को छोड़कर जिसकी सुविधा पहले से उपल्ब्ध है , प्राप्त होनी चाहियें जो कि एक सुखमय लम्बे धरने के लिये अत्यंत आवश्यक है । शताब्दी, राजधानी , दुरन्तों जैसी प्रतिष्ठित गाड़ियों की संख्या में कई गुनी वृद्धि की घोषणा भी की जानी चाहिये जिससे धरनार्थियों को कम से कम यह संतोष तो मिले कि वह देश की  महत्वपूर्ण रेल सेवाएं बड़ी संख्या में बाधित कर रहे हैं । वैसे भी जब सरकार ट्रैक पर धरना धरने वालो के सम्मुख विवश और नमस्तक है और  ट्रैक उपलब्ध न होने के कारण  रेल गाड़ियाँ चलनी ही नहीं हैं तो केवल घोषणा करने में  जाता ही क्या है । इससे सरकार और धरनार्थियों दोनों की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । यात्रा का क्या है जिसे कहीं जाना ही है वह तो पैदल भी निकल सकता है आखिर रेल के आविष्कार से पहले क्या लोग देश विदेश  नहीं घूमते थे ?
-ओंम प्रकाश नौटियाल