Friday, May 17, 2013
मेरा पहाड (कुंडलिया छंद )-ओंम प्रकाश नौटियाल
नीला नभ नत श्रंग पर, निज पर्वत की शान
मेघ मिलन हो राह में, कण कण में भगवान
कण कण में भगवान , पवन वृक्षों पर झूले
बहें झरने अलमस्त , नदी कलकल ना भूले
कहें ’ओम’ कविराय, प्रकृति की अनुपम लीला
शंकर जी का वास , जिनका कंठ है नीला
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मेघ मिलन हो राह में, कण कण में भगवान
कण कण में भगवान , पवन वृक्षों पर झूले
बहें झरने अलमस्त , नदी कलकल ना भूले
कहें ’ओम’ कविराय, प्रकृति की अनुपम लीला
शंकर जी का वास , जिनका कंठ है नीला
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 16, 2013
Wednesday, May 15, 2013
प्रेम (घनाक्षरी)
प्रेम (घनाक्षरी) -ओंम प्रकाश नौटियाल
सलोनी भोली बाला का पीछा करते रहना ,काम है अधर्म जन्य कुत्सित विचार का
गंद महज है उपज विकृत दिमाग की , वासना को अपनी जो देता नाम प्यार का
वो चाहत जिसमें नहीं स्थान बलिदान का, अन्य की पसंद इजहार , इकरार का
हो नहीं सकता है सचमुच का प्यार कभी , प्रेम में न आये कभी विचार संहार का? -ओंम प्रकाश नौटियाल
सलोनी भोली बाला का पीछा करते रहना ,काम है अधर्म जन्य कुत्सित विचार का
गंद महज है उपज विकृत दिमाग की , वासना को अपनी जो देता नाम प्यार का
वो चाहत जिसमें नहीं स्थान बलिदान का, अन्य की पसंद इजहार , इकरार का
हो नहीं सकता है सचमुच का प्यार कभी , प्रेम में न आये कभी विचार संहार का? -ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, May 14, 2013
Monday, May 13, 2013
Saturday, May 11, 2013
Friday, May 10, 2013
Thursday, May 9, 2013
Sunday, May 5, 2013
Saturday, May 4, 2013
Friday, May 3, 2013
Tuesday, April 30, 2013
Sunday, April 21, 2013
Tuesday, April 9, 2013
Friday, April 5, 2013
Tuesday, March 26, 2013
Friday, March 8, 2013
Monday, March 4, 2013
Sunday, March 3, 2013
Saturday, March 2, 2013
Thursday, February 28, 2013
Wednesday, February 27, 2013
Tuesday, February 26, 2013
Friday, February 15, 2013
Tuesday, November 13, 2012
Tuesday, October 23, 2012
Monday, October 22, 2012
Wednesday, October 17, 2012
Wednesday, September 26, 2012
Sunday, September 23, 2012
Monday, September 17, 2012
Thursday, September 13, 2012
Wednesday, September 5, 2012
Thursday, August 30, 2012
Sunday, August 19, 2012
Sunday, August 12, 2012
Saturday, August 11, 2012
भारत माँ के नाम
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !
माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !
नदियाँ, गिर श्रंखलायें, झील, ताल कंदरायें हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !
माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !
कला बोध, गीत, प्रीत लय मल्हार तुमसे है !
हमें दिये माँ तुमने अनमोल रतन कितने
ऋषि संत मुनियों सा मिला उपहार तुमसे है !
गार्गी, मीरा, सीता या हों कल्पना, सुनीता
सुन्दर सुगन्धित चमन ये गुलजार तुमसे है !
श्री राम ,राणा, शिवाजी ,पटेल, टैगोर गाँधी
वेद पंचम धर्म दर्शन का आधार तुमसे है!
दुष्टों के प्रहार भी माँ सहती रही सदा से
निश्छल प्रेम, क्षमा भाव का आचार तुमसे है !
मन में है चाह इतनी हों प्राण तुम पे कुर्बां
सब गीत गजल कविता अशआर तुमसे हैं !
Wednesday, August 8, 2012
मेरा प्यारा देश
नौटियाल
मेरे प्यारे देश तेरे वैभव वेश
जमीं आसमान का क्या कहना,
मन भावन निराली रूप छटा
शफ्फाक शान का क्या कहना !
स्वर्णिम अतीत की खानों ने
मोती रतन अनमोल दिये,
हुई ज्ञान ज्योत देदीप्यमान
तेरे वेद पुराण का क्या कहना !
मधुमय देश तेरा मृदुल संदेश
अहिंसा, शान्ति, स्नेह, अद्वेष ,
हर धर्म का मान स्थान समान
गीता कुरान का क्या कहना !
शून्य की शक्ति से अवगत
किया तूने यह संपूर्ण जगत,
ऋषि मुनि मोक्ष योग निर्वाण
ज्ञान विज्ञान का क्या कहना !
देवालय,चर्च, मस्जिद, गुरुदारा
संस्कृति में मेल विविधता का ,
चमेली चंपा शैफाली बेला
कुंकुंम जाफ़रान का क्या कहना !
मेरे प्यारे देश तेरी आन बान
मान सम्मान अभिमान ईमान,
तेरे बाग खेत खलिहान किसान
न्यारी पहचान का क्या कहना !
ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, August 5, 2012
रक्षाबंधन -चंद हाइकु
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-
रक्षाबंधन
जियेंगे बचपन
भाई बहन
-
चंदा भय्या की
राखी सजी कलाई
बहुत भाई
-
राखी की दुआ
हो खुशियों का जहाँ
भय्या हों जहाँ
-
सैकडॊं कोस
होंगे मन मसोस
भय्या खामोश
-
भाई समीप
अक्षत रोली दीप
प्रेम प्रदीप
-
कूडे में पडी
क्या होता है पूछती
रक्षाबंधन ?
-
-
रक्षाबंधन
जियेंगे बचपन
भाई बहन
-
चंदा भय्या की
राखी सजी कलाई
बहुत भाई
-
राखी की दुआ
हो खुशियों का जहाँ
भय्या हों जहाँ
-
सैकडॊं कोस
होंगे मन मसोस
भय्या खामोश
-
भाई समीप
अक्षत रोली दीप
प्रेम प्रदीप
-
कूडे में पडी
क्या होता है पूछती
रक्षाबंधन ?
-
सगर्व मने रक्षा बंधन
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-
स्नेह सिंचित भेज रही हूं
ममता की यह डोर तुम्हे
आ न पाई दूर देश से
यह व्यथा रही झकझोर मुझे !
-
प्यार हमारा रचा बसा है
बचपन की अनगिन यादों में
स्नेह मेह की धारा अविरल
बहती रही सावन भादों में !
-
दूर भले हो किया वक्त ने
मन बंधन बाँधे ये धागा है
पहुंचायेगा स्नेह संदेश तुम्हे
छत पर जो बैठा कागा है !
-
प्यारी नन्हीं बिटिया से तुम
लगवाना भाल रोली चंदन
देना आशीष निर्भिक जिये
सगर्व मने रक्षा बंधन !!
-
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
-
स्नेह सिंचित भेज रही हूं
ममता की यह डोर तुम्हे
आ न पाई दूर देश से
यह व्यथा रही झकझोर मुझे !
-
प्यार हमारा रचा बसा है
बचपन की अनगिन यादों में
स्नेह मेह की धारा अविरल
बहती रही सावन भादों में !
-
दूर भले हो किया वक्त ने
मन बंधन बाँधे ये धागा है
पहुंचायेगा स्नेह संदेश तुम्हे
छत पर जो बैठा कागा है !
-
प्यारी नन्हीं बिटिया से तुम
लगवाना भाल रोली चंदन
देना आशीष निर्भिक जिये
सगर्व मने रक्षा बंधन !!
-
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
Tuesday, July 31, 2012
पावर- जननी भ्रष्टाचार की
-
सुनों बन्धु !
इसलिये उदास हो क्या
कि वह बिजली
एक बेवफ़ा नार
छोड गई साथ ,
अरे ! यह तो वक्त है जश्न का
क्योंकि जाना उसका
दे गया हल
आज के सबसे बडे प्रश्न का !!
-
सुनो मित्र !
बिजली है जन्म दायिनी
भ्रष्टाचार की
क्योंकि यह देती है ’पावर’
और यह ’ पावर ’ ही है
जो बनाती है भ्रष्ट हमें
आपने सुना होगा कि
"पावर करप्ट्स "
-
सरकार ने
भ्रष्टाचार समाप्त
करने की दिशा में
उठाया है पहला वृहद कदम
पैंसठ करोड लोगों की
एक झटके में
छीन ली पावर
और कर दिया भ्रष्टाचार पर
जबर्दस्त वार
अब तडपेगा अपना यार !
-
बखूबी जानती है सरकार
कि खत्म नही होगा भ्रष्टाचार
किसी लोकपाल से
क्योंकि उसे तो चाहिये पावर
और पावर से
फलेगा फूलेगा
और और भ्रष्टाचार
-
इसलिये अब छोडिये उदासी
गाइये राग भीमपलासी
पावर विहीन
करोडों को कर
सबसे बडी
अबतक की
मार पडी भष्टाचार पर
भूल भी जाइये
उस बेवफ़ा
चंचला चपला बिजली को
जलाइये बस घी के चिराग
महकाइये भारत
चमकाइये भारत
आपकी दिपावली हो
चुकी है प्रारंभ !
शुभकामनायें !!!
-
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
Saturday, July 28, 2012
Friday, June 22, 2012
Wednesday, June 20, 2012
Sunday, June 17, 2012
Tuesday, June 12, 2012
Monday, March 26, 2012
किसी मिल का धुंआ होगा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कई बरसों से हम सुनते आ रहे उनको ,
नहीं उम्मीद कभी उनका भाषण जुदा होगा।
गाली से शिकन इसके चेहरे पे नहीं आई,
यह शख्स मुझे यकीं है, शादी शुदा होगा।
वह देश रहे तोड़ शायद फ़िर से बनायेंगे,
पुख़्ता बनावट के लिए ये तय हुआ होगा।
मौसम है मानसूनी पर हैं नहीं ये बादल ,
शहर की किसी मिल से निकला धुंआ होगा।
जिन्दगी की जद्दोज़हद में मौत याद आई,
पता न था इधर खाई , उधर कुंआ होगा ।
जिन्दा रहने को लगी, दाँव पर ही जिन्दगी
मौत को हराने को अब खेलना जुआ होगा।
मालूम न था जब तक झाँका नहीं उस पार,
जो छुपा हुआ मंजर है निहायत बेहूदा होगा।
कुछ लोगों का खयाल है नेता भी आदमी हैं,
मुझको मगर यकीन है कि ये ही खुदा होगा ।
’ओंम’ हम नेता बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं ,
है कौन सा ’धंधा’ जो हमसे अनछुआ होगा।
(पुस्तक "साँस साँस जीवन " में प्रकाशित )
कई बरसों से हम सुनते आ रहे उनको ,
नहीं उम्मीद कभी उनका भाषण जुदा होगा।
गाली से शिकन इसके चेहरे पे नहीं आई,
यह शख्स मुझे यकीं है, शादी शुदा होगा।
वह देश रहे तोड़ शायद फ़िर से बनायेंगे,
पुख़्ता बनावट के लिए ये तय हुआ होगा।
मौसम है मानसूनी पर हैं नहीं ये बादल ,
शहर की किसी मिल से निकला धुंआ होगा।
जिन्दगी की जद्दोज़हद में मौत याद आई,
पता न था इधर खाई , उधर कुंआ होगा ।
जिन्दा रहने को लगी, दाँव पर ही जिन्दगी
मौत को हराने को अब खेलना जुआ होगा।
मालूम न था जब तक झाँका नहीं उस पार,
जो छुपा हुआ मंजर है निहायत बेहूदा होगा।
कुछ लोगों का खयाल है नेता भी आदमी हैं,
मुझको मगर यकीन है कि ये ही खुदा होगा ।
’ओंम’ हम नेता बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं ,
है कौन सा ’धंधा’ जो हमसे अनछुआ होगा।
(पुस्तक "साँस साँस जीवन " में प्रकाशित )
Wednesday, March 21, 2012
मेरे महबूब चाहे रोज मिलाकर मुझसे !
सरकार के नवीनतम आँकडों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 22 रुपये तथा शहरी क्षेत्रों में 28 रुपये कमाने वाला व्यक्ति गरीब नही है , अर्थात सरकार ने गरीबी की रेखा नीचे खिसका कर करोडों लोगों को ’अमीर ’ बना दिया है ।
Monday, March 19, 2012
बोलने का अधिकार
-ओंम प्रकाश नौटियाल
संविधान ने दिया हमें बोलने का अधिकार
फ़ोन बिल के द्वारा पर पैसे लेती सरकार,
पैसे लेती सरकार,तो है फ़िर कहाँ आजादी
गैरवाजिब यह बात, करो सब ओर मुनादी,
बात करने का बिल?है उचित नहीं फरमान
बोलने की पूर्ण आजादी,देता जब संविधान !
***
अधिकार बोलने का --ओंम प्रकाश नौटियाल
-
है संविधान ने दिया हमें जब
बोलने की आजादी का अधिकार,
फ़ोन बिल द्वारा रोडे अटकाना
कैसे फ़िर संवैधानिक है यार ?
बोलने के भी जो पैसे ले रही सरकार
अपनी आजादी पर है यह निर्मम प्रहार
संविधान ने दिया हमें बोलने का अधिकार
फ़ोन बिल के द्वारा पर पैसे लेती सरकार,
पैसे लेती सरकार,तो है फ़िर कहाँ आजादी
गैरवाजिब यह बात, करो सब ओर मुनादी,
बात करने का बिल?है उचित नहीं फरमान
बोलने की पूर्ण आजादी,देता जब संविधान !
***
अधिकार बोलने का --ओंम प्रकाश नौटियाल
-
है संविधान ने दिया हमें जब
बोलने की आजादी का अधिकार,
फ़ोन बिल द्वारा रोडे अटकाना
कैसे फ़िर संवैधानिक है यार ?
बोलने के भी जो पैसे ले रही सरकार
अपनी आजादी पर है यह निर्मम प्रहार
Monday, February 27, 2012
Monday, February 20, 2012
सुनो भोले बाबा !
- ओंम प्रकाश नौटियाल
कहाँ से विष है फ़िर फ़ैला
हुआ जग ही जहरीला है,
तुमने तो पी लिया था सब
अभी तक कंठ नीला है !!
कहाँ से विष है फ़िर फ़ैला
हुआ जग ही जहरीला है,
तुमने तो पी लिया था सब
अभी तक कंठ नीला है !!
Tuesday, February 7, 2012
Friday, January 20, 2012
बात करो न माँ (पुण्य तिथि २१ जनवरी)
-ओंम प्रकाश नौटियाल
*
स्वर्ग गई तो तुम क्या
सब भूल गई हो माँ ,
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
तुम्हें सदा मासूम लगा
छलबल से महरूम लगा ,
मेरे सर पर ममता वाला
वह हाथ धरो ना माँ !
*
यदाकदा पावस बूंदे जब
तन मेरा भिगाती हैं ,
आँचल के उस छाते की
याद बडी तब आती है ,
बचपन वाले उस पल्लु की
फ़िर छाँव करो ना माँ !
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
ग्रीष्म ऋतु में वट छाँव
सर्द मौसम में अलाव
स्नेह गोद में बैठा जब
धरती पर थे कहाँ पाँव
स्निग्ध आवरण में लेकर
सब संताप हरो न माँ !
मेरे सर पर ममता वाला
वह हाथ धरो ना माँ !
*
अब तक रची बसी है
यादें नालबडी पुलाव की
डाँट प्यार के हाव भाव की
ममता और लगाव की
चुल्हे वाला खाना परसो
अतृप्त क्षुधा हरो न माँ !
*
स्वर्ग गई तो तुम क्या
सब भूल गई हो माँ ,
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
स्वर्ग गई तो तुम क्या
सब भूल गई हो माँ ,
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
तुम्हें सदा मासूम लगा
छलबल से महरूम लगा ,
मेरे सर पर ममता वाला
वह हाथ धरो ना माँ !
*
यदाकदा पावस बूंदे जब
तन मेरा भिगाती हैं ,
आँचल के उस छाते की
याद बडी तब आती है ,
बचपन वाले उस पल्लु की
फ़िर छाँव करो ना माँ !
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
ग्रीष्म ऋतु में वट छाँव
सर्द मौसम में अलाव
स्नेह गोद में बैठा जब
धरती पर थे कहाँ पाँव
स्निग्ध आवरण में लेकर
सब संताप हरो न माँ !
मेरे सर पर ममता वाला
वह हाथ धरो ना माँ !
*
अब तक रची बसी है
यादें नालबडी पुलाव की
डाँट प्यार के हाव भाव की
ममता और लगाव की
चुल्हे वाला खाना परसो
अतृप्त क्षुधा हरो न माँ !
*
स्वर्ग गई तो तुम क्या
सब भूल गई हो माँ ,
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
Saturday, January 14, 2012
हो चर्चा खेत, किसान, बागों की
-ओंम प्रकाश नौटियाल
*
बहुत हो गई बातें अब
गालों और गुलाबों की,
जागो, उठो, करो चर्चा अब
खेत, किसान और बागों की !
*
ईश्क, मुहब्बत के बदले
रोजी, रोटी हो अशआरों में,
पाँव रहें धरती पर भाई
घूमों ना चाँद सितारों में,
बहुत किताबें लिख दी हैं
परियों की और ख़्वाबों की,
न वक्त गंवाओ, हो चर्चा
खेत, किसान और बागों की !
*
क्यों उलझे हो जुल्फ़ों में
रिसालों और अफ़सानों में,
जल ,जंगल की बातें हों
कविता में और गानों में,
वो ही नज़्में क्यों दोहराना
हुस्न की और शबाबों की,
वक्त बचाओ, सोचो तुम
खेत, किसान और बागों की !
*
चाँद, चाँदनी, बादल, तारे
हंसते तुमको देख ये सारे,
आशिकी में हो भरमाये
जीते झूठे स्वप्न सहारे ,
भ्रम त्याग गाओ बिहाग
जीवन लय हो रागों की ,
सोचो शान्त हृदय से प्यारे
खेत, किसान और बागों की !
*
बहुत हो गई बातें अब
गालों और गुलाबों की,
जागो, उठो, करो चर्चा अब
खेत, किसान और बागों की !
*
बहुत हो गई बातें अब
गालों और गुलाबों की,
जागो, उठो, करो चर्चा अब
खेत, किसान और बागों की !
*
ईश्क, मुहब्बत के बदले
रोजी, रोटी हो अशआरों में,
पाँव रहें धरती पर भाई
घूमों ना चाँद सितारों में,
बहुत किताबें लिख दी हैं
परियों की और ख़्वाबों की,
न वक्त गंवाओ, हो चर्चा
खेत, किसान और बागों की !
*
क्यों उलझे हो जुल्फ़ों में
रिसालों और अफ़सानों में,
जल ,जंगल की बातें हों
कविता में और गानों में,
वो ही नज़्में क्यों दोहराना
हुस्न की और शबाबों की,
वक्त बचाओ, सोचो तुम
खेत, किसान और बागों की !
*
चाँद, चाँदनी, बादल, तारे
हंसते तुमको देख ये सारे,
आशिकी में हो भरमाये
जीते झूठे स्वप्न सहारे ,
भ्रम त्याग गाओ बिहाग
जीवन लय हो रागों की ,
सोचो शान्त हृदय से प्यारे
खेत, किसान और बागों की !
*
बहुत हो गई बातें अब
गालों और गुलाबों की,
जागो, उठो, करो चर्चा अब
खेत, किसान और बागों की !
पतंग
-ओंम प्रकाश नौटियाल
पोंगल लोढी सक्रांति बिहु के अपने रंग
इन रंगो से रंगी हुई नभ में उडी पतंग,
जन सेवा के वास्ते छीडी जमीं पर जंग
हवा बदलने के लिये नभ में उड़ी पतंग !!
पोंगल लोढी सक्रांति बिहु के अपने रंग
इन रंगो से रंगी हुई नभ में उडी पतंग,
जन सेवा के वास्ते छीडी जमीं पर जंग
हवा बदलने के लिये नभ में उड़ी पतंग !!
Friday, January 6, 2012
इस बार नये साल तू
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गत वर्ष कर सका नहीं
उसको न और टाल तू ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
मंहगाई, मंहगाई सी बढी
बढ़ कर जवान हो गई,
कैसे इसे कर दें विदा
साँसत में जान हो गई,
कुछ दिन और रह ली तो
सबकुछ हज़म कर जायेगी,
जनता बेचारी भूख से
त्रस्त हो मर जायेगी,
कैसे भी हो घर से इसे
कहीं दूर आ निकाल तू ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
जनसंख्या वृद्धि की देश में
फ़ारमूला एक सी रफ़्तार है,
इस उपलब्धि पर हो रही
जनता की जयजयकार है ,
पर तू भी तो कर ले कुछ
यूं कब से पडा निढाल है ,
अकर्मण्यता पर तेरी मचा
है किस कदर बवाल है ,
वर्षों में पैदा न कर सका
एक सशक्त लोकपाल तू,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
गाँधी के उसूलों का कर
कुछ तो यार खयाल तू ,
चपत लगे जनता की तो
कर आगे दूजा गाल तू ,
जनता बेचारी क्या करे
अस्तित्व का सवाल है ,
जीरो से तू हीरो हुआ
उसका तो बदतर हाल है ,
जन सेवा की है ली शपथ
तो छोड टेढी चाल रे ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
सेवक से तू स्वामी बना
बदली सी तेरी चाल है ,
जनता के पास मुश्किलें
अभाव है अकाल है ,
रोटी के इंतजार में
टूटा सा बस एक थाल है ,
उपर से आ गया है
भरा पूरा नया साल है ,
सेवक का दर्जा अपना
दिल से कर बहाल तू ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
-सर्वाधिकार सुरक्षित
गत वर्ष कर सका नहीं
उसको न और टाल तू ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
मंहगाई, मंहगाई सी बढी
बढ़ कर जवान हो गई,
कैसे इसे कर दें विदा
साँसत में जान हो गई,
कुछ दिन और रह ली तो
सबकुछ हज़म कर जायेगी,
जनता बेचारी भूख से
त्रस्त हो मर जायेगी,
कैसे भी हो घर से इसे
कहीं दूर आ निकाल तू ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
जनसंख्या वृद्धि की देश में
फ़ारमूला एक सी रफ़्तार है,
इस उपलब्धि पर हो रही
जनता की जयजयकार है ,
पर तू भी तो कर ले कुछ
यूं कब से पडा निढाल है ,
अकर्मण्यता पर तेरी मचा
है किस कदर बवाल है ,
वर्षों में पैदा न कर सका
एक सशक्त लोकपाल तू,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
गाँधी के उसूलों का कर
कुछ तो यार खयाल तू ,
चपत लगे जनता की तो
कर आगे दूजा गाल तू ,
जनता बेचारी क्या करे
अस्तित्व का सवाल है ,
जीरो से तू हीरो हुआ
उसका तो बदतर हाल है ,
जन सेवा की है ली शपथ
तो छोड टेढी चाल रे ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
सेवक से तू स्वामी बना
बदली सी तेरी चाल है ,
जनता के पास मुश्किलें
अभाव है अकाल है ,
रोटी के इंतजार में
टूटा सा बस एक थाल है ,
उपर से आ गया है
भरा पूरा नया साल है ,
सेवक का दर्जा अपना
दिल से कर बहाल तू ,
कुछ तो कर ले रे नया
इस बार नये साल तू !
-सर्वाधिकार सुरक्षित
Saturday, December 31, 2011
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
"आज भोर जब निद्रा रानी हुई विदा,
देखा द्वारे मुस्काता नव नर्ष खडा,
घटनाओं का लिये पिटारा एक भरा
बारह माहों के लिबास में सजा धजा !!"
"आज भोर जब निद्रा रानी हुई विदा,
देखा द्वारे मुस्काता नव नर्ष खडा,
घटनाओं का लिये पिटारा एक भरा
बारह माहों के लिबास में सजा धजा !!"
*अलविदा दो हजार ग्यारह !!!
ओंम प्रकाश नौटियाल
"लाये जितने दिन थे तुम सभी हुए व्यतीत
कुछ जीवन के मीत थे और कुछ थे विपरीत,
वर्ष! तुम्हारा आज जब जीवन जायेगा बीत
मेरे अतीत में रहना, मेरे मित्र,मेरे मनमीत!!"
"लाये जितने दिन थे तुम सभी हुए व्यतीत
कुछ जीवन के मीत थे और कुछ थे विपरीत,
वर्ष! तुम्हारा आज जब जीवन जायेगा बीत
मेरे अतीत में रहना, मेरे मित्र,मेरे मनमीत!!"
Friday, December 23, 2011
बेटीयाँ
ओंम प्रकाश नौटियाल
अंधेरों से किया निबाह कि चिराग हो रोशन,
बेटी ही सहारा है जिसे समझा ’पराया धन’ !
पुत्री आयी अनचाही, थी इच्छा और पुत्र की,
तनया प्राण से समर्पित, है बेटा कहीं मगन !
जाने कन्या जन्म पर, क्यों मुरझा गये सारे,
मानों उनके सभी स्वप्न, हुए आज हों दहन !
अजन्य, अनर्थक, अनिमित्त सा जिसे जाना,
कभी शक्ति स्वरूप दुर्गा,कभी मलयजा पवन !
ममतामयी, प्रिया अनुरक्ता,अंतरग अनुरागी,
हो रूप माता या पत्नी का, बेटी हो या बहन !
जिस घर में नारी का स्नेह संसार बसता हो,
सदा रहा सुगन्धित है, हुआ मानों अभी हवन !
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
अंधेरों से किया निबाह कि चिराग हो रोशन,
बेटी ही सहारा है जिसे समझा ’पराया धन’ !
पुत्री आयी अनचाही, थी इच्छा और पुत्र की,
तनया प्राण से समर्पित, है बेटा कहीं मगन !
जाने कन्या जन्म पर, क्यों मुरझा गये सारे,
मानों उनके सभी स्वप्न, हुए आज हों दहन !
अजन्य, अनर्थक, अनिमित्त सा जिसे जाना,
कभी शक्ति स्वरूप दुर्गा,कभी मलयजा पवन !
ममतामयी, प्रिया अनुरक्ता,अंतरग अनुरागी,
हो रूप माता या पत्नी का, बेटी हो या बहन !
जिस घर में नारी का स्नेह संसार बसता हो,
सदा रहा सुगन्धित है, हुआ मानों अभी हवन !
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
सर्दी गरीब की (चंद हाइकु )
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-1-
जाडा जो आया,
मजदूर के घर
मातम छाया
-2-
सर्दी की रात
खुद ही काँप गई
घुस झुग्गी में
-3-
सर्दी थी कडी
अंगीठी की लकडी
जी भर लडी
-4-
सर्द थी रात
बिछौना फ़ुटपाथ
दीन अनाथ
-5-
मृत्यु वरण
ठंड से बचा तन
ओढा कफ़न
-6-
अंधेरगर्दी
झुग्गी ढूंढती सर्दी
कैसी बेदर्दी
*
(पूर्व प्रकाशित-सर्वाधिकार सुरक्षित )
-1-
जाडा जो आया,
मजदूर के घर
मातम छाया
-2-
सर्दी की रात
खुद ही काँप गई
घुस झुग्गी में
-3-
सर्दी थी कडी
अंगीठी की लकडी
जी भर लडी
-4-
सर्द थी रात
बिछौना फ़ुटपाथ
दीन अनाथ
-5-
मृत्यु वरण
ठंड से बचा तन
ओढा कफ़न
-6-
अंधेरगर्दी
झुग्गी ढूंढती सर्दी
कैसी बेदर्दी
*
(पूर्व प्रकाशित-सर्वाधिकार सुरक्षित )
जब तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
*
झूठ बोलकर भी तुम्हारा मन नहीं पछ्तायेगा,
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हें हो जायेगा।
*
कूड़े के ढेर से किसी नवजात का सुन क्रंदन,
माँ का स्पर्श ढूंढता हर क्षण क्षीण होता रुदन
हृदय व्यथित तुम्हारा किंचित नहीं कर पायेगा,
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हें हो जायेगा।
*
नीरवता भंग करती, अबला की चित्कार सुन,
माँ बहन का राह में खुले आम तिरस्कार सुन ,
कंपित जरा भी मन मष्तिष्क नहीं कर पायेगा,
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा।
*
सामने प्रशस्ति राग और पीछे निंदा की कटार,
कथनी करनी के मध्य चौडी गहरी एक दरार
रिश्ते निभाने का निराला ढ़ंग यह बन जायेगा।
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा।
*
मुश्किल में फ़ंसे हुए प्रिय मित्र की दरकार भाँप,
निज स्वार्थ ,अनिच्छा को नकली बहानों से ढाँप ,
विवशता का राग तब अलापना तुम्हें आ जायेगा।
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा।
*
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
*
झूठ बोलकर भी तुम्हारा मन नहीं पछ्तायेगा,
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हें हो जायेगा।
*
कूड़े के ढेर से किसी नवजात का सुन क्रंदन,
माँ का स्पर्श ढूंढता हर क्षण क्षीण होता रुदन
हृदय व्यथित तुम्हारा किंचित नहीं कर पायेगा,
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हें हो जायेगा।
*
नीरवता भंग करती, अबला की चित्कार सुन,
माँ बहन का राह में खुले आम तिरस्कार सुन ,
कंपित जरा भी मन मष्तिष्क नहीं कर पायेगा,
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा।
*
सामने प्रशस्ति राग और पीछे निंदा की कटार,
कथनी करनी के मध्य चौडी गहरी एक दरार
रिश्ते निभाने का निराला ढ़ंग यह बन जायेगा।
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा।
*
मुश्किल में फ़ंसे हुए प्रिय मित्र की दरकार भाँप,
निज स्वार्थ ,अनिच्छा को नकली बहानों से ढाँप ,
विवशता का राग तब अलापना तुम्हें आ जायेगा।
जिन्दगी का जब कुछ तजुर्बा तुम्हे हो जायेगा।
*
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, December 13, 2011
बादल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बादल -ओंम प्रकाश नौटियाल
बूंद बूंद पी भर गया बादल
कितने रंगो में सज गया बादल
मैंने कहा मेरे अंगना बरसना
घुडकी देकर चल गया बादल
सूर्य की किरणें भीतर समाकर
शीतल छाँव कर गया बादल
खुद की शक्ल से ऐसे खेला
कई शक्लों में ढ़ल गया बादल
झुक गया देखो उस पहाडी पर
बर्फ़ चूमने मचल गया बादल
गुस्से से जब कभी काला हुआ
बादल देख तब लड़ गया बादल
पीर देख उस पहाडी गाँव की
भारी मन हो फट गया बादल
देख सूरज को अपनी बूंदो से
सतरंगी मुस्कान दे गया बादल
नीर खारा सागर का पीकर
मीठा जल सबको दे गया बादल !
बादल -ओंम प्रकाश नौटियाल
बूंद बूंद पी भर गया बादल
कितने रंगो में सज गया बादल
मैंने कहा मेरे अंगना बरसना
घुडकी देकर चल गया बादल
सूर्य की किरणें भीतर समाकर
शीतल छाँव कर गया बादल
खुद की शक्ल से ऐसे खेला
कई शक्लों में ढ़ल गया बादल
झुक गया देखो उस पहाडी पर
बर्फ़ चूमने मचल गया बादल
गुस्से से जब कभी काला हुआ
बादल देख तब लड़ गया बादल
पीर देख उस पहाडी गाँव की
भारी मन हो फट गया बादल
देख सूरज को अपनी बूंदो से
सतरंगी मुस्कान दे गया बादल
नीर खारा सागर का पीकर
मीठा जल सबको दे गया बादल !
Tuesday, December 6, 2011
मत उदास रहो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घबराहट क्यों प्रीतम इतनी,
है ऐसी क्या उलझन इतनी ,
जीवन में कई सवेरे है,
फ़िर क्यों चिन्ता के डेरे हैं ,
मस्त रहो , बिन्दास रहो,
मत व्यर्थ में तुम उदास रहो !
चाहत जितनी तुम पालोगे
परछाई पीछे भागोगे ,
कल्पित से सुख की खातिर
यूं कितनी रातें जागोगे ?
सुख पाने की चाहत में
दुख का क्यों बनकर ग्रास रहो !
एक सच्चा है एक साया है
सुख दुख की ऐसी माया है<
दोनो हैं चलते साथ साथ
सबने ही इनको पाया है<
तुम दूर रहो या पास रहो
पर ना इनके तुम दास रहो
हो प्यार तुम्हारा मंत्र तंत्र
पर प्रेम के क्यों आधीन रहो
बाँटो बाँटे से बढता है
ना मिला तो क्यों गमगीन रहो
दिन में तो सभी चमकते हैं
बन तम में भी प्रकाश रहो
मस्त रहो , बिन्दास रहो,
मत व्यर्थ में तुम उदास रहो।
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
घबराहट क्यों प्रीतम इतनी,
है ऐसी क्या उलझन इतनी ,
जीवन में कई सवेरे है,
फ़िर क्यों चिन्ता के डेरे हैं ,
मस्त रहो , बिन्दास रहो,
मत व्यर्थ में तुम उदास रहो !
चाहत जितनी तुम पालोगे
परछाई पीछे भागोगे ,
कल्पित से सुख की खातिर
यूं कितनी रातें जागोगे ?
सुख पाने की चाहत में
दुख का क्यों बनकर ग्रास रहो !
एक सच्चा है एक साया है
सुख दुख की ऐसी माया है<
दोनो हैं चलते साथ साथ
सबने ही इनको पाया है<
तुम दूर रहो या पास रहो
पर ना इनके तुम दास रहो
हो प्यार तुम्हारा मंत्र तंत्र
पर प्रेम के क्यों आधीन रहो
बाँटो बाँटे से बढता है
ना मिला तो क्यों गमगीन रहो
दिन में तो सभी चमकते हैं
बन तम में भी प्रकाश रहो
मस्त रहो , बिन्दास रहो,
मत व्यर्थ में तुम उदास रहो।
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, November 15, 2011
My Thoghts (from my Face Book status)
ज्ञान ध्यान :
"१४ नवम्बर को ’बाल दिवस’ तो हमनें धूमधाम से मना लिया है किंतु हमारे बालविहीन गंजे मित्रों की गुजारिश है कि उनके लिये भी एक दिन मुकर्रर होना चाहिये जिसे हम सब उनकी खातिर इसी जोश के साथ ’ नो बाल दिवस ’ के रूप में हर वर्ष मना सकें ।" (१६ नवम्बर २०११)
***
ज्ञान ध्यान :
"राजस्थान से प्राप्त सत्ता में व्याप्त तथाकथित व्यभिचार के समाचारों को पढ़कर, अब लोगों को विश्वास होने लगा है कि भ्रष्टाचार देश में सबसे बडा मुद्दा नहीं है ।"
***
*
गन्दे जल में नहा भला कब सूरत संवरी
कीच भरे ताल भंवर में फंसी हाए भंवरी।
-ओंम
***
ज्ञान ध्यान :
"आज एक चैनल पर दिखाई जा रही सी डी में राजस्थान की राजनीति का धरा ढका ’ नंगा सच ’ बेनकाब होते देख एक बार फ़िर से इस धारणा पर विश्वास होने लगा है कि मात्र 90% तथाकथित दागदार नेताओं की वजह से बाकी अच्छे नेता व्यर्थ में बदनाम हो रहे हैं ।"
***
ज्ञान ध्यान :
"शायद करीना कपूर के बाद स्त्रीलिंग सूचक नामों में आज सबसे लोक प्रिय नाम "मंहगाई" है जो शादी शुदा गृहस्थ पुरूषों को भी अपने निरंतर निखरते यौवन से मारने की क्षमता रखती है।"
***
ज्ञान ध्यान :
"डिटरजैन्ट कम्पनियाँ अपने उत्पाद द्वारा सारे नये , पुराने , हल्के , गहरे आदि सभी प्रकार के दाग़ साफ़ करने का दावा करती हैं । किन्तु हमारे सैकडों ’दागी’ सांसद और विधायक जो बेचारे वर्षों से ’दाग ’ के साथ गुजर कर रहे हैं , इन जन प्रतिनिधियों के दाग धोने के लिये तो अब तक कुछ भी नहीं बना पाई हैं !!! "
***
ज्ञान ध्यान :
"विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि चीन द्वारा सीमा पर निरंतर हो रही घुसपैठ को अहिंसक और गाँधी वादी तरीके से रोकने के लिये , सरकार ’ बिग बौस ’ के प्रतियोगियों को सीमा पर तैनात करने की सोच रही है जो अपने वाक वाणों से चीनीयों को कई किलोमीटर पीछे धकेलने की क्षमता रखते हैं।"
***
ज्ञान ध्यान :
एक पुराने विदेशी समाचार पत्र की 20 वर्ष पुरानी तथाकथित रिपोर्ट के अनुसार एक भूतपूर्व भारतीय प्रधानमंत्री के स्विस खाते में लगभग 13 करोड़ रुपये जमा हैं । इस खुलासे का कारण है -’ 13 ’ की संख्या वाली अपशकुनी राशि जमा करना - अब उनके बचाव में यह कहना मुश्किल हो गया है कि -- " हम तो तीन में न तेरह में" ।
***
ज्ञान ध्यान :
" सी बी आई द्वारा कनिमोझि और साथियों की जमानत का विरोध नहीं करना सर्वथा उचित लगता है क्योंकि जेल मे स्थानाभाव है और अभी बहुत से साथी लम्बे समय से कतार में हैं ,जिन्होने काफ़ी मेहनत की है और वह भी कम से कम कुछ समय के लिये जेल अनुभव प्राप्त करने के हकदार हैं ।"
***
ज्ञान ध्यान :
" फारमूला वन के आयोजन का एक मात्र उद्देश्य विश्व को इस सच्चाई से अवगत कराना था कि अगर हमारी विकास की राहें भी फारमूला वन ट्रैक की तरह समरस और समतल होती और राहों में जगह जगह भ्रष्टाचार के रोड़े नहीं होते, तो हमारी प्रगति की रफ़्तार भी फारमूला वन कारों की रफ़्तार जैसी ही होती । "
***
ज्ञान ध्यान :
"आज प्राप्त एक समाचार के अनुसार २०१२ लन्दन ओलिम्पिक के स्टेडियम अभी से अभ्यासार्थ व जनता के दर्शनार्थ खोल दिये गये हैं। अब हम भारतीय जो ताजे ताजे बने हुए पेन्ट ,पौलिश से महकते स्टेडियम में खेल देखने के अभ्यस्त हैं उन्हें ऐसे पुराने हो चुके स्टेडियम में खेल देखने का भला क्या मजा आयेगा ?"
***
"हे पालनहार ! मुझे बेशुमार लाड़ न दो,
घर सरकारी हो जरूर, पर तिहाड़ न दो।"
--ओंम
***
ज्ञान ध्यान :
"सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफ़नामे का भाव कुछ इस प्रकार है कि शहरी क्षेत्र में रहने वालों को गुजर बसर करने के लिये प्रतिदिन मात्र बत्तीसी दिखाना काफ़ी है ।"
***
ज्ञान ध्यान :
" ऐसा प्रतीत होता है कि नेताओं को शायद लगने लगा है कि वह भारत को भूख की समस्या से तो निजात नहीं दिला सकते इसलिये अब सारा ध्यान उपवास के प्रचार , प्रसार और लाभ बतानें में लगा रहे हैं ।"
***
ज्ञान चर्चा :
" सरकारी कार्यालयों में अब भी लोग इंगलिश अच्छी तरह न जानते हुए भी इंगलिश का प्रयोग कर अपने को पढा लिखा दिखाने की मानसिकता से ग्रस्त हैं हिन्दी दिवस की सबसे अच्छी बात यह है कि वह बिना ऐसे किसी दबाव के हिन्दी में भाषण दे सकते हैं ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"बच्चों से ही घर में शीतल वायु का प्रवाह और जगमग उजाला रहता है क्योंकि वह फैन और लाइट के स्विच कभी बंद नहीं करते।"
***
ज्ञान चर्चा:
"आज के माहौल में एक बात हमेशा याद रखें , ईश्वर ना करे यदि कोई कभी तिहाड़ जेल में बन्द कर दिया जाता हैं तो उसका सबसे करीबी मित्र जमानत के लिये कभी नहीं आयेगा , क्योंकि वह पहले से ही बगल वाली कोठडी में बन्द होगा ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"प्यारे कुंवारे अन्ना जीते, मिली नई यह सीख
नहीं जरूरी नारी हो, हर सफ़ल व्यक्ति की पीठ।"
-ओंम
***
ज्ञान चर्चा :
"कुछ लोगों को खाने की ऐसी लत पडी होती है कि कुछ भी, यहाँ तक की चारा तक, खा जाते हैं , उनके लिये यह विश्वास करना असंभव सा है कि कोई व्यक्ति बारह दिन तक बिना खाये पीये भी रह सकता है ।"
***
एक समाचार : स्वामी अग्निवेश की काँग्रेस से साठ गाँठ थी ।
"जयचन्द भी रहते हैं अपने देश में
शैतान घूमते कई साधु के वेश में ।"
--ओंम
***
ज्ञान चर्चा :
"देश में भ्रष्टाचार बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहाँ बडे बडे घोटालों को बहुत सम्मान के साथ अंत में ’जी ’ लगाकर पुकारा जाता है जैसे टू ’जी’ ,थ्री ’जी’ , सी डब्लयू ’जी ’ आदि आदि ।"
***
ज्ञान चर्चा " जनहित की योजनाओं की मटकी का मंथन कर उनसे अपने खाने के लिये धन रूपी माखन निकाल कर हमारे ही चुने हुए प्रतिनिधि स्वयं को सेवक से भगवान समझने की गलतफ़हमी पाल लेते हैं और हमें समझाते रहते हैं - ’ जनता मेरी मैं नहीं पैसा खायो ’ !!"
***
ज्ञान चर्चा :
"कैसी विडम्बना है जब दागी सांसद , विधायक , मंत्री बनते हैं जब चुने हुए प्रतिनिधियों की खरीद फ़रोख़्त होती है ,जब संसद में नोट लहराये जाते हैं , जब जनता के नुमाइन्दें विधान सभाओं में गाली गलौज, मारपीट करते हैं ,जब चुनाव में कालाधन पानी की तरह बहता है तब लोकतंत्र को कभी खतरा नहीं होता किंतु जब वर्षों से त्रस्त जनता एक जुट होकर अपनी मुश्किलों से निजात पाने के लिये आवाज उठाती है तो लोकतंत्र पर एकदम गहरा संकट आ जाता है ,संसद की मर्यादा टूटने लगती हैं । बेचारी जनता !!!!"
***
ज्ञान चर्चा :
" मानव ने अपने उपयोग और मनोरंजन के लिये इतनी अधिक चीजें इजाद कर ली हैं कि उन्हे इस्तेमाल करने के लिये दो हाथ कम पडते हैं । ऐसा समाचार है कि रचयिता ने इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुये मानव डिजाइन में कुछ बडे बदलाव किये हैं ।दस हाथ वाले पहले शिशु का प्रोटोटाइप तैय्यार है और ऐसा शिशु आज से २०० वर्ष बाद पृथ्वी पर आयेगा ।"
***
ज्ञान चर्चा :
" शराब इसलिये उपयोगी है क्योंकि यह अपेक्षाकृत धीमा जहर है और कोई भी जल्दी मरना नही चाहता है।"
***
ज्ञान चर्चा :
"आज से बंर्मिंघम मे भारत और इंगलैन्ड के बीच तीसरा क्रिकेट टैस्ट आरम्भ हो रहा है । लंदन दंगो की चपेट मे है , इंगलैन्ड की टीम इस अशान्त फसादी माहौल से घबरायी हुई है , हमें तो खैर आदत है । भारतीय टीम को शुभकामनायें । "
***
ज्ञान चर्चा :
" आप यदि किसी स्त्री के सौन्दर्य प्रशंसा में कहें कि उसकी शक्ल किसी आदमी से मिलती है तो अवश्य ही वह इस बेमेल स्त्री पुरूष सौन्दर्य तुलना पर खफ़ा हो जायेगी , चाहे वह व्यक्ति कितना भी खूबसूरत हो। किंतु लोग सदियों से स्त्री के सौन्दर्य की तुलना पुलिंग चाँद से करते आ रहे है इस आशय के प्रशस्ति गान गा रहे हैं और स्त्रीयाँ इस सौन्दर्य तुलना पर निसंदेह प्रसन्न हैं, न किसी स्त्री ने कभी कोई शिकायत दर्ज की है न कोई पी आई ऐल फाइल हुई है ! क्या राज है इसका ?ज्ञानी मित्र कृपया शंका निवारण करें ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"अगर संविधान हमें बोलने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करता है तो हमें फोन बिल्स भिजवा कर इस स्वतंत्रता में रोडे अटकाने का गैर संवैधानिक कार्य क्यों किया जा रहा है ?"
***
ज्ञान चर्चा :
"अब तक पूर्ण रूप से ऐसा आदर्श कमप्य़ूटर बनाने में सफलता नही मिल पाई है जो गलती करने के बाद दूसरे कमप्य़ूटर पर दोषारोपण कर सके और अपना माईक या माउस उस पर फ़ेंक कर मार सके ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"अब तक पूर्ण रूप से ऐसा आदर्श कमप्य़ूटर बनाने में सफलता नही मिल पाई है जो गलती करने के बाद दूसरे कमप्य़ूटर पर दोषारोपण कर सके और अपना माईक या माउस उस पर फ़ेंक कर मार सके ।"
***
ज्ञान चर्चा :
’यह बेहद आश्चर्य की बात है कि प्रतिदिन संसार में केवल उतनी ही घटनायें घटित होती हैं जिनसे एक समाचार पत्र पूरा पूरा भरा जा सकता है।"
***
ज्ञान चर्चा :
" हर सफ़ल व्यक्ति के पीछे ( चिर कुमार परम प्रिय श्री अन्ना हजारे जी को छोड़कर ) एक स्त्री होती है और उस स्त्री के पीछे उस व्यक्ति की पत्नी अपने पूरे रौद्र रूप में होती है ।"
***
"१४ नवम्बर को ’बाल दिवस’ तो हमनें धूमधाम से मना लिया है किंतु हमारे बालविहीन गंजे मित्रों की गुजारिश है कि उनके लिये भी एक दिन मुकर्रर होना चाहिये जिसे हम सब उनकी खातिर इसी जोश के साथ ’ नो बाल दिवस ’ के रूप में हर वर्ष मना सकें ।" (१६ नवम्बर २०११)
***
ज्ञान ध्यान :
"राजस्थान से प्राप्त सत्ता में व्याप्त तथाकथित व्यभिचार के समाचारों को पढ़कर, अब लोगों को विश्वास होने लगा है कि भ्रष्टाचार देश में सबसे बडा मुद्दा नहीं है ।"
***
*
गन्दे जल में नहा भला कब सूरत संवरी
कीच भरे ताल भंवर में फंसी हाए भंवरी।
-ओंम
***
ज्ञान ध्यान :
"आज एक चैनल पर दिखाई जा रही सी डी में राजस्थान की राजनीति का धरा ढका ’ नंगा सच ’ बेनकाब होते देख एक बार फ़िर से इस धारणा पर विश्वास होने लगा है कि मात्र 90% तथाकथित दागदार नेताओं की वजह से बाकी अच्छे नेता व्यर्थ में बदनाम हो रहे हैं ।"
***
ज्ञान ध्यान :
"शायद करीना कपूर के बाद स्त्रीलिंग सूचक नामों में आज सबसे लोक प्रिय नाम "मंहगाई" है जो शादी शुदा गृहस्थ पुरूषों को भी अपने निरंतर निखरते यौवन से मारने की क्षमता रखती है।"
***
ज्ञान ध्यान :
"डिटरजैन्ट कम्पनियाँ अपने उत्पाद द्वारा सारे नये , पुराने , हल्के , गहरे आदि सभी प्रकार के दाग़ साफ़ करने का दावा करती हैं । किन्तु हमारे सैकडों ’दागी’ सांसद और विधायक जो बेचारे वर्षों से ’दाग ’ के साथ गुजर कर रहे हैं , इन जन प्रतिनिधियों के दाग धोने के लिये तो अब तक कुछ भी नहीं बना पाई हैं !!! "
***
ज्ञान ध्यान :
"विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि चीन द्वारा सीमा पर निरंतर हो रही घुसपैठ को अहिंसक और गाँधी वादी तरीके से रोकने के लिये , सरकार ’ बिग बौस ’ के प्रतियोगियों को सीमा पर तैनात करने की सोच रही है जो अपने वाक वाणों से चीनीयों को कई किलोमीटर पीछे धकेलने की क्षमता रखते हैं।"
***
ज्ञान ध्यान :
एक पुराने विदेशी समाचार पत्र की 20 वर्ष पुरानी तथाकथित रिपोर्ट के अनुसार एक भूतपूर्व भारतीय प्रधानमंत्री के स्विस खाते में लगभग 13 करोड़ रुपये जमा हैं । इस खुलासे का कारण है -’ 13 ’ की संख्या वाली अपशकुनी राशि जमा करना - अब उनके बचाव में यह कहना मुश्किल हो गया है कि -- " हम तो तीन में न तेरह में" ।
***
ज्ञान ध्यान :
" सी बी आई द्वारा कनिमोझि और साथियों की जमानत का विरोध नहीं करना सर्वथा उचित लगता है क्योंकि जेल मे स्थानाभाव है और अभी बहुत से साथी लम्बे समय से कतार में हैं ,जिन्होने काफ़ी मेहनत की है और वह भी कम से कम कुछ समय के लिये जेल अनुभव प्राप्त करने के हकदार हैं ।"
***
ज्ञान ध्यान :
" फारमूला वन के आयोजन का एक मात्र उद्देश्य विश्व को इस सच्चाई से अवगत कराना था कि अगर हमारी विकास की राहें भी फारमूला वन ट्रैक की तरह समरस और समतल होती और राहों में जगह जगह भ्रष्टाचार के रोड़े नहीं होते, तो हमारी प्रगति की रफ़्तार भी फारमूला वन कारों की रफ़्तार जैसी ही होती । "
***
ज्ञान ध्यान :
"आज प्राप्त एक समाचार के अनुसार २०१२ लन्दन ओलिम्पिक के स्टेडियम अभी से अभ्यासार्थ व जनता के दर्शनार्थ खोल दिये गये हैं। अब हम भारतीय जो ताजे ताजे बने हुए पेन्ट ,पौलिश से महकते स्टेडियम में खेल देखने के अभ्यस्त हैं उन्हें ऐसे पुराने हो चुके स्टेडियम में खेल देखने का भला क्या मजा आयेगा ?"
***
"हे पालनहार ! मुझे बेशुमार लाड़ न दो,
घर सरकारी हो जरूर, पर तिहाड़ न दो।"
--ओंम
***
ज्ञान ध्यान :
"सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफ़नामे का भाव कुछ इस प्रकार है कि शहरी क्षेत्र में रहने वालों को गुजर बसर करने के लिये प्रतिदिन मात्र बत्तीसी दिखाना काफ़ी है ।"
***
ज्ञान ध्यान :
" ऐसा प्रतीत होता है कि नेताओं को शायद लगने लगा है कि वह भारत को भूख की समस्या से तो निजात नहीं दिला सकते इसलिये अब सारा ध्यान उपवास के प्रचार , प्रसार और लाभ बतानें में लगा रहे हैं ।"
***
ज्ञान चर्चा :
" सरकारी कार्यालयों में अब भी लोग इंगलिश अच्छी तरह न जानते हुए भी इंगलिश का प्रयोग कर अपने को पढा लिखा दिखाने की मानसिकता से ग्रस्त हैं हिन्दी दिवस की सबसे अच्छी बात यह है कि वह बिना ऐसे किसी दबाव के हिन्दी में भाषण दे सकते हैं ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"बच्चों से ही घर में शीतल वायु का प्रवाह और जगमग उजाला रहता है क्योंकि वह फैन और लाइट के स्विच कभी बंद नहीं करते।"
***
ज्ञान चर्चा:
"आज के माहौल में एक बात हमेशा याद रखें , ईश्वर ना करे यदि कोई कभी तिहाड़ जेल में बन्द कर दिया जाता हैं तो उसका सबसे करीबी मित्र जमानत के लिये कभी नहीं आयेगा , क्योंकि वह पहले से ही बगल वाली कोठडी में बन्द होगा ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"प्यारे कुंवारे अन्ना जीते, मिली नई यह सीख
नहीं जरूरी नारी हो, हर सफ़ल व्यक्ति की पीठ।"
-ओंम
***
ज्ञान चर्चा :
"कुछ लोगों को खाने की ऐसी लत पडी होती है कि कुछ भी, यहाँ तक की चारा तक, खा जाते हैं , उनके लिये यह विश्वास करना असंभव सा है कि कोई व्यक्ति बारह दिन तक बिना खाये पीये भी रह सकता है ।"
***
एक समाचार : स्वामी अग्निवेश की काँग्रेस से साठ गाँठ थी ।
"जयचन्द भी रहते हैं अपने देश में
शैतान घूमते कई साधु के वेश में ।"
--ओंम
***
ज्ञान चर्चा :
"देश में भ्रष्टाचार बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहाँ बडे बडे घोटालों को बहुत सम्मान के साथ अंत में ’जी ’ लगाकर पुकारा जाता है जैसे टू ’जी’ ,थ्री ’जी’ , सी डब्लयू ’जी ’ आदि आदि ।"
***
ज्ञान चर्चा " जनहित की योजनाओं की मटकी का मंथन कर उनसे अपने खाने के लिये धन रूपी माखन निकाल कर हमारे ही चुने हुए प्रतिनिधि स्वयं को सेवक से भगवान समझने की गलतफ़हमी पाल लेते हैं और हमें समझाते रहते हैं - ’ जनता मेरी मैं नहीं पैसा खायो ’ !!"
***
ज्ञान चर्चा :
"कैसी विडम्बना है जब दागी सांसद , विधायक , मंत्री बनते हैं जब चुने हुए प्रतिनिधियों की खरीद फ़रोख़्त होती है ,जब संसद में नोट लहराये जाते हैं , जब जनता के नुमाइन्दें विधान सभाओं में गाली गलौज, मारपीट करते हैं ,जब चुनाव में कालाधन पानी की तरह बहता है तब लोकतंत्र को कभी खतरा नहीं होता किंतु जब वर्षों से त्रस्त जनता एक जुट होकर अपनी मुश्किलों से निजात पाने के लिये आवाज उठाती है तो लोकतंत्र पर एकदम गहरा संकट आ जाता है ,संसद की मर्यादा टूटने लगती हैं । बेचारी जनता !!!!"
***
ज्ञान चर्चा :
" मानव ने अपने उपयोग और मनोरंजन के लिये इतनी अधिक चीजें इजाद कर ली हैं कि उन्हे इस्तेमाल करने के लिये दो हाथ कम पडते हैं । ऐसा समाचार है कि रचयिता ने इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुये मानव डिजाइन में कुछ बडे बदलाव किये हैं ।दस हाथ वाले पहले शिशु का प्रोटोटाइप तैय्यार है और ऐसा शिशु आज से २०० वर्ष बाद पृथ्वी पर आयेगा ।"
***
ज्ञान चर्चा :
" शराब इसलिये उपयोगी है क्योंकि यह अपेक्षाकृत धीमा जहर है और कोई भी जल्दी मरना नही चाहता है।"
***
ज्ञान चर्चा :
"आज से बंर्मिंघम मे भारत और इंगलैन्ड के बीच तीसरा क्रिकेट टैस्ट आरम्भ हो रहा है । लंदन दंगो की चपेट मे है , इंगलैन्ड की टीम इस अशान्त फसादी माहौल से घबरायी हुई है , हमें तो खैर आदत है । भारतीय टीम को शुभकामनायें । "
***
ज्ञान चर्चा :
" आप यदि किसी स्त्री के सौन्दर्य प्रशंसा में कहें कि उसकी शक्ल किसी आदमी से मिलती है तो अवश्य ही वह इस बेमेल स्त्री पुरूष सौन्दर्य तुलना पर खफ़ा हो जायेगी , चाहे वह व्यक्ति कितना भी खूबसूरत हो। किंतु लोग सदियों से स्त्री के सौन्दर्य की तुलना पुलिंग चाँद से करते आ रहे है इस आशय के प्रशस्ति गान गा रहे हैं और स्त्रीयाँ इस सौन्दर्य तुलना पर निसंदेह प्रसन्न हैं, न किसी स्त्री ने कभी कोई शिकायत दर्ज की है न कोई पी आई ऐल फाइल हुई है ! क्या राज है इसका ?ज्ञानी मित्र कृपया शंका निवारण करें ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"अगर संविधान हमें बोलने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करता है तो हमें फोन बिल्स भिजवा कर इस स्वतंत्रता में रोडे अटकाने का गैर संवैधानिक कार्य क्यों किया जा रहा है ?"
***
ज्ञान चर्चा :
"अब तक पूर्ण रूप से ऐसा आदर्श कमप्य़ूटर बनाने में सफलता नही मिल पाई है जो गलती करने के बाद दूसरे कमप्य़ूटर पर दोषारोपण कर सके और अपना माईक या माउस उस पर फ़ेंक कर मार सके ।"
***
ज्ञान चर्चा :
"अब तक पूर्ण रूप से ऐसा आदर्श कमप्य़ूटर बनाने में सफलता नही मिल पाई है जो गलती करने के बाद दूसरे कमप्य़ूटर पर दोषारोपण कर सके और अपना माईक या माउस उस पर फ़ेंक कर मार सके ।"
***
ज्ञान चर्चा :
’यह बेहद आश्चर्य की बात है कि प्रतिदिन संसार में केवल उतनी ही घटनायें घटित होती हैं जिनसे एक समाचार पत्र पूरा पूरा भरा जा सकता है।"
***
ज्ञान चर्चा :
" हर सफ़ल व्यक्ति के पीछे ( चिर कुमार परम प्रिय श्री अन्ना हजारे जी को छोड़कर ) एक स्त्री होती है और उस स्त्री के पीछे उस व्यक्ति की पत्नी अपने पूरे रौद्र रूप में होती है ।"
***
Sunday, November 6, 2011
चाँद और चाँदनी
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-१-
कहा चाँद ने चाँदनी से,
"यह जो तुम रात में,
छोड़ मुझे आकाश में,
निकल मेरे बहुपाश से
पृथ्वी पर
पहुंच जाती हो,
प्रेमी युगलों की गोद में
निसंकोच बैठ जाती हो,,
खिडकी खुली देख
किसी भी
कक्ष में घुस जाती हो,
वृक्षों पर इठलाती हो,
पानी पर लहराती हो,
विरह में जलने वालों को
और जलाती हो,
तुम इससे क्या पाती हो ?
हाँ मुझे अवश्य ही
विरह वेदना दे जाती हो ",
-२-
चाँदनी ने कहा
"प्रियतम, लोगों की
असली सूरत और सीरत
रात में साफ़ नजर आती है,
चेहरे से नकाब हटा होता है
मेकअप मिटा होता है,
दिन के देश प्रेमी
रात में सिर्फ़ प्रेमी होते हैं,
श्वेत उजाले में
जो धुले उजले दिखते हैं,
रात के अंधेरे में
चोरी , बलात्कार
तसकरी ,व्यभिचार
और न जाने
किन किन अपराधों के
इतिहास रचते हैं,
उनके इस रूप को
निहारने का अलग आनन्द है
हर कोई कवि है
हर किसी के पास छंद हैं
नये नये रूप उन्हें पसंद हैं ,
दिन के जो योगी हैं
रात में सिर्फ़ भोगी हैं !!
-३-
मेरे प्रिय, मेरे चन्दा !
तुन्हीं बताओ
आकाशीय समरसता में
कहाँ रस हैं ,
यहाँ सिर्फ़ उबाऊ विस्तार है
पृथ्वी पर मीना बाजार है !!!!
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
-१-
कहा चाँद ने चाँदनी से,
"यह जो तुम रात में,
छोड़ मुझे आकाश में,
निकल मेरे बहुपाश से
पृथ्वी पर
पहुंच जाती हो,
प्रेमी युगलों की गोद में
निसंकोच बैठ जाती हो,,
खिडकी खुली देख
किसी भी
कक्ष में घुस जाती हो,
वृक्षों पर इठलाती हो,
पानी पर लहराती हो,
विरह में जलने वालों को
और जलाती हो,
तुम इससे क्या पाती हो ?
हाँ मुझे अवश्य ही
विरह वेदना दे जाती हो ",
-२-
चाँदनी ने कहा
"प्रियतम, लोगों की
असली सूरत और सीरत
रात में साफ़ नजर आती है,
चेहरे से नकाब हटा होता है
मेकअप मिटा होता है,
दिन के देश प्रेमी
रात में सिर्फ़ प्रेमी होते हैं,
श्वेत उजाले में
जो धुले उजले दिखते हैं,
रात के अंधेरे में
चोरी , बलात्कार
तसकरी ,व्यभिचार
और न जाने
किन किन अपराधों के
इतिहास रचते हैं,
उनके इस रूप को
निहारने का अलग आनन्द है
हर कोई कवि है
हर किसी के पास छंद हैं
नये नये रूप उन्हें पसंद हैं ,
दिन के जो योगी हैं
रात में सिर्फ़ भोगी हैं !!
-३-
मेरे प्रिय, मेरे चन्दा !
तुन्हीं बताओ
आकाशीय समरसता में
कहाँ रस हैं ,
यहाँ सिर्फ़ उबाऊ विस्तार है
पृथ्वी पर मीना बाजार है !!!!
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Tuesday, November 1, 2011
Saturday, October 1, 2011
Monday, September 26, 2011
बेटी
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अंधेरों से किया निबाह कि चिराग हो रोशन,
बेटी ही सहारा है जिसे समझा ’पराया धन’ !
पुत्री आयी अनचाही, थी इच्छा और पुत्र की,
तनया प्राण से समर्पित, है बेटा कहीं मगन !
जाने कन्या जन्म पर, क्यों मुरझा गये सारे,
मानों उनके सभी स्वप्न, हुए आज हों दहन !
अजन्य, अनर्थक, अनिमित्त सा जिसे जाना,
कभी शक्ति स्वरूप दुर्गा,कभी मलयजा पवन !
ममतामयी, प्रिया अनुरक्ता,अंतरग अनुरागी,
हो रूप माता या पत्नी का, बेटी हो या बहन !
जिस घर में नारी का स्नेह संसार बसता हो,
सदा रहा सुगन्धित है, हुआ मानों अभी हवन !
अंधेरों से किया निबाह कि चिराग हो रोशन,
बेटी ही सहारा है जिसे समझा ’पराया धन’ !
पुत्री आयी अनचाही, थी इच्छा और पुत्र की,
तनया प्राण से समर्पित, है बेटा कहीं मगन !
जाने कन्या जन्म पर, क्यों मुरझा गये सारे,
मानों उनके सभी स्वप्न, हुए आज हों दहन !
अजन्य, अनर्थक, अनिमित्त सा जिसे जाना,
कभी शक्ति स्वरूप दुर्गा,कभी मलयजा पवन !
ममतामयी, प्रिया अनुरक्ता,अंतरग अनुरागी,
हो रूप माता या पत्नी का, बेटी हो या बहन !
जिस घर में नारी का स्नेह संसार बसता हो,
सदा रहा सुगन्धित है, हुआ मानों अभी हवन !
मोह बंधन
ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रबल मोह पाश से
स्नेहसिक्त मिठास से
अर्चना उपवास से
सदभावना विश्वास से
निर्मल पावन मन से,
सृष्टि के उदगम से
नारी ने सबको
निज दास बना रक्खा है !
कर्म धर्म जाप हो
क्रंदन, प्रलाप हो
दुख हो विलाप हो
किसी का संताप हो
सर्वहारी नारी ने,
पत्नी महतारी ने,
बेटी , बहन प्यारी ने,
जीवन में सबके
उल्लास बना रक्खा है,
सृष्टि के प्रारंभ से
निज दास बना रक्खा है !
बंधकर कई बंधन में
इस जग प्रांगण में
निष्ठ, शिष्ट आचरण से
द्दढ़ता से प्रण से,
सबके जीवन में
सुवासित सा सुन्दर पलाश
खिला रक्खा है,
नारी ने सदियों से
निज दास बना रक्खा है !
प्रबल मोह पाश से
स्नेहसिक्त मिठास से
अर्चना उपवास से
सदभावना विश्वास से
निर्मल पावन मन से,
सृष्टि के उदगम से
नारी ने सबको
निज दास बना रक्खा है !
कर्म धर्म जाप हो
क्रंदन, प्रलाप हो
दुख हो विलाप हो
किसी का संताप हो
सर्वहारी नारी ने,
पत्नी महतारी ने,
बेटी , बहन प्यारी ने,
जीवन में सबके
उल्लास बना रक्खा है,
सृष्टि के प्रारंभ से
निज दास बना रक्खा है !
बंधकर कई बंधन में
इस जग प्रांगण में
निष्ठ, शिष्ट आचरण से
द्दढ़ता से प्रण से,
सबके जीवन में
सुवासित सा सुन्दर पलाश
खिला रक्खा है,
नारी ने सदियों से
निज दास बना रक्खा है !
हाल-ए-हिन्दी
-ओंम प्रकाश नौटियाल
साँसत में हिन्दी है कि आया फ़िर पखवाडा
मात्र दिखावे की खातिर बाजेगा ढ़ोल नगाडा
कब तक ढ़ोयेगा भारत यूं अंग्रेजी का भार
दिखावे के लिये होगा, बस हिन्दी का प्रचार
गर्वीली शर्मीली हिन्दी, अंग्रेजी हैलो हाय
हिन्दी का हक़ मारते लाज तनिक न आय
करोडों की भाषा क्यों हो दया की मोहताज
शिक्षा सफ़ल तभी,जो हो स्वभाषा पर नाज
चले गये अंग्रेज,अंग्रेजी के हैं अब भी ठाठ
हिन्दी देश में जोह रही निज पारी की बाट
पखवाडे भर जश्न है फ़िर लम्बा बनवास
देश में अब तक यही हिन्दी का इतिहास
कितने पखवाडे हुए पर चली अढाई कोस
कार्यालयों में हिन्दी लगे, मानों हो खामोश
हिन्दी के गले में अटकी, अंग्रेजी की फाँस
बेटी की अपने ही घर आफ़त में है साँस
फिर आया पखवाडा सुन, हिन्दी हुई उदास
शेष वर्ष तो कर्मी मुझको नहीं बैठाते पास
भाषा उत्तर दक्षिण की,बंगला हो या सिन्धी
बहनों के लाड़ दुलार से खूब फ़ली है हिन्दी
अंग्रेजी बोली गुरूर से हिन्दी को कर लक्ष्य
पक्ष मना भर लेने से तू आये ना समकक्ष
हृदय से न चाह थी तभी ढीले किये प्रयास
’राजभाषा’ निज देश में घूमे फ़िरे हताश
भाषा जोडेगी वही जिसमें हो माटी की गंध
फिरंगी भाषा कैसे दे, अपनेपन का आनंद
सरकारी पक्ष वर्षों में कर ना सके जो काम
टीवी और हिन्दी फ़िल्मों ने दिया उसे अंजाम
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
साँसत में हिन्दी है कि आया फ़िर पखवाडा
मात्र दिखावे की खातिर बाजेगा ढ़ोल नगाडा
कब तक ढ़ोयेगा भारत यूं अंग्रेजी का भार
दिखावे के लिये होगा, बस हिन्दी का प्रचार
गर्वीली शर्मीली हिन्दी, अंग्रेजी हैलो हाय
हिन्दी का हक़ मारते लाज तनिक न आय
करोडों की भाषा क्यों हो दया की मोहताज
शिक्षा सफ़ल तभी,जो हो स्वभाषा पर नाज
चले गये अंग्रेज,अंग्रेजी के हैं अब भी ठाठ
हिन्दी देश में जोह रही निज पारी की बाट
पखवाडे भर जश्न है फ़िर लम्बा बनवास
देश में अब तक यही हिन्दी का इतिहास
कितने पखवाडे हुए पर चली अढाई कोस
कार्यालयों में हिन्दी लगे, मानों हो खामोश
हिन्दी के गले में अटकी, अंग्रेजी की फाँस
बेटी की अपने ही घर आफ़त में है साँस
फिर आया पखवाडा सुन, हिन्दी हुई उदास
शेष वर्ष तो कर्मी मुझको नहीं बैठाते पास
भाषा उत्तर दक्षिण की,बंगला हो या सिन्धी
बहनों के लाड़ दुलार से खूब फ़ली है हिन्दी
अंग्रेजी बोली गुरूर से हिन्दी को कर लक्ष्य
पक्ष मना भर लेने से तू आये ना समकक्ष
हृदय से न चाह थी तभी ढीले किये प्रयास
’राजभाषा’ निज देश में घूमे फ़िरे हताश
भाषा जोडेगी वही जिसमें हो माटी की गंध
फिरंगी भाषा कैसे दे, अपनेपन का आनंद
सरकारी पक्ष वर्षों में कर ना सके जो काम
टीवी और हिन्दी फ़िल्मों ने दिया उसे अंजाम
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Saturday, September 10, 2011
मासूम लडकी
(नेता द्वारा एक मासूम के तथाकथित बलात्कार और शोषण के समाचार पर आधारित)
-ओंम प्रकाश नौटियाल
झलक उसकी पाने को,
यूं ही छत पे जाता था,
घबरायी चोर नजरों से
उधर नजरें घुमाता था,
जाने किन खयालों में, मगर खोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
कभी इस ओर देखेगी
गीत मैं गुनगुनाता था,
कभी तो तंद्रा टूटेगी
पैर भी थपथपाता था ,
मगर कोने में बैठी वह, कुछ सोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
शीतल सर्द मौसम में
पवन सनसनाती थी,
वह जुल्फ़ें हटाती थी
चूडी खनक जाती थी,
दुपट्टे से ढ़क अंखियाँ , रोयी रोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
कभी कमरे को उसके,
मैंने रोशन नही देखा,
तम दूर करने का हो,
उसका मन, नहीं देखा,
अंधेरों को अंधेरों में , वह पिरोई सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
एक दिन उधर घर से,
रोना सा सुन कर के,
झाँका जब वहाँ मैने,
छ्त पर चढ़ कर के,
खाली था पड़ा कोना, वह जहाँ सोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
उस दिन सुनी मैंने,
जो करुण कहानी थी,
उसकी मौत के पीछे,
सच्चाई वहशियानी थी,
गई खुद छोड दुनिया को, जो खोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
किसी दानवी दरिन्दे ने,
दिया जख्म था गहरा,
प्रताडित भी किया उल्टा,
मुरझाया भोला सा चेहरा,
चली ’धिक्कार’ , माँ जिन्दगी ढ़ोयी सी रहती है,
बडी मासूम लगती है मुझे सपनों में मिलती है।
(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन" से )
-ओंम प्रकाश नौटियाल
झलक उसकी पाने को,
यूं ही छत पे जाता था,
घबरायी चोर नजरों से
उधर नजरें घुमाता था,
जाने किन खयालों में, मगर खोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
कभी इस ओर देखेगी
गीत मैं गुनगुनाता था,
कभी तो तंद्रा टूटेगी
पैर भी थपथपाता था ,
मगर कोने में बैठी वह, कुछ सोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
शीतल सर्द मौसम में
पवन सनसनाती थी,
वह जुल्फ़ें हटाती थी
चूडी खनक जाती थी,
दुपट्टे से ढ़क अंखियाँ , रोयी रोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
कभी कमरे को उसके,
मैंने रोशन नही देखा,
तम दूर करने का हो,
उसका मन, नहीं देखा,
अंधेरों को अंधेरों में , वह पिरोई सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
एक दिन उधर घर से,
रोना सा सुन कर के,
झाँका जब वहाँ मैने,
छ्त पर चढ़ कर के,
खाली था पड़ा कोना, वह जहाँ सोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
उस दिन सुनी मैंने,
जो करुण कहानी थी,
उसकी मौत के पीछे,
सच्चाई वहशियानी थी,
गई खुद छोड दुनिया को, जो खोयी सी रहती थी,
बडी मासूम लगती थी मुझे सपनों में मिलती थी।
किसी दानवी दरिन्दे ने,
दिया जख्म था गहरा,
प्रताडित भी किया उल्टा,
मुरझाया भोला सा चेहरा,
चली ’धिक्कार’ , माँ जिन्दगी ढ़ोयी सी रहती है,
बडी मासूम लगती है मुझे सपनों में मिलती है।
(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन" से )
Saturday, September 3, 2011
पुत्र प्रधान मंत्री कैसे बने?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
पुत्र बनाना चाहते मंत्री यदि ’प्रधान’
लें अभी से आप ये बातें जरा जान,
बुरी लतों से आप अपना पुत्र बचायें
देखें कहीं उसे कि मुस्काना ना आये,
इस बात का भी हो पूरा पूरा ध्यान
यदाकदा बामुश्किल खोले वह जुबान,
सारे हों तिकड़मी उसके अपने मित्र
दागियों के बीच में चमके और चरित्र,
जीवन में अपनाये गर अहम ये सूत्र
तय है प्रधान मंत्री होगा आपका पुत्र,
पुत्र बनाना चाहते मंत्री यदि ’प्रधान’
लें अभी से आप ये बातें जरा जान,
बुरी लतों से आप अपना पुत्र बचायें
देखें कहीं उसे कि मुस्काना ना आये,
इस बात का भी हो पूरा पूरा ध्यान
यदाकदा बामुश्किल खोले वह जुबान,
सारे हों तिकड़मी उसके अपने मित्र
दागियों के बीच में चमके और चरित्र,
जीवन में अपनाये गर अहम ये सूत्र
तय है प्रधान मंत्री होगा आपका पुत्र,
Wednesday, August 31, 2011
श्री गणेश स्तुति हाइकु
-ओंम प्रकाश नौटियाल
भाद्र पद में
शुक्ल पक्ष चतुर्थी
आप अतिथि
गजवदन
शत शत नमन
कष्ट शमन
आपका जाप
जगमग प्रताप
दे शुभ लाभ
पुष्प अक्षत
आपको समर्पित
मिष्ट मोदक
गण नायक
दिव्य बुद्धि धारक
विघ्न तारक
प्रखर बुद्धि
हो मन वाणी शुद्धि
आये समृद्धि
हे गणपति
ॠद्धि सिद्धि श्रीपति
हरो विपत्ति
मूष वाहक
आप दें आलंबन
कार्य प्रारंभ !!!
भाद्र पद में
शुक्ल पक्ष चतुर्थी
आप अतिथि
गजवदन
शत शत नमन
कष्ट शमन
आपका जाप
जगमग प्रताप
दे शुभ लाभ
पुष्प अक्षत
आपको समर्पित
मिष्ट मोदक
गण नायक
दिव्य बुद्धि धारक
विघ्न तारक
प्रखर बुद्धि
हो मन वाणी शुद्धि
आये समृद्धि
हे गणपति
ॠद्धि सिद्धि श्रीपति
हरो विपत्ति
मूष वाहक
आप दें आलंबन
कार्य प्रारंभ !!!
Thursday, August 25, 2011
(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन " से )
-ओंम प्रकाश नौटियाल
साँस साँस जीवन है
पल पल समय धार,
बूंद बूंद सागर है
लघु लघु विस्त्तार,
ईश्वर वास कण कण
काल योग क्षण क्षण,
सीमटे से आंचल में
ममता का संसार अक्षुण्ण,
अक्षर अक्षर ज्ञान है
श्वास श्वास प्राण है,
तृण तृण सुप्त ताप,
मन कोष्ठ में छुपा
सदियों का प्रलाप ।
अणु अणु है पदार्थ,
अहं अहं मूल स्वार्थ,
लघु कली कली में बन्द
विश्वव्यापी सुगन्ध,
मेघ मेघ आकाश,
पुष्प पुष्प सौन्दर्य वास,
महा पाप लोभ लोभ,
ध्यान ध्यान योग योग।
जन जन जनतंत्र
अन्ना अन्ना शक्ति यंत्र,
दीनहित भक्ति मंत्र,
समर्पित सत्यनाद से
झंकृत दिग दिगंत ।
साँस साँस जीवन है
पल पल समय धार,
बूंद बूंद सागर है
लघु लघु विस्त्तार ।
(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन " से )
साँस साँस जीवन है
पल पल समय धार,
बूंद बूंद सागर है
लघु लघु विस्त्तार,
ईश्वर वास कण कण
काल योग क्षण क्षण,
सीमटे से आंचल में
ममता का संसार अक्षुण्ण,
अक्षर अक्षर ज्ञान है
श्वास श्वास प्राण है,
तृण तृण सुप्त ताप,
मन कोष्ठ में छुपा
सदियों का प्रलाप ।
अणु अणु है पदार्थ,
अहं अहं मूल स्वार्थ,
लघु कली कली में बन्द
विश्वव्यापी सुगन्ध,
मेघ मेघ आकाश,
पुष्प पुष्प सौन्दर्य वास,
महा पाप लोभ लोभ,
ध्यान ध्यान योग योग।
जन जन जनतंत्र
अन्ना अन्ना शक्ति यंत्र,
दीनहित भक्ति मंत्र,
समर्पित सत्यनाद से
झंकृत दिग दिगंत ।
साँस साँस जीवन है
पल पल समय धार,
बूंद बूंद सागर है
लघु लघु विस्त्तार ।
(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन " से )
Saturday, August 20, 2011
अन्ना हजारे
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कोई तो है तडपता जो
हमारे दर्द के मारे,
कोई तो है अजीज़ अपना
जिसे हम जान से प्यारे ।
कोई तो है जिसे गम
सुना सकते हैं हम सारे,
कोई तो है बनाया जिसने
हम को आँख के तारे ।
कोई तो है नहीं जिसके
आँसू मगरमच्छी ,
कोई तो है नहीं भाते जिसे
बस खोखले नारे।
कोई तो है समझता जो
हमारी जान की कीमत,
कोई तो औषधि बनकर के
आया आज है द्वारे।
कोई तो है हमारी साँस
जिसकी साँस बसती है,
हृदय पवित्र , हमदर्द मित्र
हमारा अन्ना हजारे !!!
(पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित)
कोई तो है तडपता जो
हमारे दर्द के मारे,
कोई तो है अजीज़ अपना
जिसे हम जान से प्यारे ।
कोई तो है जिसे गम
सुना सकते हैं हम सारे,
कोई तो है बनाया जिसने
हम को आँख के तारे ।
कोई तो है नहीं जिसके
आँसू मगरमच्छी ,
कोई तो है नहीं भाते जिसे
बस खोखले नारे।
कोई तो है समझता जो
हमारी जान की कीमत,
कोई तो औषधि बनकर के
आया आज है द्वारे।
कोई तो है हमारी साँस
जिसकी साँस बसती है,
हृदय पवित्र , हमदर्द मित्र
हमारा अन्ना हजारे !!!
(पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित)
Sunday, August 14, 2011
आजाद लोग
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आजादी की उम्र हुई
अब साठ के उपर,
कुछ इठलाये, बलखाये,
कुछ घिघियाये, सठियाये से लोग !
कहीं गाल पिचके पिचके
कहीं नाज , लटके झटके,
कुछ भूखे, प्यासे तडपें
कुछ रिश्वत खाये से लोग !
कुछ ऐसे घूमे दुनियाँ
जैसे हो गाँव अपना ,
रोटी की दौड ही पर
कुछ का जैसे सपना,
कुछ पैसों के पंख वाले
कुछ रोगी, गठियाये से लोग !
कुछ फ़ैलाते नफ़रत
हर शख़्स कुछ को प्यारा,
हिंसा ही कुछ की फ़ितरत
कुछ का धर्म भाईचारा,
कुछ दयालु, सहिष्णु
कुछ जिद्दी, हठियाये से लोग !
कुछ देश की खातिर
अपनी जान तक दे डालें,
स्व जान की सेवा में
कुछ देश बेच डालें ,
कुछ गर्वीले मन भाये,
कुछ खुद पे भरमाये से लोग !
हर मौसम से घबराये
कुछ लरजाये, सताये से लोग,
कुछ लाचार, आधे अधूरे
कुछ ड्योढे सवाये से लोग,
बेमौसम ही खिलखिलायें
कुछ गरमाये, गदराये से लोग !
बेबस नजरों से देखें
कुछ तरसाये ललचाये से लोग,
पाँवों में कुछ के दुनियाँ
कुछ इतराये अघाये से लोग,
कुछ वक्त के सरमाये
कुछ वक्त के सताये से लोग !
कुछ सहमें , चरमराये
डरे डराये, धमकाये से लोग,
कुछ जन्म से बने बनाये
साँचे में ढले ढलाये से लोग,
कुछ निस्तेज, रात के साये
कुछ चमचमाये, तमतमाये से लोग
आजादी की उम्र हुई
अब साठ के उपर,
कुछ इठलाये, बलखाये,
कुछ घिघियाये, सठियाये से लोग !
आजादी की उम्र हुई
अब साठ के उपर,
कुछ इठलाये, बलखाये,
कुछ घिघियाये, सठियाये से लोग !
कहीं गाल पिचके पिचके
कहीं नाज , लटके झटके,
कुछ भूखे, प्यासे तडपें
कुछ रिश्वत खाये से लोग !
कुछ ऐसे घूमे दुनियाँ
जैसे हो गाँव अपना ,
रोटी की दौड ही पर
कुछ का जैसे सपना,
कुछ पैसों के पंख वाले
कुछ रोगी, गठियाये से लोग !
कुछ फ़ैलाते नफ़रत
हर शख़्स कुछ को प्यारा,
हिंसा ही कुछ की फ़ितरत
कुछ का धर्म भाईचारा,
कुछ दयालु, सहिष्णु
कुछ जिद्दी, हठियाये से लोग !
कुछ देश की खातिर
अपनी जान तक दे डालें,
स्व जान की सेवा में
कुछ देश बेच डालें ,
कुछ गर्वीले मन भाये,
कुछ खुद पे भरमाये से लोग !
हर मौसम से घबराये
कुछ लरजाये, सताये से लोग,
कुछ लाचार, आधे अधूरे
कुछ ड्योढे सवाये से लोग,
बेमौसम ही खिलखिलायें
कुछ गरमाये, गदराये से लोग !
बेबस नजरों से देखें
कुछ तरसाये ललचाये से लोग,
पाँवों में कुछ के दुनियाँ
कुछ इतराये अघाये से लोग,
कुछ वक्त के सरमाये
कुछ वक्त के सताये से लोग !
कुछ सहमें , चरमराये
डरे डराये, धमकाये से लोग,
कुछ जन्म से बने बनाये
साँचे में ढले ढलाये से लोग,
कुछ निस्तेज, रात के साये
कुछ चमचमाये, तमतमाये से लोग
आजादी की उम्र हुई
अब साठ के उपर,
कुछ इठलाये, बलखाये,
कुछ घिघियाये, सठियाये से लोग !
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