Tuesday, July 31, 2012

पावर- जननी भ्रष्टाचार की


-ओंम प्रकाश नौटियाल


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सुनों बन्धु !
इसलिये उदास हो क्या
कि वह बिजली
एक बेवफ़ा नार
छोड गई साथ ,
अरे ! यह तो वक्त है जश्न का
क्योंकि जाना उसका
दे गया हल
आज के सबसे बडे प्रश्न का !!
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सुनो मित्र !
बिजली है जन्म दायिनी
भ्रष्टाचार की
क्योंकि यह देती है ’पावर’
और यह ’ पावर ’ ही है
जो बनाती है भ्रष्ट हमें
आपने सुना होगा कि
"पावर करप्ट्‍स "
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सरकार ने
भ्रष्टाचार समाप्त
करने की दिशा में
उठाया है पहला वृहद कदम
पैंसठ करोड लोगों की
एक झटके में
छीन ली पावर
और कर दिया भ्रष्टाचार पर
जबर्दस्त वार
अब तडपेगा अपना यार !
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बखूबी जानती है सरकार
कि खत्म नही होगा भ्रष्टाचार
किसी लोकपाल से
क्योंकि उसे तो चाहिये पावर
और पावर से
फलेगा फूलेगा
और और भ्रष्टाचार
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इसलिये अब छोडिये उदासी
गाइये राग भीमपलासी
पावर विहीन
करोडों को कर
सबसे बडी
अबतक की
मार पडी भष्टाचार पर
भूल भी जाइये
उस बेवफ़ा
चंचला चपला बिजली को
जलाइये बस घी के चिराग
महकाइये भारत
चमकाइये भारत
आपकी दिपावली हो
चुकी है प्रारंभ !
शुभकामनायें !!!

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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