-ओंम प्रकाश नौटियाल
हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !
माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !
नदियाँ, गिर श्रंखलायें, झील, ताल कंदरायें हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !
माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !
कला बोध, गीत, प्रीत लय मल्हार तुमसे है !
हमें दिये माँ तुमने अनमोल रतन कितने
ऋषि संत मुनियों सा मिला उपहार तुमसे है !
गार्गी, मीरा, सीता या हों कल्पना, सुनीता
सुन्दर सुगन्धित चमन ये गुलजार तुमसे है !
श्री राम ,राणा, शिवाजी ,पटेल, टैगोर गाँधी
वेद पंचम धर्म दर्शन का आधार तुमसे है!
दुष्टों के प्रहार भी माँ सहती रही सदा से
निश्छल प्रेम, क्षमा भाव का आचार तुमसे है !
मन में है चाह इतनी हों प्राण तुम पे कुर्बां
सब गीत गजल कविता अशआर तुमसे हैं !
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