प्रेम (घनाक्षरी) -ओंम प्रकाश नौटियाल
सलोनी भोली बाला का पीछा करते रहना ,काम है अधर्म जन्य कुत्सित विचार का
गंद महज है उपज विकृत दिमाग की , वासना को अपनी जो देता नाम प्यार का
वो चाहत जिसमें नहीं स्थान बलिदान का, अन्य की पसंद इजहार , इकरार का
हो नहीं सकता है सचमुच का प्यार कभी , प्रेम में न आये कभी विचार संहार का? -ओंम प्रकाश नौटियाल
सलोनी भोली बाला का पीछा करते रहना ,काम है अधर्म जन्य कुत्सित विचार का
गंद महज है उपज विकृत दिमाग की , वासना को अपनी जो देता नाम प्यार का
वो चाहत जिसमें नहीं स्थान बलिदान का, अन्य की पसंद इजहार , इकरार का
हो नहीं सकता है सचमुच का प्यार कभी , प्रेम में न आये कभी विचार संहार का? -ओंम प्रकाश नौटियाल
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