-ओंम प्रकाश नौटियाल
"आज भोर जब निद्रा रानी हुई विदा,
देखा द्वारे मुस्काता नव नर्ष खडा,
घटनाओं का लिये पिटारा एक भरा
बारह माहों के लिबास में सजा धजा !!"
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मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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