-ओंम प्रकाश नौटियाल
कोई तो है तडपता जो
हमारे दर्द के मारे,
कोई तो है अजीज़ अपना
जिसे हम जान से प्यारे ।
कोई तो है जिसे गम
सुना सकते हैं हम सारे,
कोई तो है बनाया जिसने
हम को आँख के तारे ।
कोई तो है नहीं जिसके
आँसू मगरमच्छी ,
कोई तो है नहीं भाते जिसे
बस खोखले नारे।
कोई तो है समझता जो
हमारी जान की कीमत,
कोई तो औषधि बनकर के
आया आज है द्वारे।
कोई तो है हमारी साँस
जिसकी साँस बसती है,
हृदय पवित्र , हमदर्द मित्र
हमारा अन्ना हजारे !!!
(पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित)
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कोई तो है नहीं जिसके
ReplyDeleteआँसू मगरमच्छी ,
कोई तो है नहीं भाते जिसे
बस खोखले नारे।
pure dil se likhi bhavnaon me bahati man ko choo lene wali kavita..apne blog pe nimantran aaur badhayee ke sath
कोई तो है जिसे गम
ReplyDeleteसुना सकते हैं हम सारे,
कोई तो है बनाया जिसने
हम को आँख के तारे ।
..सच कोई न कोई अपना हो तो उससे दिल की बात आसानी से कह लेता है हर कोई....
बढ़िया उम्मीद जगाती रचना..
नयी सुबह कभी न कभी आएगी, ऐसा हम भी मानते है..
आपको बढ़िया रचना और जन्माष्टमी की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें ..