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Tuesday, March 26, 2013

होली है , बुरा न मानिये

-ओंम प्रकाश नौटियाल

रंग होली का

-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, March 4, 2013

तुम से

-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, November 13, 2012

Tuesday, October 23, 2012

जुल्म के दानव मिटाने हैं

-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, October 22, 2012

आम आदमी के दस दशहरी दोहे

-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, October 17, 2012

गरबा दोहावलि


ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, September 17, 2012

क्यों फटा रे बादल तू !!

-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, September 5, 2012

Saturday, August 11, 2012

भारत माँ के नाम

-ओंम प्रकाश नौटियाल

हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !

माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !

नदियाँ, गिर श्रंखलायें, झील, ताल कंदरायें
कला बोध, गीत, प्रीत लय मल्हार तुमसे है !

हमें दिये माँ तुमने अनमोल रतन कितने
ऋषि संत मुनियों सा मिला उपहार तुमसे है !

गार्गी, मीरा, सीता या हों कल्पना, सुनीता
सुन्दर सुगन्धित चमन ये गुलजार तुमसे है !

श्री राम ,राणा, शिवाजी ,पटेल, टैगोर गाँधी
वेद पंचम धर्म दर्शन का आधार तुमसे है!

दुष्टों के प्रहार भी माँ सहती रही सदा से
निश्छल प्रेम, क्षमा भाव का आचार तुमसे है !

मन में है चाह इतनी हों प्राण तुम पे कुर्बां
सब गीत गजल कविता अश‍आर तुमसे हैं !

Wednesday, August 8, 2012

मेरा प्यारा देश

ओंमप्रकाश
नौटियाल

मेरे प्यारे देश तेरे वैभव वेश
जमीं आसमान का क्या कहना,
मन भावन निराली रूप छटा
शफ्फाक शान का क्या कहना !


स्वर्णिम अतीत की खानों ने
मोती रतन अनमोल दिये,
हुई ज्ञान ज्योत देदीप्यमान
तेरे वेद पुराण का क्या कहना !

मधुमय देश तेरा मृदुल संदेश
अहिंसा, शान्ति, स्नेह, अद्वेष ,
हर धर्म का मान स्थान समान
गीता कुरान का क्या कहना !

शून्य की शक्ति से अवगत
किया तूने यह संपूर्ण जगत,
ऋषि मुनि मोक्ष योग निर्वाण
ज्ञान विज्ञान का क्या कहना !

देवालय,चर्च, मस्जिद, गुरुदारा
संस्कृति में मेल विविधता का ,
चमेली चंपा शैफाली बेला
कुंकुंम जाफ़रान का क्या कहना !

मेरे प्यारे देश तेरी आन बान
मान सम्मान अभिमान ईमान,
तेरे बाग खेत खलिहान किसान
न्यारी पहचान का क्या कहना !

ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, August 5, 2012

सगर्व मने रक्षा बंधन

-ओंम प्रकाश नौटियाल
-

स्नेह सिंचित भेज रही हूं
ममता की यह डोर तुम्हे
आ न पाई दूर देश से                        
यह व्यथा रही झकझोर मुझे !
-
प्यार हमारा रचा बसा है
बचपन की अनगिन यादों में
स्नेह मेह की धारा अविरल
बहती रही सावन भादों में !
-
दूर भले हो किया वक्त ने
मन बंधन बाँधे ये धागा है
पहुंचायेगा स्नेह संदेश तुम्हे
छत पर जो बैठा कागा है !
-
प्यारी नन्हीं बिटिया से तुम
लगवाना भाल रोली चंदन
देना आशीष निर्भिक जिये
सगर्व मने रक्षा बंधन !!


-

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

Saturday, July 28, 2012

देहरा दून

-
ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, June 17, 2012

पिता तुम स्वर्ग सिधार गये


पिता तुम स्वर्ग सिधार गये -ओंम प्रकाश नौटियाल
 

Monday, March 26, 2012

किसी मिल का धुंआ होगा

-ओंम प्रकाश नौटियाल


कई बरसों से हम सुनते आ रहे उनको ,
नहीं उम्मीद कभी उनका भाषण जुदा होगा।

गाली से शिकन इसके चेहरे पे नहीं आई,
यह शख्स मुझे यकीं है, शादी शुदा होगा।

वह देश रहे तोड़ शायद फ़िर से बनायेंगे,
पुख़्ता बनावट के लिए ये तय हुआ होगा।

मौसम है मानसूनी पर हैं नहीं ये बादल ,
शहर की किसी मिल से निकला धुंआ होगा।

जिन्दगी की जद्दोज़हद में मौत याद आई,
पता न था इधर खाई , उधर कुंआ होगा ।

जिन्दा रहने को लगी, दाँव पर ही जिन्दगी
मौत को हराने को अब खेलना जुआ होगा।

मालूम न था जब तक झाँका नहीं उस पार,
जो छुपा हुआ मंजर है निहायत बेहूदा होगा।

कुछ लोगों का खयाल है नेता भी आदमी हैं,
मुझको मगर यकीन है कि ये ही खुदा होगा ।

’ओंम’ हम नेता बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं ,
है कौन सा ’धंधा’ जो हमसे अनछुआ होगा।


(पुस्तक "साँस साँस जीवन " में प्रकाशित )

Monday, March 19, 2012

बोलने का अधिकार

-ओंम प्रकाश नौटियाल

संविधान ने दिया हमें बोलने का अधिकार
फ़ोन बिल के द्वारा पर पैसे लेती सरकार,
पैसे लेती सरकार,तो है फ़िर कहाँ आजादी
गैरवाजिब यह बात, करो सब ओर मुनादी,
बात करने का बिल?है उचित नहीं फरमान
बोलने की पूर्ण आजादी,देता जब संविधान !
***
अधिकार बोलने का --ओंम प्रकाश नौटियाल
-
है संविधान ने दिया हमें जब
बोलने की आजादी का अधिकार,
फ़ोन बिल द्वारा रोडे अटकाना
कैसे फ़िर संवैधानिक है यार ?
बोलने के भी जो पैसे ले रही सरकार
अपनी आजादी पर है यह निर्मम प्रहार

Friday, January 20, 2012

बात करो न माँ (पुण्य तिथि २१ जनवरी)

-ओंम प्रकाश नौटियाल

*
स्वर्ग गई तो तुम क्या
सब भूल गई हो माँ ,
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
तुम्हें सदा मासूम लगा
छलबल से महरूम लगा ,
मेरे सर पर ममता वाला
वह हाथ धरो ना माँ !
*
यदाकदा पावस बूंदे जब
तन मेरा भिगाती हैं ,
आँचल के उस छाते की
याद बडी तब आती है ,
बचपन वाले उस पल्लु की
फ़िर छाँव करो ना माँ !
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !
*
ग्रीष्म ऋतु में वट छाँव
सर्द मौसम में अलाव
स्नेह गोद में बैठा जब
धरती पर थे कहाँ पाँव
स्निग्ध आवरण में लेकर
सब संताप हरो न माँ !
मेरे सर पर ममता वाला
वह हाथ धरो ना माँ !
*
अब तक रची बसी है
यादें नालबडी पुलाव की
डाँट प्यार के हाव भाव की
ममता और लगाव की
चुल्हे वाला खाना परसो
अतृप्त क्षुधा हरो न माँ !
*
स्वर्ग गई तो तुम क्या
सब भूल गई हो माँ ,
नित्य स्वप्न में आकर
ढेरों बात करो न माँ !

Saturday, January 14, 2012

हो चर्चा खेत, किसान, बागों की

-ओंम प्रकाश नौटियाल

*
बहुत हो गई बातें अब
गालों और गुलाबों की,
जागो, उठो, करो चर्चा अब
खेत, किसान और बागों की !
*
ईश्क, मुहब्बत के बदले
रोजी, रोटी हो अशआरों में,
पाँव रहें धरती पर भाई
घूमों ना चाँद सितारों में,
बहुत किताबें लिख दी हैं
परियों की और ख़्वाबों की,
न वक्त गंवाओ, हो चर्चा
खेत, किसान और बागों की !
*
क्यों उलझे हो जुल्फ़ों में
रिसालों और अफ़सानों में,
जल ,जंगल की बातें हों
कविता में और गानों में,
वो ही नज़्में क्यों दोहराना
हुस्न की और शबाबों की,
वक्त बचाओ, सोचो तुम
खेत, किसान और बागों की !
*
चाँद, चाँदनी, बादल, तारे
हंसते तुमको देख ये सारे,
आशिकी में हो भरमाये
जीते झूठे स्वप्न सहारे ,
भ्रम त्याग गाओ बिहाग
जीवन लय हो रागों की ,
सोचो शान्त हृदय से प्यारे
खेत, किसान और बागों की !
*
बहुत हो गई बातें अब
गालों और गुलाबों की,
जागो, उठो, करो चर्चा अब
खेत, किसान और बागों की !