Friday, May 17, 2013

मेरा पहाड (कुंडलिया छंद )-ओंम प्रकाश नौटियाल

नीला नभ नत श्रंग पर, निज पर्वत की शान

मेघ मिलन हो राह में, कण कण में भगवान

कण कण में भगवान , पवन वृक्षों पर झूले

बहें झरने अलमस्त , नदी कलकल ना भूले

कहें ओमकविराय, प्रकृति की अनुपम लीला

शंकर जी का वास , जिनका कंठ है नीला

-ओंम प्रकाश नौटियाल

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