- ओंम प्रकाश नौटियाल
कहाँ से विष है फ़िर फ़ैला
हुआ जग ही जहरीला है,
तुमने तो पी लिया था सब
अभी तक कंठ नीला है !!
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मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
बढ़िया कविता लिखते हैं आप... सभी कवितायें बेहतरीन हैं...
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिये शुक्रिया अरूण चन्द्र जी !!
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