Monday, February 20, 2012

सुनो भोले बाबा !

- ओंम प्रकाश नौटियाल

कहाँ से विष है फ़िर फ़ैला
हुआ जग ही जहरीला है,
तुमने तो पी लिया था सब
अभी तक कंठ नीला है !!

2 comments:

  1. बढ़िया कविता लिखते हैं आप... सभी कवितायें बेहतरीन हैं...

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    1. उत्साहवर्धन के लिये शुक्रिया अरूण चन्द्र जी !!

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