-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत मे तेरी दिवानी,ओ प्याज, आज भी हूं,
तुझ पर चलाकर छुरी,अश्क बहाती आज भी हूं,
पर कीमत लगाई तूने,जो आने की मेरे दर पर,
उससे परेशां कल थी,और परेशाँ मैं आज भी हूं।
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मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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