ओंम प्रकाश नौटियाल
१
मेरी धरती तुझसे जो मिला,
जब उस दुलार की बातें होंगी,
तेरी अप्रतिम छ्टा, सौन्दर्य ,
और अद्भुत शान की बातें होंगी ।
२
तेरी घाटियों के घुमाव,
निर्मल नदियों के बहाव,
सुन्दर वादियों, पगडंडियों की,
चढ़ाई , ढलान की बातें होंगी।
३
तेरे खेत, बाग, वन,घाटियाँ,
ताल , नदियाँ, वादियाँ
सभी दिलकश नजारों की,
प्रकृति के वरदान की बातें होगी ।
४
गर्मी की बेइंतहा तपस,
तपायेगी तुझसे बिछडों को,
शान्त वादियों की छाँव ,
खुले आसमान की बातें होंगी ।
५
याद आयेंगे वीर बाँके जवाँ,
जो तेरी गोद में खेले,पले
वतन पर हुए शहीदों के जब ,
शौर्य, बलिदान की बातें होंगी।
६
तेरे लोगों की सादगी ,प्यार,
सुख, दुख में होना भागीदार,
याद बहुत आयेंगे कहीं, जब
रहम दिल इंसान की बातें होगी ।
७
तमाशे त्योहार ,रेले ,मेले,
लोक नृत्यों व गीतों की कशिश,
मन में उठेगी कसक, जब
मधुर संगीत व तान की बातें होंगी।
८
खनकती घन्टियाँ मंदिर की ,
दूर से आई मस्जिद की अजान ,
कानों में गूंजेगी देरतक, जब
’ओंम’, राम, कुरान की बातें होंगी।
Thursday, December 9, 2010
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