ओंम प्रकाश नौटियाल
मुन्नी
अबला गरीब मुन्नी तो बदनाम हो गई,
भर दुपहरी में ही उसकी शाम हो गई,
बेच रहे देश को उन्हें सब कुछ माफ़ हैं,
रुतबा है धाक है,और दामन भी साफ़ है।
’विक्की’ बाबू
’विक्की’ बाबू ने की, घर की सब बातें लीक,
मित्रवत जो लगते ,था उनका चलन न ठीक,
मगरमच्छ के आँसू लेकर गम में हुए शरीक,
बाम लगाते रहे दर्द पर,बनकर जनाब शरीफ़,
दगाबाजों की पोल खोल ,गुम की सिट्टि पिट्टी,
बेनकाब कर दिए चेहरे, वाह रे बाबू ’विक्की’।
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