Saturday, April 18, 2015
Saturday, April 11, 2015
Wednesday, April 8, 2015
Tuesday, April 7, 2015
एक और गौतम बुद्ध
-ओंम प्रकाश नौटियाल
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
Tuesday, March 31, 2015
Wednesday, March 25, 2015
Monday, March 23, 2015
Saturday, March 21, 2015
Friday, March 20, 2015
नकल के लिए कानून बने!!!
हाल ही में टी वी चैनल्स द्वारा विद्यार्थियों के परीक्षा में नकल किए जाने के विषय में प्रसारित एक विडीयो समाचार देख कर इस बात की खुशी हुई कि बदलते युग में अब नकल भी साधिकार बड़े सुचारू और व्यवस्थित ढंग से की जाने लगी है । इसमें न केवल आधुनिक तकनीक का खुलकर प्रयोग हो रहा है बल्कि अब इसमें समाज के सभी महत्वपूर्ण अंगो ( विद्यार्थी, शिक्षक , पुलिस , माता पिता , मित्र संबंधी आदि ) की सक्रीय भागेदारी भी है । सभी छात्रों को देश निर्माण में बराबर का अवसर देने के लिए समाज के सभी तबके के लोग आगे आ रहे हैं और विद्यार्थी जीवन के परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण पडाव को केवल अपरिपक्व उम्र के बच्चों के भरोसे न छोड़कर विद्यार्थीयों की परीक्षा में अपनी भूमिका गंभीरता से तय कर रहे हैं और निभा रहे हैं ।
हम सबका भी यह कर्तव्य हो जाता ह कि इस विषय में सभी कानूनी अड़चने दूर करने और आवश्यक संशोधन के लिए सरकार से माँग करें ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल (20/3/2015)
हम सबका भी यह कर्तव्य हो जाता ह कि इस विषय में सभी कानूनी अड़चने दूर करने और आवश्यक संशोधन के लिए सरकार से माँग करें ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल (20/3/2015)
Wednesday, March 18, 2015
Monday, March 16, 2015
Saturday, March 14, 2015
विवाह का गणित
14 मार्च 2015 के समाचार पत्रों में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार कानपुर के एक देहात में लडकी वालों ने एक बारात को इसलिए बैरंग लौटा दिया क्योंकि फेरों से ठीक पहले लड़की को यह शक हो गया था कि लड़का निपट अनपढ़ है । इस बात की तुरंत जाँच का काम उसने अपनी बहनो को सौंप दिया । लड़की की बहनों ने मंडप में जाकर सीधे लडके से प्रश्न किया कि पंद्रह और छः का जोड़ कितना होता है । लड़के ने उत्तर दिया "सत्रह " , जिसे सुनते ही कन्या ने अनपढ के साथ फेरे लेने से साफ मना कर दिया । वर पक्ष के रिश्तेदारों के बहुत समझाने पर भी कन्या व उसके पिता अपने निर्णय पर अडिग रहे और अनपढ लडके के साथ शादी करने के लिए बिल्कुल राजी नहीं हुए , नतीजतन बारात को बिना शादी संपन्न हुए बगैर दुल्हन के लौटना पडा ।
"संभावित दुल्हों करो , अपना घर आबाद
सही जोड़ है इक्कीस , हो फेरों तक याद "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
"संभावित दुल्हों करो , अपना घर आबाद
सही जोड़ है इक्कीस , हो फेरों तक याद "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, March 10, 2015
Friday, March 6, 2015
Thursday, March 5, 2015
Wednesday, March 4, 2015
Saturday, February 28, 2015
Friday, February 20, 2015
महत्वपूर्ण सावधानियाँ - कुर्सी के संबंध में
जब भी आप कुछ देर के लिए कुर्सी छोड कर या अस्थायी तौर पर किसी अन्य को सौंप कर कहीं जाते हैं तो उस पर अपना नाम कढा हुआ रुमाल अवश्य रख दीजिए ताकि कुर्सी पर आपका अधिकार सुरक्षित रहे ।
भावावेश में आकर या ईमानदारी के जूनून में बहकर कुर्सी छोडने की भूल कभी न करें । लोग आपके इस कृत्य का न केवल अतिशय दुष्प्रचार करेंगे बल्कि आपको भगौडा जैसे विशेषणों से सुसज्जित कर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपका यह कार्य अन्य किसी के कुर्सी प्रेम को तिरस्कृत करने के लिए उदाहरण न बन सके ।
कुर्सी आपको जीवन रूपी मंझधार से पार लगाने का अचूक वाहन है । इसके खेवनहार स्वयं बनिए और इसके लिए किसी अन्य माँझी पर भूल कर भी भरोसा मत की कीजिए ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
भावावेश में आकर या ईमानदारी के जूनून में बहकर कुर्सी छोडने की भूल कभी न करें । लोग आपके इस कृत्य का न केवल अतिशय दुष्प्रचार करेंगे बल्कि आपको भगौडा जैसे विशेषणों से सुसज्जित कर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपका यह कार्य अन्य किसी के कुर्सी प्रेम को तिरस्कृत करने के लिए उदाहरण न बन सके ।
कुर्सी आपको जीवन रूपी मंझधार से पार लगाने का अचूक वाहन है । इसके खेवनहार स्वयं बनिए और इसके लिए किसी अन्य माँझी पर भूल कर भी भरोसा मत की कीजिए ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
Wednesday, February 11, 2015
Sunday, February 8, 2015
मोदी जी मेरे सपने में
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आज सुबह के वक्त स्वप्न में प्रधान मंत्री मोदी जी से मुलाकात हो गई । मोदी जी ने भी मानों मुझे एकदम पहचान लिया और देखते ही बोले , "ओंम भाई केम छो ? वडोदरा मे सब कुछ ठीक है न? " मैंने अभिवादन के साथ उनसे बातचीत प्रारंभ की और एक प्रश्न , जो पिछले कई दिनों से मन को बेचैन कर रहा था , उनके सामने रख दिया । मैंने कहा , "प्रधान मंत्री जी यह अमरीकी राष्ट्रपति हमारे आंतरिक मामलों में क्यों दखलअंदाजी करते हैं ? भारत छोडने से पहले भी उन्होंने भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की जुर्रत की थी , अब फिर एक बयान में उन्होंने भारत को इस मसले पर नसीहत दे डाली है । आपको नहीं लगता अमेरिका सारी हदें पार कर रहा है ?"
मोदी जी ने तुरंत हँसकर उत्तर दिया , " अरे नहीं ओंम भाई , मेरा और बराक का मजाक तो चलता रहता है , अब तुमसे क्या छुपाना , उस दिन भारत में चाय पर हुई आपसी बातचीत में मैंने भी उन्हें छेड़ दिया था कि अमेरिका में काले लोगों पर ज्यादती होने के समाचार क्यों आते रहते हैं ?" मजाक की बात थी , बराक ने भी मजाक में जवाब दिया -अरे मैं भी तो काला हूं कभी कभी मुझ पर भी होती है तुम्हारी भाभी की तरफ़ से । हा हा हा - तो हमारा ऐसा हंसी मजाक बिल्कुल नई बात नहीं है । कई दिन हो गए हैं उन्हें भारत से गए हुए । मुझसे फिर मसख्ररी करने का मन हुआ होगा , तो यह मजाक शुरु कर दिया । अब बराक की बातें क्या बताऊं , बडा ही मजाकिया स्वभाव पाया है ।" और तभी पत्नी की "चाय लीजिए " की आवाज के साथ आँख खुल गई ।
यह चाय भी अजीब चीज है किसी के तो प्रधान मंत्री बनने के सपने तक पूरे कर देती है और किसी के प्रधान मंत्री से हो रही बातचीत तक के सपने तोड़ देती है ।
ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा , मोबा.9427345810
आज सुबह के वक्त स्वप्न में प्रधान मंत्री मोदी जी से मुलाकात हो गई । मोदी जी ने भी मानों मुझे एकदम पहचान लिया और देखते ही बोले , "ओंम भाई केम छो ? वडोदरा मे सब कुछ ठीक है न? " मैंने अभिवादन के साथ उनसे बातचीत प्रारंभ की और एक प्रश्न , जो पिछले कई दिनों से मन को बेचैन कर रहा था , उनके सामने रख दिया । मैंने कहा , "प्रधान मंत्री जी यह अमरीकी राष्ट्रपति हमारे आंतरिक मामलों में क्यों दखलअंदाजी करते हैं ? भारत छोडने से पहले भी उन्होंने भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की जुर्रत की थी , अब फिर एक बयान में उन्होंने भारत को इस मसले पर नसीहत दे डाली है । आपको नहीं लगता अमेरिका सारी हदें पार कर रहा है ?"
मोदी जी ने तुरंत हँसकर उत्तर दिया , " अरे नहीं ओंम भाई , मेरा और बराक का मजाक तो चलता रहता है , अब तुमसे क्या छुपाना , उस दिन भारत में चाय पर हुई आपसी बातचीत में मैंने भी उन्हें छेड़ दिया था कि अमेरिका में काले लोगों पर ज्यादती होने के समाचार क्यों आते रहते हैं ?" मजाक की बात थी , बराक ने भी मजाक में जवाब दिया -अरे मैं भी तो काला हूं कभी कभी मुझ पर भी होती है तुम्हारी भाभी की तरफ़ से । हा हा हा - तो हमारा ऐसा हंसी मजाक बिल्कुल नई बात नहीं है । कई दिन हो गए हैं उन्हें भारत से गए हुए । मुझसे फिर मसख्ररी करने का मन हुआ होगा , तो यह मजाक शुरु कर दिया । अब बराक की बातें क्या बताऊं , बडा ही मजाकिया स्वभाव पाया है ।" और तभी पत्नी की "चाय लीजिए " की आवाज के साथ आँख खुल गई ।
यह चाय भी अजीब चीज है किसी के तो प्रधान मंत्री बनने के सपने तक पूरे कर देती है और किसी के प्रधान मंत्री से हो रही बातचीत तक के सपने तोड़ देती है ।
ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा , मोबा.9427345810
Friday, February 6, 2015
Friday, January 30, 2015
Thursday, January 29, 2015
Saturday, January 24, 2015
Tuesday, January 20, 2015
Sunday, January 18, 2015
Thursday, January 8, 2015
Tuesday, January 6, 2015
Monday, January 5, 2015
Thursday, January 1, 2015
Wednesday, December 31, 2014
Sunday, December 21, 2014
Friday, December 19, 2014
अहम रोकता है
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, December 17, 2014
Monday, December 15, 2014
भाग्य
ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर भला किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर भला किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, December 12, 2014
Thursday, December 11, 2014
Thursday, December 4, 2014
Wednesday, December 3, 2014
प्रेम
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों पर मेरे झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में हौले हौले रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों पर मेरे झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में हौले हौले रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 29, 2014
Thursday, November 27, 2014
Tuesday, November 25, 2014
जीवन
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रात दिवस का चक्र, जीना तमाशा हो गया,
धूप कभी खिलती , कभी चौमासा हो गया,
जिन्दगी की राथों में, सुख दुख दोनों मिले
मन खुशी से तोला ,गम से माशा हो गया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रात दिवस का चक्र, जीना तमाशा हो गया,
धूप कभी खिलती , कभी चौमासा हो गया,
जिन्दगी की राथों में, सुख दुख दोनों मिले
मन खुशी से तोला ,गम से माशा हो गया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 22, 2014
Friday, November 21, 2014
Tuesday, November 18, 2014
Tuesday, November 11, 2014
क्या करें ?
ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रश्न यही गूंजता है क्या करें,
काम नहीं सूझता है क्या करें,
राम भरोसे भला कब तक रहें
आज युवा पूछता है क्या करें !
--ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रश्न यही गूंजता है क्या करें,
काम नहीं सूझता है क्या करें,
राम भरोसे भला कब तक रहें
आज युवा पूछता है क्या करें !
--ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, November 9, 2014
गंगा कैसे सा्फ़ हो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा कैसे सा्फ़ हो , रहता प्रश्न कचोट,
इसे मलिन ही हम करें , श्रद्धा में है खोट,
श्रद्धा में है खोट , दूर किस तरह हो रोग
कल कीचड़, मल, मैल, मिलाते हर क्षण लोग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा कैसे सा्फ़ हो , रहता प्रश्न कचोट,
इसे मलिन ही हम करें , श्रद्धा में है खोट,
श्रद्धा में है खोट , दूर किस तरह हो रोग
कल कीचड़, मल, मैल, मिलाते हर क्षण लोग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 8, 2014
Monday, November 3, 2014
Sunday, November 2, 2014
Saturday, November 1, 2014
Monday, October 27, 2014
Friday, October 24, 2014
Wednesday, October 22, 2014
Monday, October 13, 2014
Friday, October 10, 2014
कैलाश सत्यार्थी जी को नोबल शान्ति पुरस्कार जीतने पर हार्दिक बधाई ! नोबल से पहले 11 विदेशी पुरस्कार भारत में पद्मश्री भी नहीं !!!
-
हममें से अधिकतर लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी का नाम शायद पाकिस्तान में जन्मी सामाजिक कार्यकर्ता 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के साथ उन्हें संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का नोबल शान्ति पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद (कल 09.10.2014 को ) सुना होगा । मदर टैरेसा के बाद नोबल शान्ति पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं ।
कैलाश सत्यार्थी जी का जन्म विदिशा , मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 1954 को हुआ था । कैलाश जी आजकल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं । 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़ दिया और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करना शुरु कर दिया । गाँधीवादी परम्परा के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ संस्था की स्थापना की और वह इसके अध्यक्ष हैं । इनकी संस्था मे लगभग एक लाख स्वयंसेवक है और यह संस्था अब तक लगभग इतने ही असहाय , निराश्रित बच्चों की जिंदगी को बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर तथा उनकी शिक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था कर उसमें सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर चुकी है । लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से कैलाश जी बाल मजदूरी के विरुद्ध और बाल शिक्षा के लिए संघर्षरत हैं और वह अपने आंदोलन को सबके लिए शिक्षा से जोडकर यूनैस्को द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान से भी जुड़ हुए हैं। उन्होंने बाल श्रम और बाल शिक्षा के लिए देश विदेश में बने कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । वह बच्चों के लिए कार्यरत अनेकों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं जिनमें इंटरनैशनल सेंटर ऑन चाइल्ड लेबर ऐंड एजुकेशन व ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रमुख हैं ।
सत्यार्थी जी के विषय में विदेशों में बहुत से टीवी शो ,डाक्यूमैन्टरी आदि दिखाई जाती रही है । उनको विदेशों में अब तक ललगभग 11 पुरस्कार मिल चुके हैं किंतु विड़म्बना यह है कि भारत में उन्हे अब तक पद्मश्री भी नही मिली है। हमारे देश में पद्म पुरस्कारों को केवल सांसद प्रस्तावित कर सकते है । राजनीति से दूर रहने वाले , सच्चे और समर्पित समाज सेवक , स्वाभिमानी सत्यार्थी जी में इसीलिए राजनीतिज्ञों को शायद कोई पुरस्कार से नवाजने योग्य बात दिखाई ही नही दी ।
जिस व्यक्ति को 11 मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही हो उसे किसी भारतीय पुरस्कार के मिलने की फिर भी संभावना है पर खेद की बात है कि जिस सत्यार्थी को 11 देशों ने पुरस्कृत किया हो उसका अब तक भारतीय पुरस्कार सूचि में कहीं नाम नहीं ।
स्वार्थ की राजनीति के ’हुदहुद’ में सत्यार्थी जी के नोबल पुरस्कार जीतने का समाचार ताजा बयार की तरह है । सत्यार्थी जी , उनके परिवार और समस्त देशवासियॊ को उनकी इस बेजोड़ उपलब्धि पर हार्दिक बधाई । हमें गर्व है आप पर ! आप सच्चे "भारत रत्न" हैं !!
जय भारत ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा ,गुजरात ,मोबा. 9427345810
हममें से अधिकतर लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी का नाम शायद पाकिस्तान में जन्मी सामाजिक कार्यकर्ता 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के साथ उन्हें संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का नोबल शान्ति पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद (कल 09.10.2014 को ) सुना होगा । मदर टैरेसा के बाद नोबल शान्ति पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं ।
कैलाश सत्यार्थी जी का जन्म विदिशा , मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 1954 को हुआ था । कैलाश जी आजकल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं । 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़ दिया और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करना शुरु कर दिया । गाँधीवादी परम्परा के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ संस्था की स्थापना की और वह इसके अध्यक्ष हैं । इनकी संस्था मे लगभग एक लाख स्वयंसेवक है और यह संस्था अब तक लगभग इतने ही असहाय , निराश्रित बच्चों की जिंदगी को बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर तथा उनकी शिक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था कर उसमें सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर चुकी है । लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से कैलाश जी बाल मजदूरी के विरुद्ध और बाल शिक्षा के लिए संघर्षरत हैं और वह अपने आंदोलन को सबके लिए शिक्षा से जोडकर यूनैस्को द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान से भी जुड़ हुए हैं। उन्होंने बाल श्रम और बाल शिक्षा के लिए देश विदेश में बने कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । वह बच्चों के लिए कार्यरत अनेकों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं जिनमें इंटरनैशनल सेंटर ऑन चाइल्ड लेबर ऐंड एजुकेशन व ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रमुख हैं ।
सत्यार्थी जी के विषय में विदेशों में बहुत से टीवी शो ,डाक्यूमैन्टरी आदि दिखाई जाती रही है । उनको विदेशों में अब तक ललगभग 11 पुरस्कार मिल चुके हैं किंतु विड़म्बना यह है कि भारत में उन्हे अब तक पद्मश्री भी नही मिली है। हमारे देश में पद्म पुरस्कारों को केवल सांसद प्रस्तावित कर सकते है । राजनीति से दूर रहने वाले , सच्चे और समर्पित समाज सेवक , स्वाभिमानी सत्यार्थी जी में इसीलिए राजनीतिज्ञों को शायद कोई पुरस्कार से नवाजने योग्य बात दिखाई ही नही दी ।
जिस व्यक्ति को 11 मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही हो उसे किसी भारतीय पुरस्कार के मिलने की फिर भी संभावना है पर खेद की बात है कि जिस सत्यार्थी को 11 देशों ने पुरस्कृत किया हो उसका अब तक भारतीय पुरस्कार सूचि में कहीं नाम नहीं ।
स्वार्थ की राजनीति के ’हुदहुद’ में सत्यार्थी जी के नोबल पुरस्कार जीतने का समाचार ताजा बयार की तरह है । सत्यार्थी जी , उनके परिवार और समस्त देशवासियॊ को उनकी इस बेजोड़ उपलब्धि पर हार्दिक बधाई । हमें गर्व है आप पर ! आप सच्चे "भारत रत्न" हैं !!
जय भारत ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा ,गुजरात ,मोबा. 9427345810
Wednesday, October 8, 2014
Tuesday, October 7, 2014
फर्ज की पुकार
ओंम प्रकाश नौ्टियाल
फर्ज की यही पुकार है चले आइये,
हो रहा अत्याचार है चले आइये,
जो खड़ी है मुल्क की एकता के मध्य
गिरानी वह दीवार है चले आइये !!
-ओंम प्रकाश नौ्टियाल
फर्ज की यही पुकार है चले आइये,
हो रहा अत्याचार है चले आइये,
जो खड़ी है मुल्क की एकता के मध्य
गिरानी वह दीवार है चले आइये !!
-ओंम प्रकाश नौ्टियाल
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