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हममें से अधिकतर लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी का नाम शायद पाकिस्तान में जन्मी सामाजिक कार्यकर्ता 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के साथ उन्हें संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का नोबल शान्ति पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद (कल 09.10.2014 को ) सुना होगा । मदर टैरेसा के बाद नोबल शान्ति पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं ।
कैलाश सत्यार्थी जी का जन्म विदिशा , मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 1954 को हुआ था । कैलाश जी आजकल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं । 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़ दिया और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करना शुरु कर दिया । गाँधीवादी परम्परा के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ संस्था की स्थापना की और वह इसके अध्यक्ष हैं । इनकी संस्था मे लगभग एक लाख स्वयंसेवक है और यह संस्था अब तक लगभग इतने ही असहाय , निराश्रित बच्चों की जिंदगी को बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर तथा उनकी शिक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था कर उसमें सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर चुकी है । लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से कैलाश जी बाल मजदूरी के विरुद्ध और बाल शिक्षा के लिए संघर्षरत हैं और वह अपने आंदोलन को सबके लिए शिक्षा से जोडकर यूनैस्को द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान से भी जुड़ हुए हैं। उन्होंने बाल श्रम और बाल शिक्षा के लिए देश विदेश में बने कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । वह बच्चों के लिए कार्यरत अनेकों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं जिनमें इंटरनैशनल सेंटर ऑन चाइल्ड लेबर ऐंड एजुकेशन व ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रमुख हैं ।
सत्यार्थी जी के विषय में विदेशों में बहुत से टीवी शो ,डाक्यूमैन्टरी आदि दिखाई जाती रही है । उनको विदेशों में अब तक ललगभग 11 पुरस्कार मिल चुके हैं किंतु विड़म्बना यह है कि भारत में उन्हे अब तक पद्मश्री भी नही मिली है। हमारे देश में पद्म पुरस्कारों को केवल सांसद प्रस्तावित कर सकते है । राजनीति से दूर रहने वाले , सच्चे और समर्पित समाज सेवक , स्वाभिमानी सत्यार्थी जी में इसीलिए राजनीतिज्ञों को शायद कोई पुरस्कार से नवाजने योग्य बात दिखाई ही नही दी ।
जिस व्यक्ति को 11 मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही हो उसे किसी भारतीय पुरस्कार के मिलने की फिर भी संभावना है पर खेद की बात है कि जिस सत्यार्थी को 11 देशों ने पुरस्कृत किया हो उसका अब तक भारतीय पुरस्कार सूचि में कहीं नाम नहीं ।
स्वार्थ की राजनीति के ’हुदहुद’ में सत्यार्थी जी के नोबल पुरस्कार जीतने का समाचार ताजा बयार की तरह है । सत्यार्थी जी , उनके परिवार और समस्त देशवासियॊ को उनकी इस बेजोड़ उपलब्धि पर हार्दिक बधाई । हमें गर्व है आप पर ! आप सच्चे "भारत रत्न" हैं !!
जय भारत ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा ,गुजरात ,मोबा. 9427345810
हममें से अधिकतर लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी का नाम शायद पाकिस्तान में जन्मी सामाजिक कार्यकर्ता 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के साथ उन्हें संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का नोबल शान्ति पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद (कल 09.10.2014 को ) सुना होगा । मदर टैरेसा के बाद नोबल शान्ति पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं ।
कैलाश सत्यार्थी जी का जन्म विदिशा , मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 1954 को हुआ था । कैलाश जी आजकल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं । 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़ दिया और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करना शुरु कर दिया । गाँधीवादी परम्परा के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ संस्था की स्थापना की और वह इसके अध्यक्ष हैं । इनकी संस्था मे लगभग एक लाख स्वयंसेवक है और यह संस्था अब तक लगभग इतने ही असहाय , निराश्रित बच्चों की जिंदगी को बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर तथा उनकी शिक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था कर उसमें सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर चुकी है । लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से कैलाश जी बाल मजदूरी के विरुद्ध और बाल शिक्षा के लिए संघर्षरत हैं और वह अपने आंदोलन को सबके लिए शिक्षा से जोडकर यूनैस्को द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान से भी जुड़ हुए हैं। उन्होंने बाल श्रम और बाल शिक्षा के लिए देश विदेश में बने कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । वह बच्चों के लिए कार्यरत अनेकों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं जिनमें इंटरनैशनल सेंटर ऑन चाइल्ड लेबर ऐंड एजुकेशन व ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रमुख हैं ।
सत्यार्थी जी के विषय में विदेशों में बहुत से टीवी शो ,डाक्यूमैन्टरी आदि दिखाई जाती रही है । उनको विदेशों में अब तक ललगभग 11 पुरस्कार मिल चुके हैं किंतु विड़म्बना यह है कि भारत में उन्हे अब तक पद्मश्री भी नही मिली है। हमारे देश में पद्म पुरस्कारों को केवल सांसद प्रस्तावित कर सकते है । राजनीति से दूर रहने वाले , सच्चे और समर्पित समाज सेवक , स्वाभिमानी सत्यार्थी जी में इसीलिए राजनीतिज्ञों को शायद कोई पुरस्कार से नवाजने योग्य बात दिखाई ही नही दी ।
जिस व्यक्ति को 11 मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही हो उसे किसी भारतीय पुरस्कार के मिलने की फिर भी संभावना है पर खेद की बात है कि जिस सत्यार्थी को 11 देशों ने पुरस्कृत किया हो उसका अब तक भारतीय पुरस्कार सूचि में कहीं नाम नहीं ।
स्वार्थ की राजनीति के ’हुदहुद’ में सत्यार्थी जी के नोबल पुरस्कार जीतने का समाचार ताजा बयार की तरह है । सत्यार्थी जी , उनके परिवार और समस्त देशवासियॊ को उनकी इस बेजोड़ उपलब्धि पर हार्दिक बधाई । हमें गर्व है आप पर ! आप सच्चे "भारत रत्न" हैं !!
जय भारत ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा ,गुजरात ,मोबा. 9427345810
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