Tuesday, November 25, 2014

जीवन

-ओंम प्रकाश नौटियाल
रात दिवस का चक्र, जीना तमाशा हो गया,
धूप कभी  खिलती , कभी चौमासा हो गया,
जिन्दगी की राथों में, सुख दुख दोनों मिले
मन खुशी से तोला ,गम से माशा हो गया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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