Sunday, November 9, 2014

गंगा कैसे सा्फ़ हो

-ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा कैसे  सा्फ़ हो , रहता प्रश्न कचोट,
इसे मलिन ही हम करें , श्रद्धा में है खोट,
श्रद्धा में है  खोट , दूर किस तरह हो रोग
कल कीचड़, मल, मैल, मिलाते हर क्षण लोग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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