-ओंम प्रकाश नौटियाल
बडा आम सा लगे बेचारा आम आदमी,
बेखबर ज्यों अंजाम से हो आम आदमी।
रोटी की चिंता में यहाँ वहाँ फिरे मारा,
बेदाम सा बिक जाता है आम आदमी।
बडे बडे लोग तो कितने नाम वाले हैं,
’अनाम’ सा घूमे बेचारा आम आदमी।
हर तरफ़ से उसको दुत्कार ही मिले,
’हाय राम’ सा है बेचारा आम आदमी।
काम की तलाश के बस काम में जुटा,
कहने को बेकाम सा है आम आदमी ।
चेहरों पर उनके काले धन की चमक है,
दोपहर में पर शाम सा है आम आदमी।
सारे फलों का यूं तो है ’आम’ बादशाह,
पर ’आम’ से मजाक सा है आम आदमी।
अखबारों मे उसकी चर्चा है कभी कभी,
पर कार्टून में काम का है आम आदमी।
’ओंम’ कुछ कहें वह किसी काम का नही,
चुनाव में पर शान सा है आम आदमी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ओंम प्रकाश नौटियाल जी!
ReplyDeleteआम आदमी पर आपकी चिंता जायज है।
==========================
जापान में रेडियेशन की बरसात है।
यहाँ भ्रष्टाचार की बारात है।।
जापानी आत्माघाती दस्ते,
रेडियेशन से निपटने के लिए
आगे बढ़ रहे हैं।
हम भ्रष्टाचार से
निपटने के लिए
अपने दोष
दूसरों पर मढ़ रहे है॥
========================
प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा॥
========================
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
डा. लखनवी जी , मेरी कवितायें पढ़ने और अपने विचार प्रकट करने के लिये आपका हृदय से आभार ।
ReplyDelete