Saturday, March 26, 2011

बाल सुलभ चिंता

ओंम प्रकाश नौटियाल


’मोहन’ बोले ’लालकृष्ण’ से, यह तथ्य करो स्वीकार,
पी एम पद पर नहीं, किसी का जन्म सिद्ध अधिकार।

सुनकर बात ’अविवाहित बालक’ मन मन में घबराया,
तीर ’लाल’ की आड ले,कहीं मुझ पर तो नहीं चलाया।

मैने ही जननी से कह इनको इस पद पर बिठलाया ,
बस में सीट सुरक्षित करने हेतु,ज्यों रुमाल रखवाया।

चली आई जो वंश रीत, अब मैं गद्दी लेने को तैय्यार,
क्यों बोले ’मोहन’ नहीं गद्दी पर जन्म सिद्ध अधिकार?

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