Friday, March 18, 2011

हा हा हा होली है

-ओंम प्रकाश नौटियाल



जमाना आज ब्लाग का है,
स्लम और स्लमडाग का है,
नोट वोट का ऐसा रिश्ता,
जैसे चीन पाक का है,
स्वार्थ के रिश्ते बने
दामन और चोली है
हा हा हा होली है।

चाँद रोज बदलता है,
फ़िजा में भी बदलाव है,
मुम्बई हमले के अब तक
हरे सारे घाव हैं,
खुश है हर हाल में पर
जनता बडी भोली है,
हा हा हा होली है।

कितने घोटाले हुए
हुई जाने कितनी जाँच,
साक्ष्य बडे पुख्ता थे,
पर ’उन’ पर न आई आँच,
उनके नये ’आदर्श धाम’ ,
अपनी वही खोली है,
हा हा हा होली है ।

पदक की खातिर ,
खिलाडी स्वेद बहाते रहे,
खेल से न जिनका रिश्ता
बढते उनके खाते रहे,
खिलाडियों ने भर दी,
पदकों से झोली है,
हा हा हा होली है ।

चलाते जो देश वह,
दूरदर्शी लोग होते हैं,
अपनी पीढ़ीयों के लिये,
अपार धन संजोते हैं,
जनता खोयी सी मानों
अलसायों की टोली है,
हा हा हा होली है ।

उंचे उंचे पद पर जो
बड़े उनके घोटाले हैं,
पंगु प्रहरी देखें पर,
उनके मुंह लगे ताले हैं,
भ्रष्टाचारीयों और पुलिस में
रिश्ता बडा ’होली’ है,
हा हा हा होली है ।

2 comments:

  1. प्रशंसनीय लेखन के लिए बधाई।
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    देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
    अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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    होली मुबारक़ हो।
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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  2. डा. लखनवी जी एवं चैतन्य जी -आभार ।

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