-ओंम प्रकाश नौटियाल
श्वेतपोश नेताओं को भली प्रकार यह ज्ञात,
कोयले की करो दलाली तो काले होते हाथ ।
धन काला छूने से तभी वह परहेज फ़रमाते,
दाता से कहकर सीधे खातों में जमा कराते ।
इसी वास्ते काले धन पर अपने शासक मौन,
काले धन को लाने में काले हाथ करेगा कौन?
रंग निखारने के लिए वह शीत देशों मे जाते,
श्वेत श्याम धन करने हेतु वहाँ खोलते खाते।
श्वेत श्याम धन समझो, जैसे अनुलोम विलोम,
स्वस्थ,प्रसन्न हो तन,मन भजता हरि ’ओंम’।
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