-ओंम प्रकाश नौटियाल
मन प्रसन्न
अब आया वसंत
शीत का अंत
धरती प्यारी
पीले पुष्पों का हार
स्वर्ण श्रंगार
छोटे से दिन
वसंत के आने से
हुए सयाने
फूलों की गंध
हवा में मंद मंद
वाह वसंत
ऋतु वसंत
पतझड का अंत
शान्त पवन
हे ऋतुराज
कोयल गाये गीत
तुमसे प्रीत
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