Saturday, February 12, 2011

मायावी जूते

ओंम प्रकाश नौटियाल



जूते में आपके जब कभी रजकण को देखा है,
यकीं मानों नजारा यह दुखते मन से देखा है,
तत्क्षण उन्हे दमका,चेहरा उस दर्पण में देखा है,
उज्जवल है भविष्य अपना, समर्पण में देखा है,
पुलिस वालों से ज्यादा, न ’माया’ जाल समझोगे
’माया’ से मिले ’माया’, लिखा कण कण में देखा है।

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