Tuesday, November 19, 2019
जहर जहर को मारता है !!
चुनाव से ठीक पहले हवा पानी दोनों इस कदर जहरीले हो जाते हैं कि नेताओं को बेचारी जनता के स्वास्थ्य की चिंता पागल करने लगती है । विषाक्त वाणी बाणों के आदान प्रदान से हवा पानी में घुला जहर और उग्र रूप ले लेता है, नेताओं को हर पल यही डर सताने लगता है कि इतना विषैला पानी पी रहे लोग, पता नहीं, मतदान तक जीवित रहेंगे भी या नहीं । किंतु शुक्र है चुनाव के बाद सब कुछ, बिना कुछ किये, अगले चुनाव तक के लिये ठीक हो जाता है । अकसर तो एक दूसरे के विरूद्ध गरल उगलकर हवा पानी विषाक्त करने वाले नेता लोग, विष प्रभावहीन करने के लिये अपने विष को उनके विष से मिलाते हैं ,और आपसी गठजोड़ से सरकार बनाकर जल वायु समेत सभी दोष ठीक कर देते हैं ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, November 11, 2019
डेंगू पर नयी शोध
डेंगू ऐसी खतरनाक समदर्शी बिमारी है जो अमीर गरीब में अंतर किये बिना सभी को अपनी चपेट में ले सकती है । अभी तक लोग सिर्फ एडिज मच्छर को ही इसके लिये दोष देते रहे हैं किंतु प्राप्त समाचारों के अनुसार मैड्रिड में स्पेन के स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गयी खोज के अनुसार डेंगू से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी डेंगू हो सकता है ।यह खोज बेचारे डेंगू पीडितों पर दोहरी मार की तरह होगी - एक तो खतरनाक बिमारी से जूझना और फिर मच्छर द्वारा दिये गये चरित्र प्रमाण पत्र को लोगों का संदेह की द्दष्टि से देखना ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, November 10, 2019
मँहगाइ का नायक
गगन छू रहे भाव में , प्याज और विधायक
चुनना अति कठिन इनमें, मँहगाइ का नायक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
चुनना अति कठिन इनमें, मँहगाइ का नायक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, November 8, 2019
लघुकथा -बेरोजगारी
"पाँय लागूं ताऊ, कैसा है ?"
"ठीक हूँ बेटा , तू सुना , आजकल तो यहीं दिक्खे तू , पहले तो कई कई दिनों तक बाहर ही रहे था "
" क्या बताऊँ ताऊ बस यूं समझ ले बेरोजगार हो गया " बिरू ने निराश स्वर में जवाब दिया ।
" क्या हुआ, तू तो कहे था तेरा अपना धंधा है "
"बस ताऊ ,अपने ही धंधे में ठाली हो गये "
" क्यूं क्या हुआ ?’
" अरे ताऊ , हर धंधे में होड़ इतनी बढ़ गयी कि गुजर मुश्किल हो गयी "
"तेरा ऐसा कौन सा धंधा था ?"
"अब तो धंधा बंद सा हो गया तो बताने में हर्ज भी ना है । बस आस पास के शहरों में जाकर बैंक डकैती कर लेंवे थे फिर पुलिस से बचने को कुछ दिन कहीं दूर जा मौज मस्ती करके आ जावें थे.. ।"
"अरे बाप रे, तो अब क्या हो गया " ताऊ की उत्सुकता चरम सीमा पर थी
"अरे ताऊ , अब तो बैंक के अंदर काम करने वाले ही इतनी बड़ी बड़ी ड़कैती मारने लगे कि म्हारे जैसों के हाथ ही कुछ न लगे "
"हाँ बेटा , सुनु तो हूँ खबरों में कि बैंक के कारिन्दे बैंक के पैसे को अपना समझ कर धड़ल्ले से लूटरे ,चल कोई ना, लूट खसोट के धंधों की कमी थोड़े ना, और मिल जांगे "
"बस ताऊ, तेरा अशीष चहिए " कह कर बिरू मंदिर की तरफ़ बढ़ गया
-ओंम प्रकाश नौटियाल
"ठीक हूँ बेटा , तू सुना , आजकल तो यहीं दिक्खे तू , पहले तो कई कई दिनों तक बाहर ही रहे था "
" क्या बताऊँ ताऊ बस यूं समझ ले बेरोजगार हो गया " बिरू ने निराश स्वर में जवाब दिया ।
" क्या हुआ, तू तो कहे था तेरा अपना धंधा है "
"बस ताऊ ,अपने ही धंधे में ठाली हो गये "
" क्यूं क्या हुआ ?’
" अरे ताऊ , हर धंधे में होड़ इतनी बढ़ गयी कि गुजर मुश्किल हो गयी "
"तेरा ऐसा कौन सा धंधा था ?"
"अब तो धंधा बंद सा हो गया तो बताने में हर्ज भी ना है । बस आस पास के शहरों में जाकर बैंक डकैती कर लेंवे थे फिर पुलिस से बचने को कुछ दिन कहीं दूर जा मौज मस्ती करके आ जावें थे.. ।"
"अरे बाप रे, तो अब क्या हो गया " ताऊ की उत्सुकता चरम सीमा पर थी
"अरे ताऊ , अब तो बैंक के अंदर काम करने वाले ही इतनी बड़ी बड़ी ड़कैती मारने लगे कि म्हारे जैसों के हाथ ही कुछ न लगे "
"हाँ बेटा , सुनु तो हूँ खबरों में कि बैंक के कारिन्दे बैंक के पैसे को अपना समझ कर धड़ल्ले से लूटरे ,चल कोई ना, लूट खसोट के धंधों की कमी थोड़े ना, और मिल जांगे "
"बस ताऊ, तेरा अशीष चहिए " कह कर बिरू मंदिर की तरफ़ बढ़ गया
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, November 6, 2019
Tuesday, November 5, 2019
रक्षक
रक्षक हैं कानून के ,खाकी, काला कोट
दोनों मिल जनतंत्र का, गला रहे हैं घोट !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
दोनों मिल जनतंत्र का, गला रहे हैं घोट !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, November 4, 2019
Saturday, October 26, 2019
Thursday, October 17, 2019
Monday, October 7, 2019
Sunday, October 6, 2019
Saturday, October 5, 2019
Tuesday, October 1, 2019
Saturday, September 28, 2019
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !!
आद्य शक्ति माँ पूज्य का, पर्व शुरू नवरात्र
गरबे ही गरबे सजे, खिले खिले सब पात्र
भक्तों का ताँता लगा , मंदिर मठ चौपाल
खैलेय्या तैय्यार हैं , कजरा गजरा डाल !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, September 20, 2019
Wednesday, September 4, 2019
Tuesday, September 3, 2019
Sunday, September 1, 2019
Tuesday, August 27, 2019
Thursday, August 22, 2019
Monday, August 19, 2019
Sunday, August 18, 2019
Monday, August 5, 2019
सौगात !
धारा तीन सौ सत्तर, अब अतीत की बात
आज सोम व्रतवार दिन, धारा बिन बरसात !
-
धारा तीन सौ सत्तर, अब अतीत की बात
आज सोम व्रतवार दिन, पायी यह सौगात !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आज सोम व्रतवार दिन, धारा बिन बरसात !
-
धारा तीन सौ सत्तर, अब अतीत की बात
आज सोम व्रतवार दिन, पायी यह सौगात !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, August 4, 2019
Saturday, August 3, 2019
बाढ़ मगरमच्छ और आँसू -लघुकथा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वड़ोदरा और गुजरात के कई अन्य स्थानों पर परसों सुबह से शाम तक लगातार वर्षा होती रही ।उसके बाद से भी अब तक रुक रुक कर कभी हल्की कभी तेज वर्षा जारी है । वड़ोदरा की स्थानीय टी वी चैनल पर शहर भर में पानी भर जाने के समाचार आ रहे हैं,बाढ़ पीड़ित लोग अत्यंत दयनीय स्थिति में हैं ,जान माल के लिये जद्दोजहद चल रही है । लोगों को प्रशासन की ओर से सुरक्षा निर्देश और आवश्यक चेतावनी लगातार दी जा रही है । दस वर्षीय प्रतीक अपने पापा अम्मा के साथ साँय का समाचार बुलेटिन देख रहा है । बाढ़ की भयावहता के द्दश्य विचलित करने वाले हैं । प्रतीक अपने पापा विनोद से निरंतर प्रश्न कर रहा है । प्रतीक की अम्मा कहने लगी ,"आप टी वी बंद कर दीजिए न, जब मुझ से यह सब नहीं देखा जा रहा है तो फिर प्रतीक तो बच्चा है ।" विनोद ने टी वी बंद कर दिया ।तभी उदास मन से प्रतीक पूछ बैठा ," पापा आप तो कहते थे कि आपने अपने बचपन में देहरादून में अपने गाँव में कई कई दिनों की बरसात देखी है आपका गाँव क्यों नहीं डूबता था?"
" बेटा , तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है । आवासी मकानों और अंधाधुंध निर्माण कार्यों से पानी समा लेने वाली खाली धरती सिकुड गयी है ।कितने ही ताल तालाब सूखा कर पाट दिये गये हैं और उन जमीनों पर अनधिकृत कब्जे हो गये हैं नदियों के किनारे भी नदियों के भीतर तक घुस गये हैं नदी के नाम पर गाद ,रेत से भरी एक लकीर भर है । विकास के नाम पर वृक्ष धड्ड़ले से कट रहे हैं ।जल की निकासी नहीं है ।टूटी फूटी सीवर लाइने चोक रहती हैं ।इन सब कारणों से एक दिन की भारी बारिश में भी भयंकर बाढ़ के हालात हो जाते हैं ।देहरादून हालाकि घाटी में है पर यह सब कारण तो कमोबेश अब वहाँ भी लागू हैं वहाँ भी कुछ समय की वर्षा में ही पानी भर जाता है "
" पापा, मेरा दोस्त है न विनय, जिसके पापा पार्षद हैं ,वह तो कह रहा था कि विश्वामित्री नदी में बाढ़ आने से यह सब होता है "
" बेटा विश्वामित्री तो अब एक मौसमी नदी है नदी क्या है गंदे नाले सी हो गयी है ।जब आजवा जलाशय में पानी खतरे से ऊपर हो जाता है तो प्रशासन जलाशय के गेट खोल देता है यह पानी बरसात के कारण पहले से ही उफन रही विश्वामित्री में बाढ़ ले आता है जिससे जलमग्न वडोदरा के हालात और भी बदतर हो जाते हैं क्योंकि नदी नगर के मध्य से गुजरती है "
"पापा इसका उपाय क्या है?"
" बेटा जिन लोगों से उपाय की अपेक्षा है वही तो ऐसे हालात बनने देने के लिये जिम्मेदार हैं इसीलिये वह बाते बनाकर, कोरे आश्वासन देकर और केवल मगरमच्छी आँसू बहाकर अपने कर्तव्य की इति श्री समझ लेते हैं ।"
" पापा मगरमच्छ तो विश्वामित्री में भी बहुत हैं "
" हाँ बेटा , सैकड़ों मगरमच्छ है विश्वामित्री में । पानी के साथ मगरमच्छ भी सड़कों, घरों में आ जाते हैं ।उनसे नागरिकों की सुरक्षा करना ,उन्हें पकड़ना भी प्रशासन के लिये बड़ी चुनौती है ।"
"पापा , अपने घर से बेघर होने की तकलीफ तो उन्हें भी होती होगी । रोते होगें बेचारे ।"
"हो ,सकता है बेटा ।"
"पापा कहीं ऐसा तो नही कि मगर मच्छों और नेताओं के मिलेजुले मगरमच्छी आँसुओं से बाढ़ का प्रकोप और बढ़ जाता हो ।"
" चल हट, शरारती कहीं का , अब जाओ होम वर्क करो अपना ।"
और प्रतीक के जाते ही विनोद फिर से टी वी पर समाचार देखने लगे ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बड़ौदा, मोबा. 9427345810
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
वड़ोदरा और गुजरात के कई अन्य स्थानों पर परसों सुबह से शाम तक लगातार वर्षा होती रही ।उसके बाद से भी अब तक रुक रुक कर कभी हल्की कभी तेज वर्षा जारी है । वड़ोदरा की स्थानीय टी वी चैनल पर शहर भर में पानी भर जाने के समाचार आ रहे हैं,बाढ़ पीड़ित लोग अत्यंत दयनीय स्थिति में हैं ,जान माल के लिये जद्दोजहद चल रही है । लोगों को प्रशासन की ओर से सुरक्षा निर्देश और आवश्यक चेतावनी लगातार दी जा रही है । दस वर्षीय प्रतीक अपने पापा अम्मा के साथ साँय का समाचार बुलेटिन देख रहा है । बाढ़ की भयावहता के द्दश्य विचलित करने वाले हैं । प्रतीक अपने पापा विनोद से निरंतर प्रश्न कर रहा है । प्रतीक की अम्मा कहने लगी ,"आप टी वी बंद कर दीजिए न, जब मुझ से यह सब नहीं देखा जा रहा है तो फिर प्रतीक तो बच्चा है ।" विनोद ने टी वी बंद कर दिया ।तभी उदास मन से प्रतीक पूछ बैठा ," पापा आप तो कहते थे कि आपने अपने बचपन में देहरादून में अपने गाँव में कई कई दिनों की बरसात देखी है आपका गाँव क्यों नहीं डूबता था?"
" बेटा , तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है । आवासी मकानों और अंधाधुंध निर्माण कार्यों से पानी समा लेने वाली खाली धरती सिकुड गयी है ।कितने ही ताल तालाब सूखा कर पाट दिये गये हैं और उन जमीनों पर अनधिकृत कब्जे हो गये हैं नदियों के किनारे भी नदियों के भीतर तक घुस गये हैं नदी के नाम पर गाद ,रेत से भरी एक लकीर भर है । विकास के नाम पर वृक्ष धड्ड़ले से कट रहे हैं ।जल की निकासी नहीं है ।टूटी फूटी सीवर लाइने चोक रहती हैं ।इन सब कारणों से एक दिन की भारी बारिश में भी भयंकर बाढ़ के हालात हो जाते हैं ।देहरादून हालाकि घाटी में है पर यह सब कारण तो कमोबेश अब वहाँ भी लागू हैं वहाँ भी कुछ समय की वर्षा में ही पानी भर जाता है "
" पापा, मेरा दोस्त है न विनय, जिसके पापा पार्षद हैं ,वह तो कह रहा था कि विश्वामित्री नदी में बाढ़ आने से यह सब होता है "
" बेटा विश्वामित्री तो अब एक मौसमी नदी है नदी क्या है गंदे नाले सी हो गयी है ।जब आजवा जलाशय में पानी खतरे से ऊपर हो जाता है तो प्रशासन जलाशय के गेट खोल देता है यह पानी बरसात के कारण पहले से ही उफन रही विश्वामित्री में बाढ़ ले आता है जिससे जलमग्न वडोदरा के हालात और भी बदतर हो जाते हैं क्योंकि नदी नगर के मध्य से गुजरती है "
"पापा इसका उपाय क्या है?"
" बेटा जिन लोगों से उपाय की अपेक्षा है वही तो ऐसे हालात बनने देने के लिये जिम्मेदार हैं इसीलिये वह बाते बनाकर, कोरे आश्वासन देकर और केवल मगरमच्छी आँसू बहाकर अपने कर्तव्य की इति श्री समझ लेते हैं ।"
" पापा मगरमच्छ तो विश्वामित्री में भी बहुत हैं "
" हाँ बेटा , सैकड़ों मगरमच्छ है विश्वामित्री में । पानी के साथ मगरमच्छ भी सड़कों, घरों में आ जाते हैं ।उनसे नागरिकों की सुरक्षा करना ,उन्हें पकड़ना भी प्रशासन के लिये बड़ी चुनौती है ।"
"पापा , अपने घर से बेघर होने की तकलीफ तो उन्हें भी होती होगी । रोते होगें बेचारे ।"
"हो ,सकता है बेटा ।"
"पापा कहीं ऐसा तो नही कि मगर मच्छों और नेताओं के मिलेजुले मगरमच्छी आँसुओं से बाढ़ का प्रकोप और बढ़ जाता हो ।"
" चल हट, शरारती कहीं का , अब जाओ होम वर्क करो अपना ।"
और प्रतीक के जाते ही विनोद फिर से टी वी पर समाचार देखने लगे ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बड़ौदा, मोबा. 9427345810
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Wednesday, July 31, 2019
Tuesday, July 23, 2019
Sunday, July 21, 2019
Thursday, July 18, 2019
Monday, July 15, 2019
Saturday, July 13, 2019
रिश्ते
रिश्ते थे जो जन्म के, दिया उन्हें बनवास
हवस नेह धोती रही, साक्षी है इतिहास !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हवस नेह धोती रही, साक्षी है इतिहास !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, July 12, 2019
Tuesday, July 9, 2019
Wednesday, July 3, 2019
Tuesday, July 2, 2019
Sunday, June 30, 2019
होमवर्क
लघुकथा -ओंम प्रकाश नौटियाल
संग्राम सिंह जी बरामदे में झूले पर बैठ कर किसी से फोन पर बात कर रहे थे । तभी स्कूल से आकर संजय सीधा कमरे में घुसा और बैग कुर्सी पर पटक कर वापस बरामदे में भरे गले से झल्लाहट और क्रोध भरे स्वर में उनसे बोला :
"पापा आप इतने सालों से राजनीति में हो,आजकल पार्षद हो, कितनी बार विधायक का चुनाव लड़ चुके हो पर आपको न तो इस शहर में न कोई जानता है न कोई आपसे डरता है। "
"अरे क्या हो गया। ऐसा क्यों कह रहा है तू "
"कहूँगा पापा सौ बार कहूँगा । आज होम वर्क न करने पर गणित के टीचर मुझ पर बहुत गुस्सा हुए और मुझे दस मिनट के लिये क्लास में पीछे दीवार की तरफ़ मुंह करके खड़े होने की सजा दी और कहा कल अपने पापा को लेकर आना"
" अच्छा , कौन है वह टीचर ?"
" शर्मा सर हैं । पापा आप सुनो तो सही , जब मैंने उनसे कहा कि मैं पार्षद संग्राम सिंह का बेटा हूँ । वह बहुत व्यस्त रहते हैं ।"
"ठीक कहा बेटे , हर छोटी मोटी बात पर मैं काम धंधा छोड़कर स्कूल भागूँगा क्या?"
संजय रोते हुए बोला ," पापा, पर सर ने कहा ,अच्छा किसी बड़े आदमी का बेटा है जो बेटे के स्कूल नहीं आ सकते ? तो तू ऐसा कर कि पूरे आधा घंटे खड़ा रहना " सारी क्लास इस बात पर हँसने लगी । मेरी बड़ी बेइज्जती हुई ।
"चुप हो जा बेटे, मैं अभी आता हूँ ।" कहकर संग्राम सिंह तेजी से बाहर निकल गये । आधे घन्टे बाद जब वह वापस आये तो उनके हाथ में क्रिकेट का बैट था । संजय देखते ही खुशी से उछल कर बोला ," अरे वाह , पापा, मैं आपको बैट खरीदवाने के लिये कहने की सोच ही रहा था , आपको कैसे पता चला कि मुझे बैट चाहिये, बड़े अच्छे हैं आप "
" पर पापा आपको ब्रैन्ड़ेड लाना चाहिये था आप बाहर से अमित स्पोर्ट्स से लाये होंगे । वह तो घटिया ,सस्ती चीजें रखते हैं ।"
" यह तुम्हारे लिये नहीं है बेटा । मैं इससे भी अच्छा खेल सकता हूँ ।कल तुम्हारे स्कूल जाकर तुम्हारे शर्मा सर से मिलेंगे फिर शहर तो क्या पूरा देश जानेगा कि संग्राम सिंह कौन है ।"
सुनते ही संजय होम वर्क करना छोड़ कर वर्ल्ड़ कप क्रिकेट मैच देखने बैठ गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
संग्राम सिंह जी बरामदे में झूले पर बैठ कर किसी से फोन पर बात कर रहे थे । तभी स्कूल से आकर संजय सीधा कमरे में घुसा और बैग कुर्सी पर पटक कर वापस बरामदे में भरे गले से झल्लाहट और क्रोध भरे स्वर में उनसे बोला :
"पापा आप इतने सालों से राजनीति में हो,आजकल पार्षद हो, कितनी बार विधायक का चुनाव लड़ चुके हो पर आपको न तो इस शहर में न कोई जानता है न कोई आपसे डरता है। "
"अरे क्या हो गया। ऐसा क्यों कह रहा है तू "
"कहूँगा पापा सौ बार कहूँगा । आज होम वर्क न करने पर गणित के टीचर मुझ पर बहुत गुस्सा हुए और मुझे दस मिनट के लिये क्लास में पीछे दीवार की तरफ़ मुंह करके खड़े होने की सजा दी और कहा कल अपने पापा को लेकर आना"
" अच्छा , कौन है वह टीचर ?"
" शर्मा सर हैं । पापा आप सुनो तो सही , जब मैंने उनसे कहा कि मैं पार्षद संग्राम सिंह का बेटा हूँ । वह बहुत व्यस्त रहते हैं ।"
"ठीक कहा बेटे , हर छोटी मोटी बात पर मैं काम धंधा छोड़कर स्कूल भागूँगा क्या?"
संजय रोते हुए बोला ," पापा, पर सर ने कहा ,अच्छा किसी बड़े आदमी का बेटा है जो बेटे के स्कूल नहीं आ सकते ? तो तू ऐसा कर कि पूरे आधा घंटे खड़ा रहना " सारी क्लास इस बात पर हँसने लगी । मेरी बड़ी बेइज्जती हुई ।
"चुप हो जा बेटे, मैं अभी आता हूँ ।" कहकर संग्राम सिंह तेजी से बाहर निकल गये । आधे घन्टे बाद जब वह वापस आये तो उनके हाथ में क्रिकेट का बैट था । संजय देखते ही खुशी से उछल कर बोला ," अरे वाह , पापा, मैं आपको बैट खरीदवाने के लिये कहने की सोच ही रहा था , आपको कैसे पता चला कि मुझे बैट चाहिये, बड़े अच्छे हैं आप "
" पर पापा आपको ब्रैन्ड़ेड लाना चाहिये था आप बाहर से अमित स्पोर्ट्स से लाये होंगे । वह तो घटिया ,सस्ती चीजें रखते हैं ।"
" यह तुम्हारे लिये नहीं है बेटा । मैं इससे भी अच्छा खेल सकता हूँ ।कल तुम्हारे स्कूल जाकर तुम्हारे शर्मा सर से मिलेंगे फिर शहर तो क्या पूरा देश जानेगा कि संग्राम सिंह कौन है ।"
सुनते ही संजय होम वर्क करना छोड़ कर वर्ल्ड़ कप क्रिकेट मैच देखने बैठ गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, June 28, 2019
Saturday, June 22, 2019
Tuesday, June 18, 2019
Monday, June 17, 2019
Thursday, June 13, 2019
Tuesday, June 4, 2019
Saturday, May 25, 2019
ज्ञान चर्चा
यह कतई आवश्यक नहीं है कि मँहगी वस्तु गुणवत्ता के आधार पर सदैव ही बेहतर हो । सस्ता देशी ठर्रा पीकर लोग अपेक्षाकृत अधिक अच्छी धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं ।
-ओम
Friday, May 24, 2019
Wednesday, May 22, 2019
मैड़म इ वी ऐम
इ वी ऐम को छेड़ना,बड़ा अनैतिक काम
किसी रूप में नार हो,झुक झुक करें प्रणाम
मैड़म इ वी ऐम हुई ,सुनकर बहुत प्रसन्न
स्त्री रक्षा को लोग अब, मरने को आसन्न !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
किसी रूप में नार हो,झुक झुक करें प्रणाम
मैड़म इ वी ऐम हुई ,सुनकर बहुत प्रसन्न
स्त्री रक्षा को लोग अब, मरने को आसन्न !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, May 20, 2019
लोकतंत्र आयोग
ऐसे क्या संभव नहीं, हों न कोई चुनाव
बिन चुनाव ही चल सके, लोकतंत्र की नाव
लोकतंत्र की नाव , बचाये खर्चा भारी
लोकतंत्र आयोग , सभी ले जिम्मेदारी
सुख सुविधा से दूर, चुने प्रत्याशी वैसे
विनयशील बेदाग, सेवामूर्ति हों ऐसे !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बिन चुनाव ही चल सके, लोकतंत्र की नाव
लोकतंत्र की नाव , बचाये खर्चा भारी
लोकतंत्र आयोग , सभी ले जिम्मेदारी
सुख सुविधा से दूर, चुने प्रत्याशी वैसे
विनयशील बेदाग, सेवामूर्ति हों ऐसे !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, May 18, 2019
बेकारी
बड़े बड़ों पर गिर पड़ी, बेकारी की गाज
प्रधान पद प्रार्थी बने, बीसों नेता आज !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रधान पद प्रार्थी बने, बीसों नेता आज !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, May 17, 2019
Tuesday, May 14, 2019
Sunday, May 12, 2019
Thursday, May 9, 2019
Wednesday, May 8, 2019
Tuesday, May 7, 2019
पंचवर्षीय मनोरंजन
चुनाव पूर्व के कुछ सप्ताहों में जबर्दस्त गहमा गहमी रहती है । दलों की चुनावी सभाएं चलती हैं रैलियाँ , रोड़ शो , नुक्क्ड़ गोष्ठियों की भरमार रहती है । लाखों लोग इनमे भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त टी वी पर गर्मा गर्म , रोचक, गला फाड़ बहसें होती हैं जिनमें घिसे पिटे आरोप प्रत्यारोपों की अभद्र अभिव्यक्ति बड़ी संख्या में लोग तन्मयता से सुनते हैं और अपने प्रिय दल के पक्ष में मित्रों और संबंधियों से लड़ने के लिये तर्क ,कुतर्क के तीर बटोर कर अपने तरकश में रखते हैं । व्हाट्स एप, ट्वीटर, फेसबुक, सोशल मीडिया आदि पर भी चुनाव संबंधी झूठे सच्चे समाचारों की बाढ़ आ जाती है । इस सारी प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिये देश के करोड़ों लोग अपने करोडों मैन आवर्स की आहुति देते हैं । खुशी की बात है कि हमारे पास इतनी बेकारी है और इतनी बड़ी मात्रा में खाली समय उपलब्ध है , नहीं तो करोड़ों लोग इस ऐतिहासिक पंचवर्षीय मनोरंजन का हिस्सा बनने से वंचित रह जाते ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, May 6, 2019
Saturday, May 4, 2019
Tuesday, April 30, 2019
श्रम का महत्व
"हे गुरूदेव ! कृपया बतायें जीवन में श्रम का क्या महत्व है ? श्रम कब करना चाहिए ?"
ज्ञानी जी बोले ,"हे शिष्य श्रेष्ठ ! तुम्हारा प्रश्न बहुत सुन्दर और सामयिक है । मैं आज तुम्हे न केवल श्रम का महत्व बताऊँगा वरन यह भी समझाने का प्रयास करूंगा कि उचित समय पर भरपूर श्रम करने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण से स्पष्ट करता हूं । विद्यार्थी जीवन के कुछ वर्षों में जो विद्यार्थी भरपूर समय देकर पढाई में जी तोड मेहनत करते हैं वह पढाई के पश्चात उच्च पद पाकर शेष जीवन आराम से व्यतीत करते हैं इसी तरह जो लोग इस काल में पढ़ाई पर विशेष ध्यान न देते हुए मारपीट, गुण्ड़ागर्दी जैसी विधाओं में महारथ हासिल करते हैं वह भी बडे़ होकर नेता गिरि करते हुए शेष जीवन राजा महाराजाओं की भाँति व्यतीत करते हैं किंतु जो लोग जीवन का विद्यार्थी काल बिना शिक्षा ग्रहण किये बरबाद कर देते हैं अथवा घोर गरीबी के कारण पाठशाला का मुँह देखने से वंचित रहते हैं वह जीवन यापन के लिये बचपन से ही जीवन पर्यंत मजदूरी करते हैं । यह लोग तो मजदूर दिवस के दिन भी मजदूरी करने को बाध्य हैं जबकि अन्य श्रेणियों के लोग मजदूर दिवस पर सभाएं करते हैं,भाषण देते हैं, काव्यपाठ करते हैं नृत्य व संगीत के कार्यक्रम करके श्रमिक दिवस पर श्रमिकों की दशा सुधारने के मुद्दे पर अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं तथा आनंदित होते हैं । इनके वर्ष दर वर्ष किये जा रहे स्वांत सुखाय प्रयासों से बेचारे श्रमिक अनभिज्ञ रहते हैं । अतः जीवन में उचित समय पर अल्पावधि के लिये किया गया कठोर श्रम जीवन संवारने और मजदूर दिवस का आनंद लेने कि लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है ।"
" मैं धन्य हुआ गुरू देव । मेरे मित्र सुमंत के पिताश्री ,जो चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी एक दिन कह रहे थे कि बस एक महीने की जी तोड़ मेहनत है उसके बाद तो पाँच वर्ष ऐश ही ऐश हैं "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ज्ञानी जी बोले ,"हे शिष्य श्रेष्ठ ! तुम्हारा प्रश्न बहुत सुन्दर और सामयिक है । मैं आज तुम्हे न केवल श्रम का महत्व बताऊँगा वरन यह भी समझाने का प्रयास करूंगा कि उचित समय पर भरपूर श्रम करने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण से स्पष्ट करता हूं । विद्यार्थी जीवन के कुछ वर्षों में जो विद्यार्थी भरपूर समय देकर पढाई में जी तोड मेहनत करते हैं वह पढाई के पश्चात उच्च पद पाकर शेष जीवन आराम से व्यतीत करते हैं इसी तरह जो लोग इस काल में पढ़ाई पर विशेष ध्यान न देते हुए मारपीट, गुण्ड़ागर्दी जैसी विधाओं में महारथ हासिल करते हैं वह भी बडे़ होकर नेता गिरि करते हुए शेष जीवन राजा महाराजाओं की भाँति व्यतीत करते हैं किंतु जो लोग जीवन का विद्यार्थी काल बिना शिक्षा ग्रहण किये बरबाद कर देते हैं अथवा घोर गरीबी के कारण पाठशाला का मुँह देखने से वंचित रहते हैं वह जीवन यापन के लिये बचपन से ही जीवन पर्यंत मजदूरी करते हैं । यह लोग तो मजदूर दिवस के दिन भी मजदूरी करने को बाध्य हैं जबकि अन्य श्रेणियों के लोग मजदूर दिवस पर सभाएं करते हैं,भाषण देते हैं, काव्यपाठ करते हैं नृत्य व संगीत के कार्यक्रम करके श्रमिक दिवस पर श्रमिकों की दशा सुधारने के मुद्दे पर अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं तथा आनंदित होते हैं । इनके वर्ष दर वर्ष किये जा रहे स्वांत सुखाय प्रयासों से बेचारे श्रमिक अनभिज्ञ रहते हैं । अतः जीवन में उचित समय पर अल्पावधि के लिये किया गया कठोर श्रम जीवन संवारने और मजदूर दिवस का आनंद लेने कि लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है ।"
" मैं धन्य हुआ गुरू देव । मेरे मित्र सुमंत के पिताश्री ,जो चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी एक दिन कह रहे थे कि बस एक महीने की जी तोड़ मेहनत है उसके बाद तो पाँच वर्ष ऐश ही ऐश हैं "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
काला धन
"हे गुरूवर ! समय समय पर काले धन की बड़ी चर्चा होती है । आखिर यह कहाँ है हमें मिलता क्यों नहीं ?"
ज्ञानी जी बोले :" हे शिष्य श्रेष्ठ ! संत कबीर ने कहा है
मृग की नाभि में कस्तूरी है पर वह उसे जंगल जंगल ढूंढ़ता भटकता है।
काले धन का भी कुछ यही हाल है । यह चुनाव सभाओं में, रोड़ शोज में ,रैलियों में , हवाई यात्राओं में, चंदो में, प्रचार तंत्र में,घूस में, खैरात में यानि हमारे आस पास ही बिखरा पड़ा है । पर हम अपने ज्ञान चक्षु बंद कर राजनीतिज्ञों के चश्में से वर्षों से इसे उन स्थानों पर ढूढते भटक रहे हैं जहाँ वह अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये हमसे ढूंढ़वाना चाहते है या ढूंढ़ने का भ्रम फैलाना चाहते हैं । अपनी ज्ञान चक्षुओं से देखोगे तो सबकुछ स्पष्ट दिखलाई देगा । प्रसन्न रहो !! "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ज्ञानी जी बोले :" हे शिष्य श्रेष्ठ ! संत कबीर ने कहा है
मृग की नाभि में कस्तूरी है पर वह उसे जंगल जंगल ढूंढ़ता भटकता है।
काले धन का भी कुछ यही हाल है । यह चुनाव सभाओं में, रोड़ शोज में ,रैलियों में , हवाई यात्राओं में, चंदो में, प्रचार तंत्र में,घूस में, खैरात में यानि हमारे आस पास ही बिखरा पड़ा है । पर हम अपने ज्ञान चक्षु बंद कर राजनीतिज्ञों के चश्में से वर्षों से इसे उन स्थानों पर ढूढते भटक रहे हैं जहाँ वह अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये हमसे ढूंढ़वाना चाहते है या ढूंढ़ने का भ्रम फैलाना चाहते हैं । अपनी ज्ञान चक्षुओं से देखोगे तो सबकुछ स्पष्ट दिखलाई देगा । प्रसन्न रहो !! "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, April 22, 2019
Friday, April 19, 2019
Thursday, April 18, 2019
युद्ध -श्रेष्ठ्तम , निकृष्ततम
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आश्रम में प्रवेश करते ही पार्थ ने नीम वृक्ष के चबूतरे पर बैठे गुरू जी के चरण स्पर्श करते हुए प्रश्न कर दिया ।
"गुरूदेव प्रणाम । गुरूदेव कृपया बतायें कि इस संसार में कितने प्रकार के युद्ध होते रहे हैं और हो रहे हैं ?" गुरूदेव प्रश्न सुनकर मुस्कराये और बोले, " पार्थ , विभिन्न विषयों के प्रति तुम्हारी उत्सुकता से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं ।तुम्हारी बाल सुलभ जिज्ञासा मुझे बहुत भाती है ।सुनो पार्थ , इस संसार में आदि काल से अलग अलग स्तर के, अलग अलग पैमाने के,अलग अलग अवधि के युद्ध विभिन्न कारणों से लडे जाते रहे हैं । युद्धों का वर्गीकरण उसके कारणों , प्रतिद्वंदियों की क्षमता, समय काल परिस्थिति तथा युद्ध के औचित्य आदि के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में किया जा सकता है ।"
" गुरूदेव , मैं जानना चाहूंगा की विश्व में कहीं न कहीं होते रहने वाले इन युद्धों के पीछे क्या कारण रहे हैं ?"
" पार्थ , युद्ध होने के अनेक कारण हो सकते हैं । अधिकतर कारणों के पीछे युद्धस्थ पक्ष के नायकों का निहित स्वार्थ है ।स्वार्थ अनेक तरह का हो सकता है ,इसमें राज्य विस्तार , संपत्ति हड़पने के लिये विलय करने की लिप्सा,अहं तुष्टि के लिये प्रभु सत्ता स्वीकार करवाने की मंशा, दूसरे पक्ष की सुंदर स्त्री पर कुद्दष्टि रख कुछ बनावटी कारण खड़े कर के प्रारंभ किये गये युदध आदि आदि । आधुनिक युग में तो शस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने का स्वार्थ भी युद्ध और आतंकी गतिविधियों का कारण रहता है ।कभी कभी अपनी प्रभुसत्ता और स्वतंत्रता बचाने के लिये न चाहते हुए भी युद्ध करना पड़ जाता है ।
"गुरूदेव आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी है । अब कृपया यह भी बता दें कि संसार में श्रेष्ठतम युद्ध कौन सा है ?"
"पार्थ, यह तुमने बहुत ही सुंदर प्रश्न किया है । इससे पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूं मै तुम्हे यह बताना आवश्यक समझता हूं कि संसार में निकृष्टतम युद्ध कौन सा है ।पार्थ ,इस संसार में चुनावी युद्ध सबसे अनैतिक और निम्न स्तर का है क्योंकि यह सिर्फ झूठ की बुनियाद पर लड़ा जाता है । इस युद्ध में भाग लेने वाले सभी प्रतिद्वंदी पक्ष जनता को यह बतलाते हैं कि वह उनकी भलाई के लिये लड़ रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि यह युद्ध वह मात्र अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये लड़ते हैं । दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस युद्ध में वाणी से ऐसे विषैले गाली वाण चलाये जाते हैं जिनके लिये कोई रक्षा कवच उपलब्ध नहीं है । अब मैं तुम्हारे मूल प्रश्न पर आता हूं ।सुनों,पार्थ इस संसार में पति पत्नी के बीच लड़ा जाने वाला युद्ध ही श्रेष्ठतम है । इसमे दोनों पक्षों का कोई भी स्वार्थ न होते हुए भी यह युद्ध उम्र भर अपनी गति और प्रवाह बनाये रखने में सक्षम है । इस युद्ध से किसी अन्य तीसरे पक्ष की हानि होने की संभावना भी नगण्य रहती है। इस युद्ध की निरंतरता से दोनों के प्रेम की बुनियाद मजबूत होती चली जाती है । दोनों को जीने का ध्येय मिल जाता है ।युद्धश्रम से दोनों पक्षों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है, परिवार और पड़ोस के अन्य लोगों का मनोरंजन अलग से होता है । एक दूसरे पर तीखे किंतु हानि रहित शब्दवाणों का प्रयोग शब्द ज्ञान बढ़ाता है । वाणी और बुद्धि की कुशाग्रता बढती है ।इसलिये हे पार्थ मेरी द्दष्टि में निस्वार्थ भाव से लड़ा जाने वाला यह युद्ध बहुत ही कल्याणकारी है अतः श्रेष्ठतम है। यदा कदा यदि कभी शस्त्र का प्रयोग किसी पक्ष द्वारा कर भी लिया जाता है तो वह शस्त्र गृह कार्य में प्रयुक्त होने वाला अशस्त्र की श्रेणी वाला मामूली शस्त्र होता है । ऐसी स्थिति में यदि किसी को कभी हल्की चोट पहँच भी जाती है तो अशस्त्र चलाने वाला ही तुरंत प्रतिद्वंदी को घरेलू उपचार से ठीक कर देता है । प्रेम की प्रगाढ़ता बढाने के लिये इक्का दुक्का ऐसी घटनायें रामवाण सिद्ध होती हैं । "
"मैं धन्य हुआ गुरूदेव । मेरी यह जिज्ञासा तो शान्त हुई किंतु गुरूदेव मैं यह भी जानना चाह रहा था ..."
"बस पार्थ , शेष फिर कभी , अभी मुझे मतदान के लिये जाना है ।"
"धन्यवाद गुरूदेव ।"
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बडौदा,मोबा. 9427345810
Tuesday, April 16, 2019
Friday, April 12, 2019
#शी टू
मालती देहरादून के लोकप्रिय दैनिक 'घटनाक्रम' में
रिपोर्टर थी । पिता जी एक प्राइवेट कंपनी
से सेवा निवृत हो चुके थे और अकसर बीमार रहते थे । घर पर एक छोटी बहन श्वेता थी जो
स्नातक होने के बाद मीडिया और मास कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा कर रही थी । माँ का
स्वास्थ्य भी बहुत ठीक नहीं रहता था। इन परिस्थियों मे घर के प्रति मालती की बड़ी
जिम्मेदारी थी ।
मालती को कम्पनी के सीईओ केतन शुरु
शुरु में बड़े भले आदमी लगते थे उसके साथ
बड़ी आत्मीयता और सलीके के साथ पेश आते थे । पर धीरे धीरे उनका मुखौटा उतरने लगा और
मालती को उनकी नियत पढ़ने में अधिक समय नहीं लगा। वह बिना किसी विशेष कार्य के उसे
बार बार अपने चैम्बर में बुलाते थे । सैक्स और बलात्कार संबंधी रूटिन खबरों को
बेमतलब विस्तार देकर अभद्र टिप्पणियों के
साथ विश्लेषण की आड़ में खींचते रहते थे ।
उनके चेहरे पर उस समय एक कुटिल मुस्कान रहती थी जिसे देख मालती भीतर तक सिहर उठती
थी ।
बहुत तनाव में रहने लगी थी मालती ।
समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे । उधर केतन की हरकतें अब शारीरिक छेड़ छाड़ की ओर
बढ़ने लगी थी । कभी उसके कंधे पर हाथ रख देता
था कभी हाथ दबा देता था । नौकरी
छोड़ना मालती के लिये आसान नहीं था ।
आज औफिस खुलते ही केतन ने मालती को अपने चैम्बर
में बुलाया और कहा , " मालती आज एक गोपनीय और महत्वपूर्ण रिपोर्ट तैय्यार करनी है ।तुम औफिस के बाद सीधे मेरे साथ मेरे घर
चलना वहीं इस रिपोर्ट को तैय्यार करेंगे गोपनीयता के लिये यह अत्यंत आवश्यक है ।
और हाँ , खाना भी आज साथ ही खायेंगे । चाहो तो घर में बता
देना कि औफिस में आज बहुत देर हो जायेगी ,महत्व पूर्ण और अति
आवश्यक कार्य है ।कल रविवार के हमारे अखबार में इस भंड़ाफोड़ रिपोर्ट से देश भर में तहलका मच जायेगा। देखना यह स्टोरी तुम्हारे कैरियर को कहाँ से कहाँ
पहुँचाती है । और सुनो यह तुम हर वक्त
मुँह लटका कर क्यों रहती हो । मस्त रहा करो जिंदगी के मजे लेना सीखो ।"
यह कहकर केतन ने मालती की गाल पर उसी कुटिल मुस्कान के साथ चुटकी
काट दी । आहत मालती बिना कुछ कहे कक्ष से
बाहर निकल गयी और अपनी कुर्सी पर धँस गयी । केतन के कुत्सित इरादों के बारे में उसे
लेश मात्र भी शक नहीं था उसे पता था कि उसकी पत्नी भी आजकल मायके गयी हुई है। उसने
कुछ सोचते हुए काँपती उँगलियों से अपनी सहेली नीलम को फोन लगाया । "नीलम तू क्या कर रही है इस वक्त ? क्या तू अभी मुझे
लजीज रेस्तरां में मिल सकती है । खाना वहीं खा लेंगे ।" दूसरी ओर से नीलम ने शायद उसकी रोनी आवाज सुनकर और किसी अनहोनी की कल्पना
कर तुरंत आने को कह दिया था । मालती ने जल्दी जल्दी अपने ड्राअर से अपने कुछ कागज
वगैरह बैग में रक्खे और किसी से कुछ कहे बिना बाहर निकल गयी। ’लजीज’ पहुँच कर उसे
अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी । दस मिनट
के बाद नीलम भी कुछ घबरायी सी वहाँ पहुँच गयी, आते ही बोली ,"अरे, क्या हुआ मालती ? तूने तो मेरी जान निकाल दी ,
जल्दी बता बात क्या है ?"
"भीतर चल कर बैठते हैं पहले काफी पीते हैं ।सब बताती हूं । और
फिर मालती ने सिसकियाँ भरते हुए अपनी संपूर्ण व्यथा कथा सहेली के सामने उँडेल दी ।
" तू गोली मार ऐसी नौकरी को और उस
कमीने को ।" कहकर नीलम ने एक नम्बर मिलाया । "मामा
जी, नमस्ते , सुनिये गणित शिक्षण के
लिये मैंने बढ़िया शिक्षिका ढूंढ़ ली है
आपके स्कूल के लिये । मेरी सहेली है ।
ग्रेजुएशन में मेरी क्लास फैलो भी थी । गणित में कालेज में उसके सर्वाधिक अंक थे ।
पढ़ाने का बड़ा शौक है उसे ।"
जवाब में मामा जी कुछ देर बोलते रहे । और फिर नीलम ने " ठीक है मामा जी " कहकर मोबाइल काट दिया ।
" सुन मालती , मामा
जी , जिनका शिक्षा मंदिर इंटर कालेज है , उन्हें तो तू जानती ही है ।उन्ही से बात की अभी , कह रहे थे कि कल स्कूल में
तुमसे मिलेंगे ।तुम कल दस बजे स्कूल में प्रिंसिपल को रिपोर्ट कर के कल से ही
क्लास लेना शुरु कर दो क्योंकि मामा जी कह रहे थे गणित की अध्यापिका के बिना किसी
पूर्व सूचना के विदेश चले जाने से बच्चों
का पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है । मामा जी तो बहुत खुश हो गये ,कह रहे थे उचित वेतन दिया जायेगा । कल तुम्हें स्कूल में वेतन मान के
साथ नियुक्ति पत्र मिल जायेगा । थोड़ा पैसा
कम मिलेगा पर सम्मान की नौकरी होगी । "
मालती के सर से जैसे बड़ा बोझ उतर गया उसने तुरंत
मोबाइल से मेल द्वारा अपना त्यागपत्र भेज दिया । जवाब में केतन की मेल आई । "मीट मी एन्ड डिसकस "
जिसे देखकर नीलम और मालती के मुँह
से एक साथ निकला "कमीना
"
मालती ने घर आकर पिता जी से कहा ," पिता जी , मुझे शिक्षा मंदिर इंटर कालेज में प्राध्यापिका की अच्छी नौकरी मिल गयी है
।मुझे बहुत शौक है पढ़ाने का ।अखबार की नौकरी में तो बेहद तनाव रहता है । असामाजिक
तत्वों की रिपोर्टिंग में खतरा अलग है ।"
पिताजी की उम्र ने जैसे सब भाँप लिया । बोले " जैसा भी तू ठीक समझे बेटा ।"
पिताजी की उम्र ने जैसे सब भाँप लिया । बोले " जैसा भी तू ठीक समझे बेटा ।"
बहन श्वेता को जरूर झटका लगा ।
मायूस सी होकर बोली , "क्या दीदी । इतनी अच्छी नौकरी छोड़
दी। तुम्हारी इस नौकरी के कारण मेरी भी कितनी तड़ी थी । मास्टरनी को भला कौन पूछता
है ?"
मालती चुपचाप अपने कमरे में जाकर
दसवीं बारहवीं की गणित की पुस्तकें ढूंढ़ने लगी ।
आज मालती को नयी जिंदगी शुरु किये
हुए पंद्रह दिन बीत गये । बड़ा अच्छा लग रहा था उसे स्कूल का माहौल भी और पढ़ाना भी
। अकसर वह नीलम को फोन कर स्कूल की बातें बताती रहती थी । मामाजी और केतन के साथ
की मुलाकात के अनुभव याद कर वह ईश्वर की लीला के बारे में सोचती कि उसने कैसे खोपड़ी
तो सबकी एक सी बनायी पर भीतर किसी में
निर्मल गंगा का बहा दी तो कहीं
गंदा नाला ।
आज स्कूल से आये उसे अभी एक घन्टा
ही हुआ था कि श्वेता ने बाहर ही से खुशी से दीदी , दीदी चिल्लाते हुए घर में प्रवेश किया ।
" अरे क्या हुआ क्यों घर सर पर
उठा रक्खा है ?" मालती ने कहा ।
" दीदी, बात
ही ऐसी है । तुम भी सुनोगी तो खुशी से पागल हो जाओगी । आज हमारे यहाँ प्लेसमैंट
इन्टरव्यू के लिये तुम्हारे ’घटनाक्रम’
वाले आये हुए थे । मेरा उसमें रिपोर्टर के लिये प्लेसमैंट हो गया है । "
" और सुनो दीदी , इन्टरव्यू उनके सीईओ केतन ले रहे थे । मुझसे पूछने लगे तुम्हें समाचार
पत्रों के रिपोर्टर कैसे और क्या काम करते हैं इसकी कुछ जानकारी है क्या ?"
" हूँ " मालती के मुँह से निकला ।
"और दीदी जब मैंने कहा । यस सर
मेरी दीदी पहले ’घटनाक्रम’ में काम
करती थी मुझे काम के बारे में कुछ जानकारी मिलती रहती थी ।"
"हूँ " मालती ने फिर कुछ आलसी स्वर में कहा ।
" हूँ,हूँ
क्या कर रही हो दीदी । आगे सुनोगी तो खुशी से फूल कर कुप्पा हो जाओगी ।जब मैंने
तुम्हारा नाम बताया न तो कहने लगे । वह तुम्हारी बहन है ?वैरी
ब्रिलिएन्ट गर्ल । पता नही किस सनक में इतना
ब्राइट कैरियर छोड़ दिया ।"
फिर एकदम बोले " तुम अगले माह परीक्षा समाप्त
होते ही जौयन कर लो । नियुक्ति पत्र
तुम्हे एक दो दिन में मिल जायेगा ।"
और मालती को लगा वह एक गहरे गड्ढे में धँसती जा रही है जहाँ से
बाहर निकलने की अब कोई संभावना नहीं है ।
Thursday, April 11, 2019
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!
12 अप्रैल 2019
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!
समाचारों के अनुसार चुनावी बान्ड को लेकर कल गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी । अटौर्नी जनरल के इस दावे पर कि चुनावी बान्ड़ योजना का उद्देश्य चुनाव में काले धन पर रोक लगाना है सी जे आई ने पूछा कि क्या बैंक के पास इस बात का विवरण होता है कि कौन सा बान्ड किसे जारी किया जा रहा है । ए जी जनरल द्वारा इस प्रश्न का जवाब नहीं मे दिये जाने पर सी जे आई ने कहा कि तब काले धन के खिलाफ आपकी यह सारी लड़ाई व्यर्थ है ।एक अन्य जस्टिस ने यह भी कहा कि बान्ड़ खरीदते समय केवाईसी सिर्फ खरीददार की पहचान है इस बात का प्रमाण नहीं कि धन काला है या सफेद ।
दर असल दलों को थोक में दिया जाने वाला गुमनाम चंदा ही काले धन की जननी है ।जब राजनीतिक दल बिना कोई पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया अपनाये, धन का स्रोत जाने बिना, व्यापारिक घरानों व अन्य लोगों से करोड़ों का धन चंदे के रुप में लेंगे तो वह लोग भी बदले में इन दलों के सत्तारूढ़ होने पर बहुत कुछ ऐसा अनदेखा करने की आशा करेंगे जो गैर कानूनी तरीकों से गुप्त चंदे के रूप में लगाई गयी उनकी पूंजी को कई गुना बढ़ा सकता है ।आखिर वह लोग व्यापारी हैं कोई मुफ्त में खैरात बाँटने वाले नहीं । इसलिये जब तक चुनावी चंदे की प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी नही होती तथा चुनाव मे खर्च किये जा रहे बेतहाशा काले धन के विषय में प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते तब तक इस विषय में किये जा रहे सभी प्रयास सतही हैं महज लोक दिखावा है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
सुप्रीम कोर्ट चुनावी बान्ड़ पर !!!
समाचारों के अनुसार चुनावी बान्ड को लेकर कल गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गयी । अटौर्नी जनरल के इस दावे पर कि चुनावी बान्ड़ योजना का उद्देश्य चुनाव में काले धन पर रोक लगाना है सी जे आई ने पूछा कि क्या बैंक के पास इस बात का विवरण होता है कि कौन सा बान्ड किसे जारी किया जा रहा है । ए जी जनरल द्वारा इस प्रश्न का जवाब नहीं मे दिये जाने पर सी जे आई ने कहा कि तब काले धन के खिलाफ आपकी यह सारी लड़ाई व्यर्थ है ।एक अन्य जस्टिस ने यह भी कहा कि बान्ड़ खरीदते समय केवाईसी सिर्फ खरीददार की पहचान है इस बात का प्रमाण नहीं कि धन काला है या सफेद ।
दर असल दलों को थोक में दिया जाने वाला गुमनाम चंदा ही काले धन की जननी है ।जब राजनीतिक दल बिना कोई पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया अपनाये, धन का स्रोत जाने बिना, व्यापारिक घरानों व अन्य लोगों से करोड़ों का धन चंदे के रुप में लेंगे तो वह लोग भी बदले में इन दलों के सत्तारूढ़ होने पर बहुत कुछ ऐसा अनदेखा करने की आशा करेंगे जो गैर कानूनी तरीकों से गुप्त चंदे के रूप में लगाई गयी उनकी पूंजी को कई गुना बढ़ा सकता है ।आखिर वह लोग व्यापारी हैं कोई मुफ्त में खैरात बाँटने वाले नहीं । इसलिये जब तक चुनावी चंदे की प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी नही होती तथा चुनाव मे खर्च किये जा रहे बेतहाशा काले धन के विषय में प्रभावी कदम नहीं उठाये जाते तब तक इस विषय में किये जा रहे सभी प्रयास सतही हैं महज लोक दिखावा है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, April 4, 2019
Subscribe to:
Posts (Atom)