चुनाव से ठीक पहले हवा पानी दोनों इस कदर जहरीले हो जाते हैं कि नेताओं को बेचारी जनता के स्वास्थ्य की चिंता पागल करने लगती है । विषाक्त वाणी बाणों के आदान प्रदान से हवा पानी में घुला जहर और उग्र रूप ले लेता है, नेताओं को हर पल यही डर सताने लगता है कि इतना विषैला पानी पी रहे लोग, पता नहीं, मतदान तक जीवित रहेंगे भी या नहीं । किंतु शुक्र है चुनाव के बाद सब कुछ, बिना कुछ किये, अगले चुनाव तक के लिये ठीक हो जाता है । अकसर तो एक दूसरे के विरूद्ध गरल उगलकर हवा पानी विषाक्त करने वाले नेता लोग, विष प्रभावहीन करने के लिये अपने विष को उनके विष से मिलाते हैं ,और आपसी गठजोड़ से सरकार बनाकर जल वायु समेत सभी दोष ठीक कर देते हैं ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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